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Lokesh Pal November 25, 2024 05:30 7 0
चूंकि, भारत की शहरी आबादी अगले तीन दशकों में 400 मिलियन से बढ़कर 800 मिलियन पहुँचने का अनुमान है, इसलिए मजबूत शहरी बुनियादी ढांचे की मांग तत्काल और महत्वपूर्ण दोनों है। टिकाऊ और समावेशी शहरी विकास सुनिश्चित करने के लिए संबंधित चुनौतियों का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करना महत्वपूर्ण है।
भारत का शहरी भविष्य वित्तीय और संरचनात्मक बाधाओं को दूर करने की क्षमता पर निर्भर है। तत्काल और दीर्घकालिक दोनों तरह के सुधारों को लागू करके, भारत अपने शहरों को टिकाऊ और समावेशी विकास के इंजन में बदल सकता है, जिससे इसकी तेज़ी से शहरीकृत होती आबादी की मांगें आसानी से पूर्ण की जा सकेंगी।
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