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रक्षा क्षेत्र में ‘थिएटर कमांड’ बनाने की भारत की योजना और संबंधित चुनौतियाँ

Lokesh Pal September 08, 2025 05:15 77 0

संदर्भ:

हाल ही में, मध्य प्रदेश के डॉ. अंबेडकर नगर (महू) में आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित ट्राई-सर्विस सेमिनार में थिएटर कमांड की संरचना को लेकर रक्षा सेवा नेतृत्व के मध्य मतभेद स्पष्ट रूप से सामने आए।

रक्षा नेतृत्व में मतभेद:

  • भारतीय वायुसेना प्रमुख की चेतावनी: एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने जल्दबाजी में सैन्य तैनाती के खिलाफ चेतावनी दी और संयुक्तता को मजबूत करने के लिए दिल्ली में चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के तहत एक संयुक्त योजना और समन्वय केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव रखा
  • नौसेना प्रमुख की प्रतिबद्धता: एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने कहा, कि भारतीय नौसेना अपने संचार, कमान और युद्ध प्रणालियों को अन्य सेवाओं के साथ एकीकृत करने हेतु पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
  • सीडीएस की भूमिका को संतुलित करना: सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने आश्वासन दिया, कि सेवाओं के बीच मतभेदों को दूर किया जाएगा तथा उन्होंने थिएटर कमांड सुधारों को आगे बढ़ाने में अपनी भूमिका की पुष्टि की।

थिएटर कमांड की अवधारणा:

  • एकीकृत कमान संरचना: एकीकृत कमान संरचना का उद्देश्य तीनों सेनाओं को थिएटर कमान में एकीकृत करना है, जो एक ही कमांडर के अधीन परिभाषित भौगोलिक क्षेत्रों में कार्य करेगी।
  • वर्तमान संरचना: वर्तमान में, थल सेना और वायुसेना के पास सात-सात कमान हैं, जबकि नौसेना के पास तीन कमान हैं, इसके अलावा ट्राई-सर्विस अंडमान और निकोबार कमान तथा सामरिक बल कमान भी हैं।
  • संस्थागत ढाँचा: कारगिल युद्ध के बाद बनाया गया एकीकृत रक्षा स्टाफ मुख्यालय पहले से ही उच्च रक्षा सुधारों के लिए आधार के रूप में कार्य कर रहा है।

थिएटर कमांड का औचित्य:

  • युद्ध की बदलती प्रकृति: भविष्य के युद्ध बहु-क्षेत्रीय होंगे, जिसमें भूमि, समुद्र और वायु संचालन के अलावा साइबर, अंतरिक्ष, ड्रोन तथा सटीक आधुनिक हथियार भी शामिल होंगे।
  • संयुक्त योजना की आवश्यकता: एकल थिएटर कमान संरचना ऐसे जटिल संघर्षों के दौरान परिसंपत्तियों के बेहतर एकीकरण तथा समन्वय की अनुमति देगी
  • वैश्विक सैन्य सर्वोत्तम प्रथाएँ: उन्नत सेनाओं के उदाहरण का अनुसरण करते हुए भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है, कि उसकी सेनाएँ अलग-अलग क्षेत्रों में युद्ध करने की बजाय संयुक्त रूप से लड़ें।

संयुक्तता के लिए समानांतर उपाय:

  • अधिकारियों की क्रॉस-पोस्टिंग: अंतर-सेवा समन्वय को मजबूत करने और परिचितता बढ़ाने के लिए अधिकारियों को विभिन्न सेवाओं में तैनात किया जा रहा है।
  • संयुक्त लॉजिस्टिक्स नोड्स का निर्माण: कई लॉजिस्टिक्स केंद्र अब कार्यकुशलता में सुधार लाने और दोहराव को कम करने के लिए तीनों सेवाओं की सेवा दे रहे हैं
  • संयुक्त खरीद और प्रशिक्षण: दोनों सेनाओं ने बेहतर कार्यान्वयन को बढ़ावा देने के लिए खरीद, प्रशिक्षण और स्टाफिंग के लिए साझा योजना आरंभ की है।

थिएटर कमांड के विचार का विकास:

  • 2019 में राजनीतिक घोषणा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना के कामकाज को एकीकृत करने के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद के सृजन की घोषणा की।
  • डीएमए का गठन: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सीडीएस के अधीन सैन्य मामलों का विभाग बनाया, जिसका कार्य विभिन्न कमानों का पुनर्गठन और स्वदेशी उपकरणों को बढ़ावा देना है।
  • सीडीएस का अधिदेश: सीडीएस को संयुक्त खरीद को आगे बढ़ाने, संयुक्त कमान स्थापित करने और संसाधनों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करने का कार्य सौंपा गया था।

2020 से अब तक के घटनाक्रम:

  • चार कमानों का प्रारंभिक प्रस्ताव: जनरल बिपिन रावत ने चार थिएटर कमान बनाने का सुझाव दिया, जिनमें शामिल हैं:
    • वायु रक्षा कमान (राष्ट्रीय वायु रक्षा के लिए)
    • समुद्री थिएटर कमान (हिंद महासागर क्षेत्र के लिए)
    • पश्चिमी कमान (पाकिस्तान सीमा के लिए)
    • पूर्वी कमान (चीन सीमा के लिए)
      • इस मॉडल से यह पता चलता है, कि इन चार कमांडरों के पास तीनों सेनाओं के संसाधन होंगे।
      • मौजूदा सेवा प्रमुखों (सेना प्रमुख, नौसेना प्रमुख, एयर मार्शल) की भूमिकाएँ सक्रिय युद्ध संचालन की बजाय मुख्य रूप से भर्ती, प्रशिक्षण और बलों को बनाए रखने तक सीमित कर दी जाएंगी।
      • इस मॉडल को कठोर विरोध का सामना करना पड़ा, विशेष रूप से वायु सेना से।
  • शत्रु-आधारित कमानों की ओर बदलाव: जनरल अनिल चौहान ने बाद में शत्रु-विशिष्ट कमानों का प्रस्ताव रखा एक पाकिस्तान के लिए, एक चीन तथा एक समुद्री क्षेत्र के लिए।
  • उत्तरदायित्व का आवंटन: प्रशिक्षण और निरंतरता संबंधी भूमिकाएँ सेवा प्रमुखों के पास छोड़ने पर विचार किया गया, जबकि थिएटर कमांडर परिचालनों को नियंत्रित करेंगे।
  • विचार-विमर्श और अभ्यास: कमांड संरचनाओं, मुख्यालय स्थानों और कमांड उत्तरदायित्व का परीक्षण करने के लिए कई अध्ययन, टेबलटॉप अभ्यास और योजना सत्र आयोजित किए गए।

थिएटर कमांड बनाने में चुनौतियाँ:

  • स्थापित संरचनाओं का विघटन: थिएटर कमांडों के लिए सेवा-विशिष्ट कमांड संरचनाओं को समाप्त करना आवश्यक है, जो 70 वर्षों से अधिक समय से अस्तित्व में हैं।
  • भारतीय वायु सेना की चिंताएँ: विशेष रूप से वायु सेना में लड़ाकू विमानों की कमी है, जिसके पास 42 की स्वीकृत क्षमता के मुकाबले केवल 30-32 स्क्वाड्रन ही हैं।
    • वायु सेना का तर्क है, कि वायु शक्ति अविभाज्य है और इसे विभिन्न कमांडों में विभाजित नहीं किया जाना चाहिए।
      • उन्हें भय है, कि विशिष्ट थिएटरों में हवाई परिसंपत्तियों को आवंटित करने से उनकी समग्र रणनीतिक लचीलापन कम हो जाएगा, क्योंकि संघर्ष के समय इन परिसंपत्तियों की कहीं भी आवश्यकता पड़ सकती है।
  • सैद्धांतिक आपत्तियाँ: सेना और नौसेना के कमांडर अक्सर वायु सेना को जमीनी सैनिकों के लिए मात्र “सहायक भूमिका” के रूप में देखते हैं।
    • हालाँकि, भारतीय वायु सेना का सिद्धांत यह दावा करता है, कि वायु शक्ति एक स्वतंत्र रणनीतिक भूमिका निभाती है, जो दुश्मन के इलाके में अंदर तक हमला करने में सक्षम है।
    • वायु सेना को भय है, कि इससे वायु परिसंपत्तियों का अकुशल उपयोग हो सकता है।
  • अतिरिक्त नौकरशाही का जोखिम: आलोचकों का तर्क है, कि थिएटर कमांड निर्णय लेने की शृंखला को छोटा करने की बजाय उसे और अधिक लंबा बना सकती है।
  • विदेशी मॉडलों की नकल: एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने इस बात पर जोर दिया, कि भारत को अमेरिकी मॉडल की तरह विदेशी उदाहरणों की आँख मूंदकर नकल करने की बजाय अपनी आवश्यकताओं के अनुसार थिएटर कमान का निर्माण करना चाहिए

वैश्विक उदाहरण:

  • अमेरिका: अमेरिकी सेना इंडोपैकॉम (इंडो-पैसिफिक कमांड) और सेंटकॉम (सेंट्रल कमांड) जैसी कमांडों के साथ थिएटर कमांड मॉडल पर कार्य करती है। हालाँकि, अमेरिका के पास विशाल सैन्य संसाधन हैं, जिससे वह अपनी संपत्ति विशेष कमांडों को समर्पित कर सकता है, जबकि सीमित संसाधनों वाले भारत के मामले में ऐसा नहीं है।
  • चीन: चीन ने भी अपनी सेना को थिएटर कमांड में बदल दिया है, जहाँ पाँच कमांड अलग-अलग सीमाओं की सुरक्षा के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जिनमें भारत के लिए एक विशेष पश्चिमी कमांड भी शामिल है। थिएटर कमांड के प्रति भारत के दृष्टिकोण को चीन से प्रेरित माना जाता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

भारत अपनी सशस्त्र सेनाओं के संयुक्त संचालन और उसकी प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए थिएटरीकरण की प्रक्रिया में है। आधुनिक बहु-क्षेत्रीय युद्ध के संदर्भ में भारत में थिएटर कमांड की आवश्यकता का परीक्षण कीजिए।

(10 अंक, 150 शब्द)

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