100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

भारत में शहरी मलिन बस्तियों की अधिकता : दीर्घकालिक समाधान की तलाश

Lokesh Pal July 21, 2025 05:00 11 0

संदर्भ:

हाल के दिनों में दिल्ली के कई हिस्सों में झुग्गी-झोपड़ियों (मलिन बस्तियों) को तोड़ा गया है, जिससे भारत में मलिन बस्तियों का विकास और उनकी दयनीय स्थिति पुनः चर्चा का विषय बन गई है|

पृष्ठभूमि

  • भारतीय शहरों में झुग्गी-झोपड़ियाँ व्यापक रूप से मौजूद हैं और मुंबई के धारावी जैसे इलाके इसके महत्त्वपूर्ण उदाहरण हैं। ये अनौपचारिक बस्तियाँ प्रायः रेलवे लाइनों के पास, पुलों के नीचे या नदी के किनारे बसी होती हैं

मलिन बस्तियों का विकास

किसी भी शहर में मलिन बस्तियों का विकास न केवल गरीबी/निर्धनता का संकेत है, बल्कि व्यवस्थागत विफलता का भी गंभीर सूचक है।

  • बाजार विफलता सिद्धांत: मुंबई और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में भूमि की कीमतें बहुत अधिक हैं, जिससे आबादी के एक बड़े हिस्से के लिए विधिक आवास अप्राप्य और दुर्गम हो गए हैं ।
    • यह समाज के सभी वर्गों को किफायती मूल्य पर घर उपलब्ध कराने में “बाजार की विफलता” है
    • परिणामस्वरूप, अवैध अचल संपत्ति बाजार विकसित हो रहा है, जिसके कारण आवासों का अनधिकृत निर्माण निरंतर जारी है।
  • नीतिगत और प्रशासनिक विफलता: मलिन बस्तियों का अस्तित्व ही सरकारी नीति और प्रशासनिक प्रभावकारिता में गंभीर विफलता को उजागर करता है
    • इससे पता चलता है, कि शासन इन अनौपचारिक बस्तियों के विकास को रोकने या पर्याप्त रूप से प्रबंधित करने में सक्षम नहीं है।
  • प्राधिकारियों की दुविधा: शहरी प्राधिकारी प्रायः स्वयं को जटिल स्थिति में पाते हैं।
    • एक ओर, सरकारी भूमि पर अतिक्रमण को रोकना और उन अवैध ढाँचे को नष्ट करना अनिवार्य है, जो “नकारात्मक बाह्य प्रभाव” उत्पन्न कर रहे हैं
    • दूसरी ओर, उन गरीब निवासियों के लिए मानवीय चिंता है, जो बेघर हो जाएंगे, जिसके कारण एक “लचीला दृष्टिकोण” अपनाया जाएगा, जिससे मलिन बस्तियों का विस्तार होगा। 
    • यह स्थिति समस्या के “मूल कारण” पर ध्यान रखने की विफलता को दर्शाती है।

मलिन बस्तियों के प्रसार के परिणाम

मलिन बस्तियों में जीवन अत्यंत चुनौतीपूर्ण है तथा निवासियों और व्यापक शहरी पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक है।

  • निम्न-स्तरीय जीवन स्थितियाँ: मलिन बस्तियों में आमतौर पर स्वच्छ, पीने योग्य पानी की उपलब्धता नहीं होती, तथा लोग अधिकांशतः दूषित स्रोतों पर निर्भर रहते हैं।
    • अपर्याप्त जल निकासी के कारण जलभराव होता है, जिससे हैजा और मलेरिया जैसी बीमारियों के फैलने की संभावना रहती है
    • इसके अलावा, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएँ प्रायः अनुपस्थित रहती हैं।
  • सामाजिक एवं विकासात्मक चुनौतियाँ: मलिन बस्तियाँ प्रायः अपराध के केन्द्र होते हैं तथा ऐसे वातावरण में पले-बढ़े बच्चे मादक द्रव्यों के सेवन और घरेलू हिंसा जैसे नकारात्मक प्रभावों के संपर्क में आ सकते हैं, जो उन्हें आपराधिक गतिविधियों की ओर ले जा सकते हैं।
  • शहरी बोझ: झुग्गी-झोपड़ियाँ प्रदूषण में महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं तथा शहरों में यातायात भार को बढ़ाती हैं
    • यह तथ्य, कि भारत की लगभग आधी शहरी आबादी झुग्गी-झोपड़ियों में रहती है, राष्ट्रीय समस्या और गहन चिंता का विषय है।

