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विज्ञान के क्षेत्र में भारतीयों को 94 वर्षों के बाद भी कोई नोबेल नहीं

Lokesh Pal October 18, 2024 03:28 72 0

संदर्भ : 

विज्ञान की गौरवशाली विरासत के बावजूद, भारत ने 1930 में सी.वी. रमन के बाद से नोबेल के क्षेत्र में कोई पुरस्कार हासिल नहीं किया है। यह एक मजबूत अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र और नवाचार के लिए बढ़े हुए समर्थन की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

विज्ञान के क्षेत्र में भारतीय नोबेल पुरस्कार विजेता

  • सी.वी. रमन भारत में अपने अनुसंधान करते हुए विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले एकमात्र भारतीय हैं। उन्हें भौतिकी के लिए नोबेल पुरस्कार (1930) प्रदान किया गया था।

अन्य भारतीय मूल के नोबेल पुरस्कार विजेता 

  • भारतीय मूल के अन्य नोबेल पुरस्कार विजेताओं में हरगोविंद खुराना (चिकित्सा, 1968), सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर (भौतिकी, 1983) और वेंकटरमण रामकृष्णन (रसायन विज्ञान, 2009) शामिल हैं, लेकिन उन्होंने अपने अनुसंधान विदेश में किए और पुरस्कार मिलने के समय वे भारतीय नागरिक नहीं थे।

भारत की  वैज्ञानिक प्रगति के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ

  • मौलिक या बुनियादी शोध पर सीमित रुख : भारत ऐसे अनुप्रयुक्त शोध को प्राथमिकता देता है जो तत्काल परिणाम प्रदान करते हैं, जबकि मौलिक या बुनियादी शोध, जो वैज्ञानिक सफलताओं के लिए महत्वपूर्ण है, पर सीमित ध्यान दिया जाता है। यह असंतुलन दीर्घकालिक वैज्ञानिक प्रगति में बाधा डालता है।
  • अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा एवं अनुदान : भारतीय शोधकर्ताओं के समक्ष यह सबसे प्रमुख  समस्या है क्योंकि अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा, अनुदान राशि और शोध संसाधन नवाचार और विकास के मार्ग पर अंकुश लगाते हैं।
  • नौकरशाही एवं लालफीताशाही : अनुमति और अनुमोदन के लिए बोझिल कागजी कार्रवाई सहित अत्यधिक प्रशासनिक प्रक्रियाएँ रचनात्मकता को प्रभावित करती हैं। जिससे शोध प्रक्रिया धीमी हो जाती हैं, जिससे वैज्ञानिकों के लिए केवल नवाचार पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है।
  • निजी क्षेत्र की सीमित भागीदारी : भारतीय निजी कंपनियों में शोध और विकास में निवेश करने के लिए प्रोत्साहन की कमी है। इसका मुख्य कारण उच्च जोखिम और अनिश्चित रिटर्न है। इससे अभूतपूर्व खोजों की संभावना कम हो जाती है।
  • शोध संस्थानों में गिरावट एवं शिक्षण पर ज़ोर : भारतीय विश्वविद्यालय शोध से ज़्यादा शिक्षण पर ज़ोर देते हैं, यहाँ तक कि विश्व स्तरीय प्रयोगशालाएँ रखने वाले संस्थान भी MIT या हार्वर्ड जैसे वैश्विक संस्थानों की तुलना में कम प्रदर्शन करते हैं।
  • शोधकर्ताओं की अपर्याप्त संख्या : भारत में अत्याधुनिक शोध में लगे अपेक्षाकृत कम संस्थान हैं, और प्रति व्यक्ति शोधकर्ताओं की संख्या वैश्विक औसत से पाँच गुना कम है। प्रतिभा का यह छोटा सा समूह नोबेल-योग्य वैज्ञानिक योगदान की संभावना को बाधित करता है।

नोबेल पुरस्कार हेतु नामांकन प्रक्रिया

  • नोबेल पुरस्कार के लिए हर व्यक्ति, संस्था या समूह को नामांकित नहीं किया जा सकता है । हालांकि प्रत्येक वर्ष हज़ारों व्यक्तियों से बने एक चुनिंदा समूह को संभावित उम्मीदवारों को नामांकित करने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इस पैनल में विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, वैज्ञानिक और पिछले नोबेल पुरस्कार विजेता शामिल होते हैं।
  • नामांकित किए गए व्यक्तियों के नाम कम से कम 50 वर्षों तक सार्वजनिक नहीं किए जाते हैं। इस अवधि के बाद भी, डेटा को बहुत आवश्यक होने पर ही अपडेट किया जाता है।
    • उदाहरण के लिए, भौतिकी और रसायन विज्ञान से संबंधित पुरस्कारों के लिए नामांकन वर्ष 1970 तक उपलब्ध हैं, जबकि चिकित्सा पुरस्कार के लिए नामांकन केवल 1953 तक ही उपलब्ध किए गए हैं।
  • नोबल पुरस्कार हेतु नामांकित छः प्रमुख भारतीय वैज्ञानिक निम्न थे।
    • भौतिकी के पुरस्कार के लिए मेघनाद साहा, होमी भाभा और सत्येंद्र नाथ बोस को नामित किया गया था, जबकि रसायन विज्ञान के पुरस्कार के लिए जी एन रामचंद्रन और टी शेषाद्रि को नामित किया गया था।
    • चिकित्सा या फिजियोलॉजी के पुरस्कार के लिए नामित एकमात्र भारतीय उपेंद्रनाथ ब्रह्मचारी थे।
    • सभी छह को अलग-अलग व्यक्तियों द्वारा कई बार नामित किया गया था।

