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Lokesh Pal October 28, 2024 05:30 58 0
आधुनिक होते समाज में अब भारतीय विवाह प्रथा जो एक संस्कार था अब अंतरंग समारोहों, धार्मिक परंपराओं से हटकर कई दिनों तक चलने वाले भव्य समारोहों में बदल गई हैं। जिनमें विस्तृत कार्यक्रम और बढ़ते खर्च शामिल हैं। यह बदलाव सांस्कृतिक परिवर्तनों और बढ़ते उपभोक्ता विश्वास को दर्शाता है, जो विपणक को विवाह उद्योग में शामिल होने के नए अवसर प्रदान करता है।
जैसा कि भारतीय विवाह एक प्रथागत संस्था है । अतः आदर्श रूप से, भारतीय विवाह में आनंद, एकता और परंपरा का संतुलन होना चाहिए, बिना अत्यधिक वित्तीय या सामाजिक बोझ डाले, विवाह के सार को एक सार्थक और साझा पारिवारिक समारोह के रूप में संरक्षित किया जाना चाहिए।
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