प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू), गोल्डवाटर-निकोल्स रक्षा पुनर्गठन अधिनियम, 1986, कारगिल संघर्ष।
मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: कारगिल युद्ध समीक्षा समिति, चीफ ऑफ स्टाफ समिति।
संदर्भ:
तथ्यों से इस बात की जानकारी मिलती है कि पाकिस्तान ने अपने सशस्त्र बलों के लिए दो विश्वविद्यालय निर्मित किए हैं, जबकि चीन में तीन विश्वविद्यालयों का निर्माण किया गे है, लेकिन भारत में कोई भी रक्षा विश्वविद्यालय नहीं हैं, हालाँकि भारत में ऐसा विश्वविद्यालय पहली बार वर्ष 1967 के दौरान प्रस्तावित किया गया था।
भारतीय रक्षा विश्वविद्यालय:
आईडीयू का उद्देश्य: आईडीयू का उद्देश्य शिक्षाविदों, सेवारत और सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों सहित योग्य संकाय के साथ उच्च सैन्य शिक्षा प्रदान करके व्यावसायिक सैन्य शिक्षा (PME) में मौजूदा अंतराल को पाटना है।
विविध पाठ्यक्रम: आईडीयू के पाठ्यक्रम में व्यावहारिक अनुप्रयोग के साथ सिद्धांत का सम्मिश्रण करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा से संबंधित विविध विषयों को शामिल किया जाएगा।
भारतीय रक्षा विश्वविद्यालय (IDU) स्थापित करने की आवश्यकता:
लंबे समय से अपेक्षित: रक्षा तैयारियों, रणनीतिक संस्कृति को बढ़ावा देने और अंतर-सेवा एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए इसके महत्व के बावजूद, आईडीयू की स्थापना में देरी हुई है।
युद्ध शिक्षा को बढ़ावा देना: दूरदर्शी सैन्य शिक्षा पाठ्यक्रम के माध्यम से युद्ध की नींव रखने के लिए आईडीयू का संचालन करना अनिवार्य है।
युद्ध की गतिशीलता: युद्ध की गतिशील और अराजक प्रकृति, विशेष रूप से यूरोप और पश्चिम एशिया जैसे क्षेत्रों में, सैन्य अधिकारियों को अस्पष्ट प्रारंभिक जानकारी तथा तेजी से बदलती परिस्थितियों से निपटने के बावजूद परिणाम देने में सक्षम होने की आवश्यकता होती है।
व्यावसायिक सैन्य शिक्षा (PME) के माध्यम से सशक्तिकरण: इन जटिल चुनौतियों से निजात पाने के लिए, सैन्य अधिकारियों को एक अच्छी तरह से निर्मित पीएमई के माध्यम से सशक्त बनाया जाता है।
यह उनके लंबे करियर में बदलते कार्यों और बढ़ती ज़िम्मेदारियों के अनुकूल उनकी क्षमताओं को बढ़ाता है।
स्केल्टन रिपोर्ट (Skelton’s Report) की मुख्य सिफारिशें:
शैक्षणिक संस्थानों को निर्दिष्ट शिक्षण उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित करना।
नागरिक और सैन्य संकाय दोनों की गुणवत्ता बढ़ाना।
संयुक्त अधिकारियों की शिक्षा के लिए दो-चरणीय प्रणाली स्थापित करना।
राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सामरिक अध्ययन के लिए एक संस्थान का गठन करना।
अमेरिकी विकास के साथ समानताएँ: संयुक्त राज्य अमेरिका में पीएमई का विकास, जैसा कि 1986 के गोल्डवाटर-निकोल्स रक्षा पुनर्गठन अधिनियम और अमेरिकी कांग्रेस के स्केल्टन की रिपोर्ट से पता चलता है, की अमेरिकी सशस्त्र बलों में सैन्य शिक्षा में आवश्यक सुधार किया है।
भारतीय रक्षा विश्वविद्यालय (IDU) की स्थापना में धीमी प्रगति:
ऐतिहासिक संदर्भ: रक्षा सेवा विश्वविद्यालय की स्थापना का विचार वर्ष 1967 में चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (COSC) द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
समिति का गठन: कारगिल संघर्ष के बाद, आईडीयू की स्थापना के मुद्दे की जाँच के लिए डॉ. के. सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में एक समिति की स्थापना की गई थी।
इसकी सिफारिशों के आधार पर, मई 2010 में, गुड़गांव में IDU की स्थापना के लिए ‘सैद्धांतिक’ मंजूरी दी गई थी।
2017-18 में कुछ आशावादी रिपोर्टों के बावजूद, IDU की स्थापना पर प्रगति धीमी रही।
IDU की स्थापना में देरी: 2010 में प्रारंभिक मंजूरी के बावजूद, IDU की स्थापना की प्रगति धीमी रही, जिससे एकीकृत व्यावसायिक सैन्य शिक्षा (PME) ढाँचे के विकास में बाधा आ रही है।
वर्तमान प्रणाली में चुनौतियाँ:
एक एकीकृत ढाँचे का अभाव: जबकि भारत विश्व स्तरीय प्रशिक्षण संस्थानों का दावा करता है, एक एकीकृत व्यावसायिक सैन्य शिक्षा (PME) ढाँचे और रणनीतिक सोच के लिए अंतःविषय दृष्टिकोण का अभाव है।
पाठ्यक्रम में सैन्य फोकस का अभाव: डिग्री पाठ्यक्रमों के लिए विश्वविद्यालयों के साथ संबद्धता सैन्य शिक्षा आवश्यकताओं को पर्याप्त रूप से ध्यान नहीं दिया गया है।
आरआरयू की अपर्याप्तता: राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (RRU) की तुलना आईडीयू से करना त्रुटिपूर्ण माना जाता है क्योंकि आरआरयू के उद्देश्य तथा पाठ्यक्रम विशेष रूप से युद्ध के प्रबंधन और योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए सैन्य आवश्यकताओं पर ध्यान नहीं देते हैं।
निष्कर्ष:
निष्कर्षतः आईडीयू शुरू करने तथा समकालीन सुरक्षा चुनौतियों और युद्ध की उभरती प्रकृति के अनुरूप पाठ्यक्रम विकसित करने के लिए त्वरित कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :
प्रश्न. “राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय विधेयक 2020” ;के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
विधेयक रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय, गुजरात (रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 के तहत स्थापित) को गुजरात में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय नामक एक विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करता है।
विधेयक विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित करता है।
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