नोबेल पुरस्कार से नजरंदाज किए गए भारतीय वैज्ञानिक

  • जगदीश चंद्र बोस : 1895 में वायरलेस संचार का पहला प्रदर्शन करने वाले व्यक्ति होने के बावजूद, बोस को नोबल की श्रेणी से नजरअंदाज कर दिया गया और 1909 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मारकोनी और ब्राउन को दिया गया।

नोट : जगदीश चंद्र बोस को अपनी खोजों का पेटेंट कराने में कोई दिलचस्पी नहीं थी क्योंकि वह अपने आविष्कारों से पैसा कमाने में रुचि नहीं रखते थे। उनका मानना ​​था कि विज्ञान सभी के लिए खुला होना चाहिए।

  • के.एस. कृष्णन : सी.वी. रमन के सहयोगी और रमन प्रकीर्णन प्रभाव के सह-खोजकर्ता कृष्णन को उनके महत्वपूर्ण योगदान के बावजूद नोबेल पुरस्कार के लिए नामित नहीं किया गया।
  • सी.एन.आर. राव : हालांकि 1970 के बाद के नामांकनों का अभी तक खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन ठोस अवस्था रसायन विज्ञान में सी.एन.आर. राव के काम को लंबे समय से नोबेल के योग्य माना जाता रहा है, लेकिन उन्हें अब तक यह सम्मान नहीं मिल पाया है।

नोट : ईसीजी सुदर्शन को नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित श्रेणी में , दो बार अनदेखा किया गया। 1979 और 2005 में भौतिकी पुरस्कार उन कार्यों के लिए दिए गए जिनमें सुदर्शन ने कुछ सबसे मौलिक योगदान दिए थे।

ईसीजी सुदर्शन, का वर्ष 2018 में निधन हो गया। वह 1965 में एक अमेरिकी नागरिक बन गए, और उन्होंने अपने अधिकांश महत्वपूर्ण कार्य संयुक्त राज्य अमेरिका में ही सम्पन्न किए।

विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार विजेताओं का वैश्विक स्तर पर वितरण 

  • उभरती वैज्ञानिक शक्तियों का संघर्ष : विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने की चुनौतियों में भारत अकेला नहीं है। चीन और इज़राइल जैसे देशों में अनुसंधान में महत्वपूर्ण निवेश के बावजूद, पुरस्कार विजेताओं की संख्या आश्चर्यजनक रूप से कम है:
    • इजराइल : विज्ञान में उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद, इजराइल ने इस क्षेत्र में केवल 4 नोबेल पुरस्कार (सभी रसायन विज्ञान में) प्राप्त किए हैं, जबकि यहूदी समुदाय के 150 से अधिक पुरस्कार विजेताओं को दुनिया भर में मान्यता मिली है।
    • चीन : भारत की तुलना में प्रति मिलियन चार गुना अधिक शोधकर्ता और तीन गुना अधिक अनुसंधान एवं विकास व्यय, फिर भी विज्ञान में केवल तीन नोबेल विजेता।
    • दक्षिण कोरिया : एक मजबूत अनुसंधान क्षमता, वाला देश होने के बावजूद भी कोई नोबेल पुरस्कार नहीं जीता है।
  • नोबेल पुरस्कारों में पश्चिमी प्रभुत्व : विज्ञान के नोबेल पुरस्कारों पर मुख्यतः अमेरिका और यूरोप का प्रभुत्व है :
  • भौतिकी के 227, रसायन विज्ञान के 197 और चिकित्सा के 229 पुरस्कार विजेताओं में से केवल 13, 15 और 7 ही क्रमशः एशिया, अफ्रीका या दक्षिण अमेरिका से हैं। 
  • उत्तरी अमेरिका और यूरोप के अलावा, केवल नौ देशों में विज्ञान में नोबेल पुरस्कार विजेता हैं, जिनमें से जापान 21 पुरस्कारों के साथ सबसे आगे है।
  • असमानता के लिए उत्तरदायी कारक :
    • हालांकि नोबल के क्षेत्र में भी क्षेत्रीय या नस्लीय पूर्वाग्रह के दावे मौजूद हैं, लेकिन अमेरिका और यूरोप में अनेक शोध पारिस्थितिकी तंत्र – जिसमें पर्याप्त संसाधन, बड़ी संख्या में शोधकर्ता और शीर्ष रैंकिंग वाले विश्वविद्यालय शामिल हैं, जो एक महत्वपूर्ण कारक बना हुआ है।
    • हालांकि, स्वच्छ ऊर्जा, क्वांटम कंप्यूटिंग और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी नई तकनीकों में चीन के भारी निवेश के साथ, नोबेल परिदृश्य में इसकी संभावनाएं बेहतर हो सकती हैं।

निष्कर्ष :

भारत को नोबेल पुरस्कार की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए, उसे बुनियादी शोध और बढ़ी हुई फंडिंग पर केंद्रित एक मजबूत वैज्ञानिक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण को प्राथमिकता देनी चाहिए। बढ़े हुए शोध प्रोत्साहन और नवाचार भारत की वैश्विक वैज्ञानिक स्थिति को मजबूत करके भविष्य में पुरस्कार जीतने की उसकी संभावनाओं को सुदृढ़ करने में सहायक हो सकता है।

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न : विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद, भारत में रहने वाले किसी भी भारतीय वैज्ञानिक ने पिछले 94 वर्षों में नोबेल पुरस्कार नहीं जीता है। हालांकि यह तथ्य भारतीय शोध पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर मौजूद चुनौतियों को दर्शाता है, लेकिन अन्य अंतर्निहित कारक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चर्चा करें। (15 अंक , 250 शब्द)

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