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भारत की ग्रीन वॉल परियोजना: मरुस्थलीकरण को रोकने का एक आवश्यक प्रयास

Lokesh Pal May 09, 2025 05:00 5 0

संदर्भ:

अफ्रीकी संघ की 2007 की पहल से प्रेरित ग्रीन वॉल परियोजनाओं का उद्देश्य मरुस्थलीकरण से निपटना है। भारत ने दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में इसी तरह की योजना अपनाई है, लेकिन उसे वित्तपोषण और समन्वय जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

अफ़्रीकी संघ की ग्रीन वॉल परियोजना (2007)

  • मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए 8,000 किलोमीटर क्षेत्र में वृक्षारोपण: मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए 11 देशों में 8,000 किलोमीटर क्षेत्र में वृक्षारोपण करने का लक्ष्य।
  • मोज़ेक मॉडल के लिए परियोजना दृष्टिकोण में परिवर्तन: 2030 तक लक्ष्य पूरा करना, लेकिन परियोजना मोज़ेक दृष्टिकोण (वन, कृषि भूमि, चरागाह) में बदल गई।
  • संशोधित वनारोपण लक्ष्य और चुनौतियाँ: वनारोपण लक्ष्य घटाकर 100 मिलियन हेक्टेयर कर दिया गया है, लेकिन चुनौतियों में वित्तपोषण और समन्वय शामिल हैं।
  • भौतिक लक्ष्य प्राप्ति: भौतिक लक्ष्य का 18% प्राप्त किया गया।

संयुक्त राष्ट्र COP16 (2024)

  • भूमि पुनरुद्धार और सूखा प्रतिरोध हेतु वैश्विक प्रतिज्ञा: 200 देशों ने भूमि पुनरुद्धार और सूखा प्रतिरोध को प्राथमिकता देने की प्रतिज्ञा की।
  • उद्देश्य: भूमि क्षरण को कम करना तथा भोजन, जल, आश्रय और आर्थिक अवसरों तक पहुँच सुनिश्चित करना।

भारत की ग्रीन वॉल पहल (2024)

  • कई राज्यों में ग्रीन वॉल (हरित पट्टी) बनाने की योजना: दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में 1,400 किलोमीटर लंबी हरित पट्टी बनाने की योजना है।
  • ग्रीन वॉल परियोजना के घटक: इसमें प्राकृतिक वन, वृक्षारोपण, पुनर्स्थापित कृषि भूमि, चरागाह और जल निकाय शामिल होंगे।
  • अफ्रीका की ग्रेट ग्रीन वॉल: अफ्रीका की ग्रेट ग्रीन वॉल से प्रेरित होकर, इसका लक्ष्य 2027 तक 1.15 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर पुनः वनारोपण करना है।
  • परियोजना लागत और वित्तपोषण विवरण: ₹7,500 करोड़, जिसमें से 78% केंद्र द्वारा और 20% राज्यों द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा।

पर्यावरणीय एवं भौगोलिक प्रभाव

  • मरुस्थलीकरण संरक्षण में अरावली पहाड़ियों की भूमिका: अरावली पहाड़ियाँ मरुस्थलीकरण से सुरक्षा प्रदान करती हैं और जलवायु को नियंत्रित करती हैं।
  • दिल्ली एनसीआर में वनोन्मूलन और शहरीकरण का प्रभाव: वनोन्मूलन, पत्थर खनन और शहरीकरण ने दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण तथा चरम मौसम का कारण बना है।

भारत की पर्यावरण प्रतिबद्धता (पेरिस जलवायु समझौता)

  • 2030 तक बंजर भूमि पर वनारोपण करने की प्रतिबद्धता: 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर बंजर भूमि पर वनारोपण करने की प्रतिबद्धता।
  • लक्ष्य: 2030 तक 2 गीगाटन कार्बन अवशोषण क्षमता जोड़ना।
  • निम्नीकृत भूमि पर वनारोपण में चुनौतियाँ: प्रशासनिक जटिलताओं और भूमि स्वामित्व संबंधी मुद्दों के कारण।

परियोजना चुनौतियाँ

  • संरक्षण पर ध्यान नहीं: राजस्व विभाग के नियंत्रण में बंजर भूमि, जिसके संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
  • भूमि स्वामित्व और सहयोग में जटिलताएँ: प्रस्तावित हरित पट्टी के साथ निजी भूमि स्वामित्व, भूमि अधिग्रहण या सहयोग को जटिल बनाता है।
  • सरकारी विभागों के बीच समन्वय के मुद्दे: वन और राजस्व विभागों के बीच समन्वय की चुनौतियाँ।
  • जिला स्तर पर प्रगति की निगरानी: जिला स्तर पर प्रगति की निगरानी और लक्ष्यों को विभाजित करने पर ध्यान नहीं दिया गया है।

परियोजना कार्यान्वयन

  • समन्वय, पौध (Seedling) और योजना का महत्त्व: 2027 के लक्ष्य को पूरा करने के लिए कठोर समन्वय, गुणवत्तापूर्ण पौध और सावधानीपूर्वक योजना की आवश्यकता है।
  • पौधरोपण की सफलता के लिए मानसून के साथ तालमेल: सर्वोत्तम सफलता के लिए नर्सरी और पौधरोपण कार्यक्रम को मानसून के मौसम के साथ तालमेल में रखना आवश्यक है।
  • बाढ़ और सूखे के जोखिम का समाधान: वृक्षारोपण की सफलता को प्रभावित करने वाले बाढ़ और सूखे के जोखिम का समाधान करने की आवश्यकता है।
  • भविष्य के परिणामों को बेहतर बनाने के लिए अतीत की असफलताओं से सीखना: परिणामों को बेहतर बनाने के लिए अतीत की वृक्षारोपण असफलताओं से सीखना महत्त्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

इन परियोजनाओं की सफलता मुख्य चुनौतियों पर नियंत्रण पाने पर निर्भर करती है। अगर इन्हें प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, तो ये भूमि पुनर्स्थापन और जलवायु परिवर्तन शमन में महत्त्वपूर्ण रूप से सहायक हो सकती हैं।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

भारत की प्रस्तावित ग्रीन वॉल परियोजना एक पारिस्थितिक आवश्यकता और एक प्रशासनिक चुनौती दोनों है। आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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