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Lokesh Pal
August 22, 2024 05:00
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परमाणु सिद्धांत का विकास : 1998 के बाद भारत ने अपनी परमाणु रणनीति को परिभाषित किया। 17 अगस्त, 1999 को पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) के संयोजक के. सुब्रह्मण्यम ने भारत के पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा को परमाणु सिद्धांत का मसौदा प्रस्तुत किया। इस दस्तावेज़ ने भारत के परमाणु सिद्धांत की नींव रखी, जिसमें विश्वसनीय न्यूनतम निवारक और नो फर्स्ट यूज़ (NFU) पर ज़ोर दिया गया। इस सिद्धांत को 2003 में लागू किया गया।
भविष्य की ओर देखते हुए, भारत को स्थायी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दो स्तरों पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है। पहला है विश्वसनीय निवारक का संकेत देने के लिए पर्याप्त और लचीली जवाबी क्षमता का निर्माण करके तत्काल सुरक्षा खतरों का समाधान करना। दूसरे स्तर पर, भारत को शांति और सार्वभौमिक परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए अनुकूल वैश्विक वातावरण के निर्माण की दिशा में दीर्घकालिक अभिनव कूटनीतिक निवेश करने की आवश्यकता है। अन्य सुझाव निम्नलिखित हैं –
स्पष्ट है कि 25 वर्ष पूर्व मसौदे में प्रस्तुत सिद्धांत की मूल विशेषताएँ, समकालीन परमाणु प्रवृत्तियों के सामने वैध बनी हुई हैं। वास्तव में भारत का परमाणु सिद्धांत परमाणु स्थिरता का प्रतीक है, जबकि अन्य देश ऐसे व्यवहार में लिप्त हैं, जो हेजिंग रणनीतियों तथा हथियारों की दौड़ के चक्र को प्रोत्साहित करता है। आज के परमाणु युद्धों के बीच भारत का सिद्धांत एक शांति का प्रतीक है।
मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्नवर्तमान भू-राजनीतिक गतिशीलता के संदर्भ में भारत के परमाणु सिद्धांत की प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिए । यह भारत की रणनीतिक सुरक्षा चिंताओं को कैसे संबोधित करता है तथा क्षेत्रीय स्थिरता में कैसे योगदान देता है? (15 अंक, 250 शब्द) |
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