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वैश्विक एआई वार्तालाप व विनियमन में भारत की प्रासंगिकता

Lokesh Pal February 08, 2025 05:15 24 0

संदर्भ: 

नवंबर 2024 में, बुज़ुर्गों की देखभाल पर घंटों चर्चा करने के बाद, मिशिगन, यूएसए में एक  स्नातकोत्तर छात्र को AI चैटबॉट, जेमिनी से एक चौंकाने वाला संदेश मिला: “यह तुम्हारे लिए हैमानव… तुम समय और संसाधनों की बर्बादी कर रहे हो… तुम ब्रह्मांड पर एक दाग हो। कृपया मर  जाओ।” आमतौर पर ऐसा संदेश किसी कमज़ोर व्यक्ति को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता था, खासकर किसी ऐसे व्यक्ति को जो अवसाद से जूझ रहा हो। यह नुकसान को रोकने के लिए मजबूत AI विनियमन की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

एआई विनियमन की बढ़ती आवश्यकता:

  • सीमाओं से परे परिणाम : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) उद्योगों, अर्थव्यवस्थाओं और वैश्विक राजनीति को बदल रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रभाव सीमाओं के पार तक विस्तृत है, जहाँ डेटा, एल्गोरिदम और नवाचार देशों के बीच स्वतंत्र रूप में, देखे जा सकते हैं।
  • सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव : इस परस्पर जुड़ी दुनिया का मतलब है कि हम सभी को AI के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के प्रभावों का सामना करना पड़ता है। परिणामस्वरूप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए उचित सुरक्षा मानकों को विकसित करने के लिए वैश्विक सहयोग आवश्यक है।
  • भारत की स्थिति भारत, जो तेजी से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अपना रहा है, को इन वैश्विक प्रयासों में भाग लेना चाहिए। वर्तमान में, भारत में कोई राष्ट्रीय AI सुरक्षा संस्थान या तंत्र नहीं है। फिर भी, AI को विनियमित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयास पहले से ही चल रहे हैं।

वैश्विक एआई सुरक्षा प्रयास:

  • एआई सुरक्षा संस्थानों का अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क: नवंबर 2024 में सैन फ्रांसिस्को में एआई सुरक्षा संस्थानों का अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क बनाया गया। इस नेटवर्क का उद्देश्य देशों को एक साथ लाना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एआई का तर्कसंगत व सुरक्षित विकास हो। 
    • एआई सुरक्षा विज्ञान विकसित करना : यह सियोल आशय कथन पर आधारित है, जिस पर उस वर्ष की शुरुआत में ही हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते ने देशों को एआई सुरक्षा विज्ञान विकसित करने के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित किया।
    • उद्देश्य: यह नेटवर्क सहयोग के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है, जहां विशेषज्ञ विचारों को साझा कर सकते हैं, वैश्विक सुरक्षा मानक बना सकते हैं और उभरते जोखिमों का समाधान कर सकते हैं।
  • भारत की अवस्थिति हालाँकि, भारत अभी भी इस महत्वपूर्ण नेटवर्क का हिस्सा नहीं है, भले ही वह दुनिया भर में एआई विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाता है।

भारत के वैश्विक एआई सुरक्षा चर्चाओं में शामिल होने के कारण :

  • सबसे बड़े उपयोगकर्ता: भारत दुनिया में AI के सबसे अधिक उपयोगकर्ताओं वाले राष्ट्रों में से एक है। बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में AI अपनाने की दर 30% है, जो वैश्विक औसत 26% से ज़्यादा है।
  • भारत में चैटजीपीटी उपयोगकर्ताओं की संख्या : भारत में चैटजीपीटी उपयोगकर्ताओं की संख्या संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है। 
  • चर्चा में शामिल होने की आवश्यकता: चूंकि स्वास्थ्य सेवा, वित्त, कृषि और लॉजिस्टिक्स जैसे उद्योगों में एआई का उपयोग बढ़ रहा है, इसलिए भारत के लिए एआई सुरक्षा और विनियमन के बारे में चर्चा में भाग लेना महत्वपूर्ण है।
    • वैश्विक संवाद मंचों में शामिल होकरभारत यह सुनिश्चित कर सकता है कि उसका AI पारिस्थितिकी तंत्र सुरक्षित, नैतिक और प्रतिस्पर्धी बना रहे । इससे भारत को जिम्मेदार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विकास में वैश्विक नेता के रूप में अपनी स्थिति बनाने में भी मदद मिलेगी।

वैश्विक एआई सुरक्षा में शामिल न होने के जोखिम:

  • भू-राजनीतिक हथियार के रूप में एआई: जैसे-जैसे एआई का भविष्य अधिक शक्तिशाली होता जा रहा है, संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों ने इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया है।
    • उदाहरण के लिएअमेरिका ने उन्नत एआई सॉफ्टवेयर पर निर्यात नियंत्रण लगाने का सुझाव दिया है, जिसका मुख्य उद्देश्य कुछ प्रौद्योगिकियों तक चीन की पहुंच को सीमित करना है।
  • वैश्विक नीतियों का भारत पर प्रभाव : इन नीतियों से भारत भी प्रभावित हो सकता है, क्योंकि भारत के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विकास के लिए आवश्यक AI उपकरण और प्रौद्योगिकियां प्रतिबंधित हो सकती हैं।
    • अंतर्राष्ट्रीय एआई सुरक्षा मंचों में सक्रिय भागीदारी से भारत को अपने हितों की रक्षा करने में मदद मिलेगी तथा वैश्विक सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
    • इन चर्चाओं में भारत की भागीदारी से वैश्विक ढांचे को आकार देने में मदद मिलेगी जो निष्पक्षता, पारदर्शिता और सुरक्षा को बढ़ावा देंगे।
    • इससे अंतर्राष्ट्रीय निवेश भी आकर्षित होगा , जिससे भारतीय स्टार्टअप्स को वैश्विक बाजारों तक पहुंचने और एआई नवाचार को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

प्रौद्योगिकी और समावेशन के साथ भारत का अनुभव:

  • भारत के पास एक मजबूत एआई पारिस्थितिकी तंत्र है।
  • भारत में एक मजबूत आईटी क्षेत्र और कुशल कार्यबल भी है।
  • डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI): भारत ने पहले ही आधार (राष्ट्रीय पहचान प्रणाली) और एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) जैसी बड़े पैमाने की प्रौद्योगिकी पहलों को प्रबंधित करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। 
  • भारत किफायती, स्केलेबल और समावेशी एआई समाधान बना सकता है

आगे की राह:

  • राष्ट्रीय एआई सुरक्षा संस्थान की स्थापना: संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप ने पहले ही एआई के जिम्मेदार विकास को विनियमित करने और सुनिश्चित करने के लिए समर्पित एआई सुरक्षा संस्थान स्थापित किए हैं।
    • भारत में वर्तमान में एआई सुरक्षा पर विशेष रूप से केंद्रित एक राष्ट्रीय संस्थान का अभाव है, जो इसके एआई पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
  • वैश्विक एआई मानक मंचों में शामिल होना : विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को एआई सुरक्षा संस्थानों के अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। यह वैश्विक मंच देशों को एआई के लिए सार्वभौमिक सुरक्षा मानकों और विनियमों को स्थापित करने में सहयोग करने की अनुमति देता है।
    • यदि भारत इन वैश्विक एआई नियमों के विकास में शामिल नहीं होता है, तो उसे विदेशी मानकों का पालन करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है, जो उसकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं होंगे।
  • वैश्विक बाजारों में भारतीय एआई स्टार्टअप्स को समर्थन: भारतीय एआई स्टार्टअप्स को वैश्विक मंच पर बढ़ने और अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए वित्त पोषण, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और अनुसंधान के अवसरों तक पहुंच की आवश्यकता है।
    • एआई स्टार्टअप्स के लिए नियामक बाधाओं को कम किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे विदेशी एआई कंपनियों के साथ प्रभावी रूप से प्रतिस्पर्धा कर सकें और वैश्विक बाजार में अपनी पहचान बना सकें।
  • एआई नैतिकता और जवाबदेही पर ध्यान देना : एआई को निष्पक्ष, पारदर्शी और सुरक्षित तरीके से विकसित और उपयोग किया जाना चाहिए। इसे प्राप्त करने के लिए, एआई के उपयोग में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सख्त नैतिक दिशा-निर्देश लागू किए जाने चाहिए।
    • एआई के दुरुपयोग को रोकने के लिए मजबूत सुरक्षा उपाय लागू किए जाने चाहिए, जैसे कि डीपफेक का निर्माण, गलत सूचना का प्रसार और गोपनीयता का उल्लंघन करना आदि।

निष्कर्ष:

एक प्रसिद्ध कहावत के अनुसार, “वैश्विक राजनीति में, आप या तो मेज पर होते हैं या मेनू पर।” अतः भारत को एआई को निष्पक्ष, पारदर्शी और सुरक्षित तरीके से विकसित करने के लिए, अपनी भूमिका और उत्तरदायित्व को स्वीकार करना चाहिए।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: एआई की सीमाहीन प्रकृति वैश्विक सहयोग को अनिवार्य बनाती है। अंतर्राष्ट्रीय एआई सुरक्षा मानकों को आकार देने में भारत की भूमिका और इस क्षेत्र में अग्रणी आवाज़ बनने में आने वाली चुनौतियों का मूल्यांकन करें।

(15 अंक, 250 शब्द)

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