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भारत-ब्रिटेन रक्षा संबंध (India-UK defense relations)

Samsul Ansari January 20, 2024 05:33 167 0

संदर्भ:

हाल ही में, भारतीय रक्षा मंत्री द्वारा 22 वर्षों के अंतराल के पश्चात् यूनाइटेड किंगडम (यू.के.) का दौरा किया गया ।

  • इस यात्रा के साथ ही ब्रिटेन अपने अन्तर्निहित उद्देश्यों के तहत स्वेज के पूर्व दिशा में अपनी सैन्य भागीदारी और उपस्थिति को फिर से स्थापित करने का प्रयास करते हुए आगे बढ़ रहा है, जिसे 1960 के दशक के अंत में देखा जा सकता था।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: पॉवर एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए विद्युत प्रणोदन।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत-ब्रिटेन रक्षा संबंध- महत्त्व, चुनौतियाँ तथा आगे की राह।

रणनीतिक प्राथमिकताओं को पुनः उन्मुख करने का अवसर

  • चीन कारक: चीनी सैन्य शक्ति की वृद्धि और हिंद महासागर में इसके विस्तार से भारत को खतरा है और साथ ही चीन की नीतियों से समुद्री संचार लाइनों  (SLOCs) को भी खतरा है जिस पर ब्रिटेन की निर्भरता है।
  • प्रौद्योगिकी: भारतीय नौसेना की क्षमता संबंधी कई प्रमुख आवश्यकताएँ हैं और ब्रिटेन चीन के खिलाफ भारतीय नौसेना की तकनीकी कमियों को दूर करने में मदद कर सकता है।
  • पॉवर विमान वाहकों के लिए विद्युत प्रणोदन: वर्तमान में, भारतीय नौसेना के वाहक विद्युत प्रणोदन तकनीक द्वारा संचालित नहीं होते हैं, हालांकि रॉयल नेवी (RN) के क्वीन एलिजाबेथ क्लास विमान वाहक विद्युत प्रणोदन का उपयोग करते हैं और RN ने इस तकनीक में विशेषज्ञता हासिल की है।
  • “भारत-यूके विद्युत प्रणोदन क्षमता साझेदारी” नामक एक संयुक्त कार्य समूह की स्थापना की पहली बैठक फरवरी 2023 में हुई थी, जिसके  बाद एक प्रतिनिधिमंडल स्तर की भी चर्चा की गई थी ।
  • यूके विद्युत प्रणोदन प्रणाली विकसित करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचे की स्थापना हेतु प्रशिक्षिण देने, उपकरणों से लैस करने में मदद करने के लिए सहमत हो गया है।

विद्युत प्रणोदन का महत्त्व

  • इस क्षमता से लैस युद्धपोत, प्रणोदन के मध्य की कड़ी को खत्म कर कम ध्वनि उत्पन्न करते हैं।
  • विद्युत प्रणोदन प्रणाली से भारतीय नौसेना के सतही बेड़े के प्रमुख युद्धपोतों की उप-प्रणालियों के लिए विद्युत ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि हुई है।

चुनौतियाँ

  • विरासत के मुद्दे: ब्रिटेन की उत्तरोत्तर सरकारों द्वारा एक साथ ही भारत और पाकिस्तान को जहाँ हथियारों की आपूर्ति की गई वहीँ  हथियारों के निर्यात पर अंकुश भी लगाया गया, इससे भारत के लोगों में इस उपमहाद्वीप के संबंध में ब्रिटिश उद्देश्यों को लेकर काफी निराशा हुई है I
  • खालिस्तान और सिख अलगाववाद: यह मुद्दा दोनों देशों के मध्य रिश्तों के संबंध में व्याप्त प्रमुख चुनौतियों में से एक है।

आगे की राह

  • रणनीतिक वास्तविकताओं को समझने की आवश्यकता: हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में चीन के विस्तार के मद्देनजर यूके और भारत के मध्य घनिष्ठ रक्षा संबंधों के निर्माण की आवश्यकता है।
  • सहयोग: यूके द्वारा आधिकारिक तौर पर घोषणा की गई है कि वह भारतीय नौसेना के साथ प्रशिक्षण और अंतर-संचालनीयता को बढ़ाने के लिए वर्ष 2024 में एक लिट्टोरल रिस्पांस ग्रुप (Littoral Response Group), जो एक विशेष एम्फीबियस वारफेयर ग्रुप (Amphibious Warfare Group) है और वर्ष 2025 में कैरिअर स्ट्राइक ग्रुप (Carrier Strike Group) को तैनात करेंगा।
  •  दोनों देशों के मध्य पूर्व में भी कई संयुक्त सैन्य अभ्यासों  का आयोजन किया जा चुका है I

News Source: The Hindu

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