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Lokesh Pal
July 21, 2025 05:00
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हाल के दिनों में दिल्ली के कई हिस्सों में झुग्गी-झोपड़ियों (मलिन बस्तियों) को तोड़ा गया है, जिससे भारत में मलिन बस्तियों का विकास और उनकी दयनीय स्थिति पुनः चर्चा का विषय बन गई है|
किसी भी शहर में मलिन बस्तियों का विकास न केवल गरीबी/निर्धनता का संकेत है, बल्कि व्यवस्थागत विफलता का भी गंभीर सूचक है।
मलिन बस्तियों में जीवन अत्यंत चुनौतीपूर्ण है तथा निवासियों और व्यापक शहरी पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक है।
देश को अपनी बढ़ती शहरी आबादी को समायोजित करने और पुराने शहरों की भीड़भाड़ कम करने के लिए नए, सुनियोजित शहरी केंद्रों की आवश्यकता है, जिससे सभी नागरिकों के लिए एक स्वस्थ वातावरण उपलब्ध हो सके। भारत में समतापूर्ण और सतत शहरीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यह दृष्टिकोण आवश्यक है।
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