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भारतीय स्टार्ट-अप्स और उनमें नवाचार की संभावना

Lokesh Pal April 18, 2025 05:15 63 0

संदर्भ

भारतीय स्टार्टअप्स की नवाचार क्षमता पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की हालिया टिप्पणी ने इस विषय पर राष्ट्रीय चर्चा प्रारंभ कर दी है।

भारतीय स्टार्टअप्स के समक्ष विद्यमान चुनौतियाँ

  • चुनौतियों का विस्तार: थिल्लई राजन इस बात पर बल देते हैं, कि स्टार्टअप ऐसे परिदृश्य में विकसित होते हैं, जो नवाचार को बढ़ावा देते हैं। नवाचार एक स्पेक्ट्रम में फैला हुआ है, जिसमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित नवाचार को प्रायः उच्चतम रूप माना जाता है।
    • भारत की उपस्थिति गहन प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में बढ़ रही है, लेकिन उच्च पूँजी आवश्यकताओं और उच्च प्रारंभिक जोखिम के कारण इसका विस्तार करना एक चुनौती बना हुआ है
  • पूँजी की कमी: स्टार्टअप इंडिया सीड फंड शुरुआती चरण की गतिविधियों के लिए ₹50 लाख की पेशकश करता है, लेकिन अनुवर्ती वित्तपोषण महत्त्वपूर्ण है। सरकारी सहायता समाप्त होने के बाद निजी पूँजी की आवश्यकता बढ़ रही है ।
  • लक्ष्य परिवर्तन : प्रारंभ में इनोवेशन का अर्थ ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म था, जिसके मद्देनजर भारतीय उपभोक्ता कहानियों  (जैसे- फ्लिपकार्ट ) पर बड़े दाँव लगाए गए थे । किन्तु अब लक्ष्य एआई , ब्लॉकचेन और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर परिवर्तित हो रहा है
  • उपभोक्ता लाभ : क्या उत्पाद नए अनुभव प्रदान करेगा ?
  • बाजार व्यवहार्यता : क्या यह बढ़ती हुई आवश्यकता को पूरा करता है ?
  • प्रतिस्पर्धात्मक लाभ : पेटेंट या मज़बूत बाजार स्थिति द्वारा समर्थित नवाचार निवेशकों द्वारा पसंद किए जाते हैं।

स्टार्टअप इंडिया का प्रभाव

  • नीतिगत उपलब्धियाँ: स्टार्टअप नीतियाँ स्वतंत्र भारत में सबसे व्यापक सरकारी पहलों में से एक हैं। 20 से अधिक केंद्रीय मंत्रालयों ने अब स्टार्टअप कार्यक्रमों को लक्षित किया है।
    • उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के अंतर्गत 1.65-1.70 लाख स्टार्टअप पंजीकृत हैं
    • ऋण पूँजी का बढ़ता प्रवाह अर्थव्यवस्था में मुख्यधारा के एकीकरण का संकेत देता है ।
  • राज्य स्तरीय भागीदारी: कई बड़े राज्यों की अपनी स्टार्टअप नीतियाँ हैं, जो विकेन्द्रीकृत प्रतिबद्धता दर्शाती हैं।
  • गुणक प्रभाव: सफल स्टार्टअप भविष्य के उद्यमियों के लिए लॉन्च पैड के रूप में कार्य करते हैं। फ्रेशवर्क्स ने अपने पूर्व विद्यार्थियों द्वारा कई स्पिन-ऑफ वेंचर्स को प्रेरित किया है।

