100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

इसरो का स्वदेशीकरण : समग्र अवलोकन

Lokesh Pal February 14, 2025 05:30 132 0

संदर्भ:

हाल ही में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष जैसी निर्वात स्थितियों में स्वदेशी रूप से विकसित CE20 क्रायोजेनिक इंजन के पुनःप्रज्वलन (re-ignition) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।

मुख्य अवधारणा

  • रॉकेट प्रणोदन: जब एक गुब्बारा छोड़ा जाता है और उसके भीतर की वायु बाहर निकलती है, तो बाहर निकलने वाली वायु द्वारा लगाए गए बल के कारण गुब्बारा ऊपर उठता है। रॉकेट प्रणोदन (Rocket Propulsion) इसी सिद्धांत पर कार्य करता है।
    • दूसरे शब्दों में रॉकेट न्यूटन के तीसरे नियम के सिद्धांत पर कार्य करते हैं- “प्रत्येक क्रिया के लिए एक समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।” 
    • जब रॉकेट का इंजन नोजल से गर्म गैसों को बाहर निकालता है, तो यह रॉकेट को विपरीत दिशा में धकेलता है। रॉकेट प्रणोदक का उपयोग करते हैं, जो ठोस, द्रव या गैसीय हो सकते हैं।

  • रॉकेट ईंधन: रॉकेट ईंधन को तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
    • ठोस ईंधन: संरचना- हाइड्रॉक्सिल-टर्मिनेटेड पॉलीब्यूटाडाईन (HTPB)।
      • विशेषताएँ: ऑक्सीडाइज़र या इंजन की आवश्यकता नहीं होती।
    • तरल या द्रव ईंधन:
      • संरचना: UMMH (अनसीमेट्रिकल डाइमिथाइलहाइड्राज़िन) या UDMH, नाइट्रोजन टेट्रोक्साइड (N₂O₄) जैसे ऑक्सीडाइज़र के साथ।
    • क्रायोजेनिक ईंधन:
      • संरचना: ऑक्सीडाइज़र के रूप में -253 डिग्री सेल्सियस पर तरल हाइड्रोजन (LH2) और -183 डिग्री सेल्सियस पर तरल ऑक्सीजन (LOX)।
    • क्रायोजेनिक चरण: इसमें अत्यंत निम्न तापमान पर ईंधन का प्रयोग शामिल है तथा भारी उपग्रहों को अंतरिक्ष में गहराई तक ले जाने के लिए रॉकेट द्वारा आवश्यक अतिरिक्त बल  प्रदान करने हेतु यह महत्वपूर्ण है।
  • री-इग्निशन (पुनःप्रज्वलन): री-इग्निशन एक कार को पहाड़ी पर चढ़ाने और फिर गुरुत्वाकर्षण के कारण उसे नीचे उतरने के लिए इंजन बंद करने जैसा है। जब आप नीचे पहुँचते हैं, तो आपको चलते रहने के लिए इंजन को पुनः चालू करना पड़ता है।
    • इसी तरह कुछ अंतरिक्ष मिशनों के लिए क्रायोजेनिक इंजन को उड़ान के बीच में पुनः चालू करना पड़ता है। 
    • उदाहरण के लिए, मंगल मिशन के लिए महीनों की यात्रा के बाद इंजन को पुनः चालू करना पड़ सकता है। वर्तमान में, ISRO का एकमात्र इंजन जिसे अंतरिक्ष में पुनः चालू किया जा सकता है, वह लिक्विड एपोजी मोटर (LAM) है, जो तरल ईंधन का उपयोग करता है। 
    • CE20-U इंजन ने अंतरिक्ष में सामना करने वाली परिस्थितियों के समान परिस्थितियों में सफलतापूर्वक पुनः प्रज्वलन परीक्षण किया।

क्रायोजेनिक तकनीक का विकास और भारत के अनुभव

  • शीत युद्ध का युग: अमेरिका में पहला क्रायोजेनिक इंजन RL10, वर्ष 1963 में शुरू हुआ। सोवियत संघ ने भी लगभग उसी समय अपने क्रायोजेनिक इंजन विकसित किए।
  • भारत की यात्रा: 1990 के दशक में इसरो ने क्रायोजेनिक तकनीक की शुरुआत की, प्रारंभ में जापान और अमेरिका से, लेकिन दोनों ही विकल्प बहुत महँगे थे।
    • सोवियत संघ ने अपने इंजन बेचने और यहाँ तक ​​कि आवश्यक तकनीक हस्तांतरित करने की पेशकश की।
    • शीत युद्ध का अंत: अगले महीनों में, सोवियत संघ का पतन हो गया और संयुक्त राज्य अमेरिका ने रूस पर तकनीक वापस लेने का दबाव डाला, यह तर्क देते हुए कि भारत इसका उपयोग परमाणु मिसाइल विकास के लिए कर सकता है।
    • रूस की प्रतिक्रिया: जबकि रूस ने छह इंजन दिए, उसने संबंधित तकनीक प्रदान नहीं की।

रूस द्वारा आवश्यक तकनीक के हस्तांतरण पर अमेरिका का तर्क कमजोर था, क्योंकि मिसाइलों को कुछ सेकंड के भीतर लॉन्च के लिए तैयार होना चाहिए, जबकि क्रायोजेनिक इंजन को कम-से-कम 24 घंटे ईंधन भरने की आवश्यकता होती है। यह भी पाखंडपूर्ण था, यह देखते हुए कि कुछ महीने पहले ही अमेरिका ने बहुत अधिक कीमतों पर इंजन बेचने की पेशकश की थी।

  • इसरो की सफलता: कई असफलताओं के बाद, इसरो ने सफलतापूर्वक अपना स्वयं का क्रायोजेनिक इंजन CE20 विकसित किया।
    • मिशन: वर्षों की मेहनत के बाद CE20-संचालित LVM3 प्रक्षेपण यान ने 5 जून, 2017 को GSAT-19 को भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा में पहुँचाया। इस इंजन को चंद्रयान 2 और चंद्रयान 3 प्रक्षेपण यानों में लगाया गया था।
    • भविष्य की संभावनाएँ: CE20 इंजन, जो अब पुनः प्रज्वलित करने की क्षमता रखता है, भारत के भविष्य के अंतरग्रहीय मिशनों का एक महत्त्वपूर्ण भाग होगा, जिसमें गगनयान मिशन भी शामिल है, इसका उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजना है।
  • क्रायोजेनिक इंजन वाले देश: अमेरिका, रूस, जापान, भारत, फ्रांस और चीन जैसे देश क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग करते हैं, लेकिन इनका उपयोग आमतौर पर रॉकेट के ऊपरी चरणों में किया जाता है, जब वाहन पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकल जाता है।

निष्कर्ष

CE20 क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इस इंजन के साथ, इसरो पृथ्वी की कक्षा से बाहर अधिक जटिल मिशनों को पूरा करने के लिए तैयार है, जो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती क्षमताओं को प्रदर्शित करता है।

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न 

भारत का स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन विकास तकनीकी आत्मनिर्भरता को दर्शाता है, लेकिन यह प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में भू-राजनीतिक चुनौतियों को भी दर्शाता है। विश्लेषण कीजिए, कि यह उपलब्धि भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं, वैश्विक साझेदारी और रणनीतिक स्वायत्तता को कैसे प्रभावित करती है;  साथ ही महत्त्वपूर्ण तकनीकी विकास में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भूमिका पर चर्चा कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.