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भारत की पनडुब्बी क्षमता

Lokesh Pal April 20, 2024 05:00 181 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: हिंद महासागर और मलक्का जलडमरूमध्य  की अवस्थिति, आईएनएस अरिहंत, अकुला श्रेणी की पनडुब्बियाँ।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: हिंद-प्रशांत रणनीति, भारत की पनडुब्बी क्षमताओं से जुड़े मुद्दे।

संदर्भ:

  • हाल ही में भारत ने पहली बार हिंद महासागर में 11 पनडुब्बियों को तैनात किया है।

परिचय:

  • पनडुब्बी-आपूर्ति से संबंधित चुनौतियाँ: भारत को पनडुब्बी की आपूर्ति में होनेवाली देरी और रखरखाव से संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
  • कारगिल युद्ध के पश्चात् भारत की आवश्यकता: वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध के पश्चात् कैबिनेट समिति ने भारत की सुरक्षा हेतु  24 पनडुब्बियों की अनिवार्यता का उल्लेख किया।
  • पनडुब्बियों की अपर्याप्तता और बढ़ते खतरे: हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए भारत द्वारा 11 पनडुब्बियों की तैनाती,अभी भी अपर्याप्त हैं।

पाकिस्तान की बढ़ती पनडुब्बी क्षमता:

  • पनडुब्बियों की संख्या में वृद्धि: पाकिस्तानी नौसेना पनडुब्बियों की संख्या और प्रकार में वृद्धि कर,अपनी क्षमताओं को बढ़ा रही है।
  • मौजूदा पनडुब्बी बेड़ा: पाकिस्तान के पास वर्तमान में 8 पनडुब्बियाँ हैं,तथा चीन 8 अधिक उन्नत पनडुब्बियाँ प्रदान कर रहा है।
  • पनडुब्बी प्रौद्योगिकी में प्रगति: पाकिस्तान एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) प्रौद्योगिकी युक्त पनडुब्बियों वाला एकमात्र दक्षिण एशियाई देश होगा। इस तकनीक से युक्त पनडुब्बी, वर्तमान में भारत के पास नहीं है।
  • क्षेत्रीय प्रभाव को बनाए रखना: भारत को हिंद महासागर में अपने प्रभाव को बनाए रखने हेतु अपनी पनडुब्बी योजना को समयबद्ध तरीके से क्रियान्वित करने की आवश्यकता है।

पनडुब्बियों के लाभ:

  • स्टील्थ क्षमता और उन्नत हथियार: स्टील्थ क्षमता और उन्नत हथियार जैसे टारपीडो मिसाइल और परमाणु वारहेड से युक्त किए जा सकते हैं।
  • प्रतिरोधक क्षमता: यह रणनीतिक प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है।
  • क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य में भारत की प्रभावशीलता में वृद्धि: भारत द्वारा वर्ष 2018 में INS अरिहंत की तैनाती के साथ भारत का न्यूक्लीयर-ट्रायड क्रियाशील हो गया,जिससे भारत की सेकंड-स्ट्राइक क्षमता में वृद्धि हुई।
  • विश्व युद्धों में पनडुब्बियों की भूमिका: पनडुब्बियों ने प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  • अन्य लाभ: समुद्री मार्गों की सुरक्षा, निगरानी, खुफिया जानकारी एकत्र करने जैसे कार्यों में सहयोग करता है।

भारत में पनडुब्बियों की वर्तमान स्थिति:

  • भारत का क्रियाशील पनडुब्बी बेड़ा: भारत के पास वर्तमान में 17 क्रियाशील पनडुब्बियाँ हैं:16 पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी और 1 परमाणु बैलिस्टिक पनडुब्बी (INS अरिहंत)।
    • पारंपरिक पनडुब्बियों में कलवरी-श्रेणी(फ्रेंच स्कॉर्पीन), शिशुमार- श्रेणी (जर्मन टाइप-209), और सिंधुघोष-श्रेणी (रूसी किलो श्रेणी) की पनडुब्बियाँ शामिल हैं।
  • भारतीय पनडुब्बी बेड़े का विस्तार: कैबिनेट समिति ने 2030 तक 24 पनडुब्बियों के भारतीय बेड़े में शामिल किए जाने का सुझाव दिया है : 18 पारंपरिक पनडुब्बी और 6 परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी।
  • पुरानी पनडुब्बी तकनीक से जुड़ी चुनौतियाँ: 1980 के दशक की  रूसी किलो-क्लास पनडुब्बियों की परिचालन उपलब्धता सीमित है।
  • प्रोजेक्ट 75: प्रोजेक्ट 75 को 2005 में फ्रांस के सहयोग से  भारत में 6 कलवरी श्रेणी के डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों के निर्माण हेतु शुरू किया गया था, लेकिन यह अभी तक पूरा नहीं हुआ है।

