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भारतीय विनिर्माण क्षेत्र: गुणवत्ता नियमों द्वारा खिलौना बाजार को बाधित करना

Lokesh Pal July 07, 2025 05:15 57 0

संदर्भ:

प्रतिस्पर्धात्मकता के मामले में भारत का विनिर्माण क्षेत्र अपने कुछ एशियाई समकक्षों से पीछे बना हुआ है।

  • यद्यपि यह संरचनात्मक अकुशलता अक्सर उच्च व्यापार बाधाओं के कारण छिप जाती है, लेकिन हाल के रुझान नीतिगत उपकरण के रूप में गैर-टैरिफ उपायों (NTM), विशेष रूप से गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों (QCO) पर बढ़ती निर्भरता का संकेत देते हैं।

हालिया नीतिगत ढांचा:

  • गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCO): वर्ष 2020 में जारी किए गए, गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों का उद्देश्य आयातित खिलौनों की गुणवत्ता को विनियमित करना था, जो प्रभावी रूप से गैर-टैरिफ बाधाओं के रूप में कार्य करते थे।
  • टैरिफ में वृद्धि: वर्ष 2019 में खिलौनों के आयात पर टैरिफ 20% था। 2024 तक यह नाटकीय रूप से बढ़कर 70% तक हो गया था।

नीतियों का प्रारंभिक प्रभाव:

  • इन नीतियों से तात्कालिक लक्ष्य प्राप्त हुआ: खिलौनों के आयात में उल्लेखनीय कमी आई।
  • वित्तीय वर्ष 2020 में, भारत ने 279 मिलियन डॉलर मूल्य के खिलौने आयात किए, जो 2023 तक घटकर मात्र 35 मिलियन डॉलर रह गया अतः समग्र रूप से इसमें लगभग 90% की गिरावट दर्ज की गई।

गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCO) और बढ़ी हुई टैरिफ नीति के परिणाम:

  • घटक आयात में बदलाव: तैयार खिलौनों के आयात पर प्रतिबंध के कारण खिलौनों को डिसेंबल (disassemble) रूप के आयात में अप्रत्याशित वृद्धि हुई।
    • निर्माता भी अब घटकों (जैसे, इलेक्ट्रॉनिक खिलौनों के लिए) का आयात कर रहे हैं और उन्हें स्थानीय स्तर पर असेंबल कर रहे हैं, जिससे वास्तविक आत्मनिर्भरता का लक्ष्य कमजोर हो रहा है।
  • हालांकि इन नीतियों का उद्देश्य आयात पर निर्भरता को हटाना नहीं, अपितु उसका मूल बदलना ही था।
    • चीन से आयात में कमी आई, लेकिन वियतनाम जैसे देशों से आयात में 1300% तक की वृद्धि हुई, जिससे भारत के घरेलू विनिर्माण आधार की अपर्याप्तता उजागर हुई।
  • घरेलू बिक्री में गिरावट और नौकरी का नुकसान: भारत के शीर्ष 10 खिलौना निर्माताओं ने वर्ष 2022 और 2024 के बीच उत्पाद की बिक्री में 55% की गिरावट दर्ज की
    • सबसे अधिक नुकसान इलेक्ट्रॉनिक खिलौना क्षेत्र और MSME क्षेत्र को हुआ, जो महत्वपूर्ण रोजगार सृजनकर्ता है।
  • मांग-आपूर्ति असंतुलन और बढ़ती कीमतें: आयात में कमी और घरेलू उत्पादन में वृद्धि न होने के कारण आपूर्ति मांग से पीछे रह गई है
    • भारत की जनसंख्या में 0-14 वर्ष की आयु के बच्चों की हिस्सेदारी लगभग 25% है, जिससे खिलौनों की मांग अधिक रहती है।
    • चूंकि कीमतें आसमान छू रही हैं, खिलौनों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 2022 में 10 अंक और 2023 में 11 अंक बढ़ गया था।
  • भारी अनुपालन लागत: एमएसएमई को क्यूसीओ मानदंडों का अनुपालन करने के लिए उच्च लागत का सामना करना पड़ता है।
    • भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) प्रमाणन, जिसे हर 1-2 साल में नवीनीकृत किया जाना चाहिए, की लागत रु० 50,000 से रु० 1 लाख के बीच है।
    • इससे छोटे खिलाड़ी हतोत्साहित होते हैं, तथा पारिस्थितिकी तंत्र और कमजोर होता है।
  • घरेलू अकुशलताओं को छिपाना: घरेलू गुणवत्ता में सुधार करने के बजाय, QCO ने संरक्षणवादी उपकरण के रूप में काम किया है, स्थानीय निर्माताओं को वैश्विक प्रतिस्पर्धा से बचाया है और संरचनात्मक अकुशलताओं को छिपाया है।

आगे की राह:

  • घरेलू क्षमता निर्माण: आयात प्रतिबंधों से हटकर स्थानीय उत्पादन क्षमता और दक्षता में सुधार पर जोर दिया जाना चाहिए।
  • अनुसंधान एवं विकास में निवेश करना: भारत को खिलौना क्षेत्र में उच्च तकनीक विनिर्माण और नवाचार में निवेश करना चाहिए।
  • पैमाना और गुणवत्ता: निर्माताओं को अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता मानदंडों को पूरा करते हुए अपने पैमाने को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  • वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ एकीकरण: अलग-थलग रहने के बजाय, भारत को प्रतिस्पर्धा और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ एकीकृत होना चाहिए।
  • संरचनात्मक कमजोरियों का समाधान: भारत को लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की विलंबित और अकुशल वितरण प्रणाली जैसी अंतर्निहित चुनौतियों का समाधान करना होगा

प्रतिस्पर्धी दृष्टिकोण अपनाना: नीतियों का लक्ष्य मेक इन इंडियाउत्पाद बनाना होना चाहिए जो मूल्य और गुणवत्ता के मामले में विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी हों अर्थात आयात प्रतिबंधों पर निर्भर न हों।

निष्कर्ष:

अतः वैश्विक बाजार में दीर्घकालिक स्थिरता के लिए, भारत को प्रतिक्रियात्मक संरक्षणवाद से हटकर क्षमता निर्माण, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता पर आधारित रणनीति अपनाने पर ध्यान देना चाहिए।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: भारत के गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों (QCO) ने विनिर्माण में वास्तविक घरेलू आत्मनिर्भरता को किस हद तक बढ़ावा दिया है? खिलौना उद्योग के संदर्भ में आलोचनात्मक परीक्षण करें।

(15 अंक, 250 शब्द)

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