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Lokesh Pal
July 02, 2025 05:00
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यह विचार कि “जिस विचार का समय आ गया है उसे कोई नहीं रोक सकता” भारत में दो टाइम ज़ोन (time zone) को लागू करने की सामयिक प्रासंगिकता को दर्शाता है।
20वीं सदी के मध्य में उठाई गई आपत्तियाँ आज काफी हद तक अप्रासंगिक हैं। दो टाइम ज़ोन के लिए एक महत्त्वपूर्ण व मजबूत रणनीति के साथ अनेक कारकों पर आधारित है:
अतः इस संदर्भ में, यह अनुशंसा की जाती है कि प्रधानमंत्री कार्यालय के अंतर्गत एक अंतर-मंत्रालयी टास्क फोर्स का गठन किया जाए, जिसमें नीति आयोग की सक्रिय भागीदारी हो, ताकि देश के लिए कम से कम दो टाइम ज़ोन शुरू करने के प्रस्ताव की गहन जांच और क्रियान्वयन किया जा सके। यह अधिक कुशल, उत्पादक और सुव्यवस्थित भारत को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
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