चुनौतियाँ और प्रगति:

  • डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी की सीमा : डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों को बैटरी रिचार्ज हेतु प्रत्येक 48 घंटे में सतह पर आने की आवश्यकता होती है, जिससे वे असुरक्षित हो जाती हैं।
  • एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) प्रणाली की ओर झुकाव: देश एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) प्रौद्योगिकी युक्त पनडुब्बियों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जो 2 सप्ताह तक पानी के नीचे रह सकती हैं।
  • AI पनडुब्बियों के लाभ: AI पनडुब्बियाँ परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियों के मुकाबले  कुछ लाभ प्रदान करती हैं, जैसे तीव्रता से हमला करना और उन्नत स्टील्थ क्षमता।
    • एआईपी पनडुब्बियों के लिए भारत और जर्मनी के बीच बातचीत अंतिम चरण में है
  • प्रोजेक्ट 75 में बाधा: भारत AIP पनडुब्बियों के निर्माण हेतु  प्रोजेक्ट 75 पर कार्य कर रहा है, लेकिन भारत की आवश्यकताओं और शर्तों के कारण फ्राँस और रूस पीछे हट गए हैं।

स्वदेशी पनडुब्बी निर्माण से जुड़ी चुनौतियाँ:

  • पनडुब्बी डिजाइन की अक्षमता।
  • महत्वपूर्ण उपकरणों हेतु विदेशी कंपनियों पर निर्भरता।

परमाणु-ऊर्जा चालित पनडुब्बियाँ और भारत की चुनौतियाँ:

  • भारत में SSN पनडुब्बियों की कमी: भारत के पास वर्तमान में कोई SSN पनडुब्बी नहीं है।
  •  ये  पनडुब्बियाँ अधिक समय तक पानी के अंदर  रह सकती हैं और केवल खाद्य-आपूर्ति हेतु सतह पर आती हैं।
  • लीज पर ली गई SSN पनडुब्बी से जुड़ी चुनौतियाँ: भारत द्वारा रूस से AKULA-श्रेणी की एक SSN पनडुब्बी लीज पर ली गई थी,लेकिन समस्याओं के कारण वर्ष 2021 में इसे सेवामुक्त कर दिया गया।
  • भारत की SSBN क्षमता: भारत के पास K-15 मिसाइलों (750-1500 किमी रेंज) से युक्त एक SSBN-श्रेणी की पनडुब्बी, INS अरिहंत है,जिसे  K-4 मिसाइलों (3500 किमी रेंज) से युक्त करने की योजना है।

चीन की पनडुब्बी क्षमता और भारत की लाभकारी अवस्थिति:

चीन का पनडुब्बी बेड़ा: चीन के पास 56 पनडुब्बियाँ हैं, जिनमें 12 परमाणु-ऊर्जा चालित पनडुब्बियाँ (6 SSN- श्रेणी की पनडुब्बी) हैं।

हिंद महासागर में चीनी पनडुब्बी की सक्रियता: हिंद महासागर में चीनी पनडुब्बियों की उपस्थिति का पता लगाया गया है तथा चीन समुद्र तल के मानचित्रण हेतु  हिंद महासागर में स्पाई शिप भेजता है।

भारत की लाभकारी अवस्थिति : चीनी पनडुब्बियों को हिंद महासागर में प्रवेश करने हेतु उथले मलक्का जलडमरूमध्य से होकर गुजरना पड़ता है,जिससे ये सतह के करीब आने हेतु बाध्य हो जाती हैं,जिसके परिणामस्वरूप भारत के अंडमान निकोबार बेस से इनका पता लगाया जा सकता है।

नौसैनिक वर्चस्व: हिंद महासागर में श्रेष्ठता बनाए रखने हेतु भारत को अपनी परमाणु पनडुब्बी क्षमताओं को चीन के तुलनीय करना होगा ।

भारत-फ्रांस परमाणु पनडुब्बी वार्ता: भारत परमाणु-ऊर्जा चालित अटैक पनडुब्बियों हेतु फ्रांस के साथ बातचीत कर रहा है।

निष्कर्ष:

हिंद महासागरीय क्षेत्र और उससे परे अपने समुद्री हितों की रक्षा करने में सक्षम एक शक्तिशाली बेड़े के निर्माण हेतु बजटीय सीमाओं के बावजूद इसमें निरंतर निवेश किए जाने के साथ दूरदर्शिता की आवश्यकता है।

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :

प्रश्न. ‘मलक्का जलडमरूमध्य’ से यात्रा करते हुए निम्न में से बीच में क्या आता है?    (UPSC 2010)

  1. बाली
  2. ब्रुनेई
  3. जावा
  4. सिंगापुर

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही विकल्प चुनिए:

  1. केवल 1 और 3
  2. केवल 2 और 4
  3. केवल 4
  4. उपर्युक्त  सभी

उत्तर: (c)

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