वैश्विक अंतर्दृष्टि

  • चीन का लाभ: भारत के विपरीत, चीन ने घरेलू क्षमता निर्माण, रोज़गार को बढ़ावा देने और प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए विनिर्माण में बदलाव का उपयोग किया । चीन के राष्ट्रवादी तकनीकी दृष्टिकोण ने पारिस्थितिकी तंत्र को तेजी से परिपक्व किया
    • $12,000-$15,000 की प्रति व्यक्ति जीडीपी के साथ, चीन में एक मज़बूत उपभोक्ता अर्थव्यवस्था थी। लगभग $3,500 की प्रति व्यक्ति जीडीपी के साथ, भारत में तुलनीय उपभोक्ता व्यय शक्ति का अभाव है।
  • घरेलू उद्यम पूँजी: यद्यपि विदेशी पूँजी लाभकारी है, लेकिन भारतीय उद्यम पूँजी फर्मों को स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने की तत्काल आवश्यकता है ।

विस्तार में बाधाएँ

  • फंडिंग रणनीति दुविधा: क्या फंड को कई स्टार्टअप में प्रयोग किया जाना चाहिए या उच्च क्षमता वाले कुछ स्टार्टअप पर केंद्रित किया जाना चाहिए ? वर्तमान नीति प्रायः छोटे फंड के साथ बड़ी संख्या में सहायता करती है, लेकिन उच्च क्षमता वाली फर्मों के लिए बड़ा समर्थन आवश्यक है।
  • घरेलू पूँजी अंतराल: अधिकांश जोखिम पूँजी विदेशी स्रोतों से प्रवाहित होती है, विशेष रूप से अमेरिकी बाजार विजेताओं की पहचान करने और उन्हें पोषित करने के लिए अधिक घरेलू वित्तीय सहायता की आवश्यकता है ।

सरकार की भूमिका

  • नीतिगत परिदृश्य: सरकार ने स्टार्टअप के लिए कई क्षेत्रों को खोल दिया है। संकेत स्पष्ट हैं, लेकिन नौकरशाही (अधिकार-तंत्र) बाधाएँ कार्यान्वयन को धीमा कर देती हैं। उद्यमियों के लिए व्यापार में सुगमता एक प्रमुख चिंता बनी हुई है।
  • शहरी-ग्रामीण विभाजन: शुरुआती तकनीकी सफलता की कहानियाँ आउटसोर्सिंग (जैसे- आईटी सेवाएँ) के कारण श्रम-गहन और समावेशी थीं । बाद की सफलता, जैसे- NASDAQ पर फ्रेशवर्क्स की लिस्टिंग, उत्पाद-आधारित नवाचार की ओर परिवर्तन का संकेत देती है ।

आगे की राह

  • एथर बनाम बायजू: एथर की सफलता से लेकर बायजू की चुनौतियों तक परिणाम निम्नलिखित के महत्त्व को दर्शाते हैं:
    • सतत नवाचार
    • सुदृढ़ कॉर्पोरेट गवर्नेंस 
  • नवप्रवर्तन: प्रतिस्पर्धी बाज़ार में नवप्रवर्तन करते रहें।
  • उच्च मानक स्थापित करना: प्रशासन और उत्पाद उत्कृष्टता के लिए उच्च मानक निर्धारित करें।

निष्कर्ष

भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम एक महत्त्वपूर्ण मोड़ पर है। नीतिगत समर्थन, उद्यमशीलता का उत्साह और वैश्विक पूँजी होने के बावजूद स्केलिंग, घरेलू पूँजी निर्माण और व्यापार में सुगमता आदि में प्रमुख अंतर बने हुए हैं। मजबूत अभिशासन, निरंतर नवाचार और नीतिगत परिशोधन का मिश्रण भारतीय स्टार्टअप को वैश्विक नेताओं में बदलने में महत्त्वपूर्ण होगा।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न 

भारत में स्टार्टअप वृद्धि मात्रा के संबंध में महत्त्वपूर्ण रही है, लेकिन गुणवत्ता के संदर्भ में इसकी स्थिति अभी भी संदिग्ध है। आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए, कि तेजी से स्केलिंग और मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित करने से क्षेत्र में दीर्घकालिक नवाचार और स्थिरता को किस प्रकार प्रभावित किया जा सकता है।

(15 अंक, 250 शब्द)

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