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भारत-तुर्की सम्बन्ध: क्षेत्रीय भू-राजनीतिक जटिलताओं का मुद्दा

Lokesh Pal May 19, 2025 05:30 10 0

संदर्भ:

तुर्की ने हाल ही में भारत-पाकिस्तान संकट के दौरान पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया। इस गतिविधि का दोनों देशों के रणनीतिक और सैन्य संबंधों में गहरा प्रभाव पड़ा है। यह दृष्टिकोण तुर्की के भारत के साथ बढ़ते व्यापारिक संबंधों से विपरीत है और क्षेत्रीय भू-राजनीतिक जटिलताओं को उजागर करता है।

पाकिस्तान के प्रति तुर्की का खुला समर्थन

  • पाकिस्तान के प्रति तुर्की का स्पष्ट समर्थन: पहलगाम आतंकी हमलों के बाद भारत-पाकिस्तान संकट के दौरान तुर्की का रुख स्पष्ट रूप से पाकिस्तान के पक्ष में था, जो कि चीन के सूक्ष्म और संयमित दृष्टिकोण की तुलना में लगभग अलग था।
  • भारत से व्यापारिक संबंधों के बावजूद तुर्की-पाकिस्तान संबंध: भारत के साथ बढ़ते व्यापारिक संबंधों के बावजूद, तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन के नेतृत्व में तुर्की ने पाकिस्तान के साथ, विशेषकर कश्मीर मुद्दे पर, अपने संबंधों को और मजबूत करने का प्रयास किया है।
  • एर्दोआन की सार्वजनिक एकजुटता: एर्दोआन ने कश्मीरी मुसलमानों के प्रति सार्वजनिक रूप से एकजुटता प्रकट की है और संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) जैसे मंचों का उपयोग इस मुद्दे को उठाने के लिए किया है।

कूटनीतिक संदेशों में परिवर्तन

  • UNGA भाषणों में बदलाव: तुर्की के 2023 के संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में दिए गए भाषण में संवाद के माध्यम से शांति की अपील की गई थी, लेकिन 2024 के संबोधन में इस पर ज़ोर नहीं दिया गया है।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव तुर्की के BRICS में शामिल होने की महत्वाकांक्षा से प्रभावित माना जा रहा है।

बढ़ती हुई रक्षा साझेदारी

  • 2025 की रणनीतिक साझेदारी: तुर्की और पाकिस्तान के बीच 2025 की रणनीतिक साझेदारी की घोषणा ने सैन्य सहयोग को औपचारिक रूप दिया गया है, जिसमें संयुक्त परियोजनाएँ और सैन्य अभ्यास भी शामिल हैं।
  • सैन्य आपूर्तिकर्ता की भूमिका: तुर्की, चीन के बाद पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है, जो स्टेल्थ कॉर्वेट्स, एफ-16 जेट, सशस्त्र ड्रोन और मिसाइलें प्रदान करता है।
  • ऑपरेशन सिंदूर के दौरान समर्थन: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की द्वारा पाकिस्तान को प्रदान किया गया सैन्य समर्थन स्पष्ट था, जिसमें पाकिस्तान ने तुर्की के ड्रोन का उपयोग किया, जिसे भारतीय रक्षा द्वारा निष्क्रिय कर दिया गया।

संकट में कूटनीतिक और सैन्य समर्थन

  • पहलगाम हमले के बाद एर्दोआन की प्रतिक्रिया: पहलगाम हमले के बाद, एर्दोआन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को दूरभाष के माध्यम से पाकिस्तान की “शांत और संयमित नीतियों” का समर्थन प्रदान किया और भारत पर “पूर्ण युद्ध” के खतरों को उठाने का आरोप लगाया गया।
  • सैन्य और लॉजिस्टिक समर्थन: बढ़ते तनाव की स्थिति में तुर्की की सैन्य लॉजिस्टिक सहायता, जिसमें C-130 विमान और नौसेना के जहाज शामिल थे, पाकिस्तान में सक्रिय रूप से देखे गए थे।

भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया

  • भारतीय नीति का पुनर्मूल्यांकन: भारत तुर्की को लेकर अपनी नीति का पुनः मूल्यांकन कर रहा है, इसके तहत वह ग्रीस, साइप्रस, आर्मेनिया, सऊदी अरब, यूएई (UAE) जैसे देशों के साथ संबंधों को मजबूत कर रहा है तथा I2U2 (भारत, इज़राइल, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका) और IMEC (भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा) जैसे मंचों से जुड़कर तुर्की के प्रभाव का मुकाबला कर रहा है।
  • तुर्की के विस्तारवाद का प्रतिरोध: भारत तुर्की के विशेष रूप से वर्तमान विस्तारवादी लक्ष्य को चुनौती देने और मध्य पूर्व तथा व्यापक इस्लामी जगत में अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराने का प्रयास कर रहा है।

एर्दोआन की राजनीतिक और धार्मिक स्थिति का निर्धारण

  • तुर्की की इस्लामी नेतृत्व हेतु महत्वाकांक्षाएँ: एर्दोआन तुर्की को इस्लामी जगत के नेता के रूप में स्थापित करना चाहते हैं, जो सऊदी अरब की पारंपरिक भूमिका को चुनौती देता है।
  • इस्लामी सिद्धांतों का प्रचार: वह देश के अंदर इस्लामी सिद्धांतों को प्रोत्साहित करने पर बल दे रहे हैं और फ़िलिस्तीनियों के अधिकारों और रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार जैसे मुद्दों पर मुखर रुख अपनाते हैं।

भारत के लिए भावी दृष्टिकोण और चुनौतियाँ

  • भारत के प्रति नीति परिवर्तन की कोई संभावना नहीं: वर्तमान तनावपूर्ण परिदृश्य में, भारत के खिलाफ तुर्की की नीतियों में बदलाव की संभावना कम है, और तुर्की-पाकिस्तान साझेदारी के और अधिक मजबूत होने की सम्भावना है।
  • भारत के मानवीय प्रयासों को अस्वीकार किया गया: 2023 में तुर्की में आए भूकंप के बाद भारत की मानवीय सहायता जैसी पहले भी अंकारा के दृष्टिकोण को नरम करने में असफल रही है।
  • भारत के लिए रणनीतिक चुनौती: तुर्की और पाकिस्तान के बीच बढ़ती निकटता भारत के लिए एक गंभीर रणनीतिक चुनौती प्रस्तुत करती है।

निष्कर्ष

अतः वर्तमान भारत-पाक के तनावपूर्ण परिदृश्य में, तुर्की और पाकिस्तान के बीच गठबंधन मजबूत हो रहा है, जो भारत की सुरक्षा और कूटनीतिक हितों के लिए एक प्रमुख चुनौती बन सकता है। भारत के अनेक बहुआयामी प्रयासों के बावजूद, तुर्की की वैचारिक और रणनीतिक प्राथमिकताएँ उसके भारत के प्रति रवैये में न्यूनतम बदलाव का संकेत देती हैं।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न. पहलगाम में हुए, आतंकवादी हमलों और तत्पश्चात उस पर भारत की सैन्य प्रतिक्रिया के संदर्भ में, पाकिस्तान को तुर्की का स्पष्ट कूटनीतिक और सैन्य समर्थन भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर चिंताएँ पैदा कर रहा है। आलोचनात्मक रूप से विश्लेषण करें कि तुर्की-पाकिस्तान रणनीतिक साझेदारी का विकास भारत के क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य को किस प्रकार से प्रभावित कर सकता है।

(15 अंक, 250 शब्द)

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