आगे की राह

  • किफायती आवास: झुग्गी-झोपड़ियों की समस्या के समाधान के लिए प्रतिक्रियात्मक विनाश से इतर सक्रिय, रणनीतिक योजना बनाने की आवश्यकता है, जो मूल कारण – औपचारिक बाजार में किफायती आवास इकाइयों  की भारी कमी – पर लक्षित हो।
    • यह कोई तात्कालिक समाधान नहीं है, इसके लिए 5-10 वर्षों तक व्यवस्थित प्रयास की आवश्यकता है, लेकिन कार्रवाई की शुरुआत अभी से महत्त्वपूर्ण है।
  • बड़े शहरों का विस्तार करने से बचना: दिल्ली, मुंबई या चेन्नई जैसे मौजूदा बड़े, संतृप्त शहरों का विस्तार करना प्रतिकूल परिणाम प्रदर्शित करता है।
    • इस तरह के विस्तार से मौजूदा बुनियादी ढाँचे की चुनौतियाँ और बढ़ेंगी तथा शहरी संसाधनों पर असहनीय दबाव पड़ेगा।
  • नए शहर के विकास को प्राथमिकता: सबसे व्यवहार्य दीर्घकालिक समाधान पूरी तरह से नए शहरों की स्थापना या मौजूदा छोटे शहरों का व्यवस्थित रूप से विस्तार करना है।
    • ये नए शहरी केंद्र नियोजित बुनियादी ढांचे और निवास स्थल उपलब्ध कराएंगे।
    • गुजरात का गिफ्ट सिटी एक नव विकसित शहरी केन्द्र का उदाहरण है।
  • शहरीकरण रणनीति पर पुनर्विचार: स्मार्ट सिटी मिशन, जिसकी शुरुआत में 100 नए शहरों के निर्माण के लिए कल्पना की गई थी, बाद में वित्तीय और क्षमता संबंधी बाधाओं के कारण मौजूदा शहरों को स्मार्ट बनाने के लिए इसे कम कर दिया गया।
    • हालाँकि, अपर्याप्त धन या क्षमता के बारे में ऐसे तर्क निराधार हैं।
    • भारत में अपर्याप्त उपयोग की गई धनराशि तथा बड़ी संख्या में बेरोजगार कार्यबल के कारण अपार संभावनाएँ मौजूद हैं, जो एक महत्त्वपूर्ण अप्रयुक्त श्रम-संग्रह का प्रतिनिधित्व करता है।
  • इष्टतम संसाधन उपयोग: राष्ट्र वर्तमान में अपने प्रमुख संसाधनों – भूमि, श्रम, पूँजी और संगठनात्मक योजना – का इष्टतम उपयोग करने में विफल है।
    • उदाहरण: सट्टेबाजी और काले धन के कारण भूमि की कीमतें बढ़ जाती हैं, जिसके कारण भूमि अधिग्रहण अधिनियम में सुधार की आवश्यकता है।
  • भौगोलिक क्षमता का लाभ उठाना: भारत के शीर्ष 10 शहर देश के कुल भूमि क्षेत्र के मात्र 0.2% पर ही विस्तृत हैं, जिससे नए विकास के लिए भूमि का विशाल भू-भाग उपलब्ध है।
    • वर्तमान में भारत की केवल 35% जनसंख्या ही शहरीकृत है (विकसित देशों में 75% की तुलना में), भविष्य में महत्त्वपूर्ण शहरीकरण अपरिहार्य है, जिसके लिए सक्रिय रूप से नए शहरों का निर्माण आवश्यक है।

नए शहरी केंद्रों के लाभ

  • भीड़भाड़ में कमी और पुनर्वास: नए शहर मौजूदा भीड़भाड़ वाले शहरी केंद्रों पर दबाव कम करेंगे।
    • बड़े शहरों से झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोग इन नए शहरी क्षेत्रों में स्थानांतरित हो सकते हैं, जहाँ भूमि की कम कीमतें नए उद्योगों की स्थापना में सहायक होती हैं।
  • रोजगार के अवसर: ये नए उद्योग पूर्णकालिक रोजगार सृजित करेंगे, मौजूदा झुग्गी-झोपड़ियों की आबादी से श्रमशक्ति निर्माण और उन्हें बेहतर जीवनयापन स्थिति और आर्थिक स्थिरता प्रदान करेंगे।
  • नियोजित बुनियादी ढाँचा: प्राकृतिक झुग्गी बस्तियों के विपरीत, नए शहरों का निर्माण सावधानीपूर्वक योजना के साथ किया जा सकता है, जिससे मजबूत बुनियादी ढाँचा सुनिश्चित होगा और पुराने शहरों के लिए समस्या की वजह बनने वाले नागरिक मुद्दों से बचा जा सकेगा।

निष्कर्ष

देश को अपनी बढ़ती शहरी आबादी को समायोजित करने और पुराने शहरों की भीड़भाड़ कम करने के लिए नए, सुनियोजित शहरी केंद्रों की आवश्यकता है, जिससे सभी नागरिकों के लिए एक स्वस्थ वातावरण उपलब्ध हो सके। भारत में समतापूर्ण और सतत शहरीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यह दृष्टिकोण आवश्यक है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

निरंतर विकास प्रयासों के बावजूद, शहरी भारत में मलिन बस्तियों की संख्या में वृद्धि जारी है। इनके प्रसार के प्रमुख कारणों का विश्लेषण कीजिए और इस समस्या के समाधान के लिए दीर्घकालिक स्थायी समाधान सुझाइए।

(10 अंक, 150 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.