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मूलभूत संरचना: वडोदरा में पुल ढहने की घटनाओं में आवृति

Lokesh Pal July 11, 2025 05:30 14 0

संदर्भ:

9 जुलाई, 2025 को गुजरात के वडोदरा में 40 साल पुराने एक पुल का एक हिस्सा ढह गया, जिससे आधा दर्जन वाहन महिसागर नदी में गिर गए थे। भारत अपने पुराने बुनियादी ढाँचे से जुड़ी एक गंभीर चुनौती का सामना कर रहा है।

बुनियादी ढांचे की हालिया घटनाओं से संबंधित मुद्दे:

निम्नलिखित घटनाएं, अनेक सड़क दुर्घटनाओं और घातक आगजनी के साथ-साथ, लगातार जन-जीवन को खतरे में डालती हैं तथा बुनियादी ढांचे के प्रबंधन की गंभीर स्थिति को रेखांकित करती हैं।

  • 15 जून 2025: पुणे में इंद्रायणी नदी पर बना लोहे का पैदल पुल अधिक भार के कारण ढह गया, जिसके परिणामस्वरूप लगभग चार लोगों की मौत हो गई।
  • मई 2025: कटक में कथाजोड़ी नदी पर एक पुल निर्माण स्थल से एक कंक्रीट स्लैब गिर गया, जिससे तीन श्रमिकों की मौत हो गई।
  • वर्ष 2024: मुंबई में घाटकोपर होर्डिंग गिरने से 17 लोगों की मौत हो गई थी।
  • वर्ष 2023: मिज़ोरम में एक निर्माणाधीन रेलवे पुल पर गर्डर गिरने से 26 मज़दूरों की मौत हो गई थी। लखनऊ में एक छत पर लगे बिलबोर्ड के गिरने से दो महिलाओं की मौत हो गई, और बेंगलुरु में एक मेट्रो निर्माण स्थल का खंभा गिरने से एक माँ और उसके बच्चे की मौत हो गई थी।
  • वर्ष 2022: गुजरात में मच्छू नदी पर बना मोरबी सस्पेंशन ब्रिज टूट गया, जिससे 140 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी

बुनियादी ढांचे के बार-बार पतन के कारण:

  • पुराना होता बुनियादी ढाँचा: पुलों, सड़कों और अस्पतालों सहित कई सुविधाओं को छोटे उपयोगकर्ता समूहों के आधार के लिए डिज़ाइन किया गया था, लेकिन अब बढ़ते भार और उपयोग के कारण वे जर्जर हो रहे हैं। अक्सर इनका समयबद्ध परीक्षण या मरम्मत न होने से घटनाओं में आवृति हो रही है।
  • प्रणालीगत उपेक्षा: हालांकि समुचित रखरखाव का व्यापक अभाव है, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में यह आम है।
  • विभागीय कमियां: रखरखाव के लिए जिम्मेदार विभागों के पास अक्सर पर्याप्त धन नहीं होता, कर्मचारियों की कमी होती है, या वे लापरवाह होते हैं।
  • भ्रष्टाचार: व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार एक महत्वपूर्ण कारक बना हुआ है, छोटी-छोटी गलतियों के कारण सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है।
  • अपर्याप्त ऑडिट और सार्वजनिक प्रकटीकरण: हालांकि जांच के आदेश दिए जाते हैं, लेकिन कुछ विफलता विश्लेषण रिपोर्ट सार्वजनिक डोमेन में प्रवेश करती हैं।
    • जब ऑडिट किया जाता है, तो उसे व्यापक रूप से लागू करने के बजाय, अक्सर उसी प्रकार के बुनियादी ढांचे तक ही सीमित रखा जाता है।

आगे की राह:

भविष्य में होने वाली त्रासदियों को रोकने और भारत के बुनियादी ढांचे की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत और बहुआयामी रणनीति आवश्यक है:

  • नये निर्माण की अपेक्षा रखरखाव को प्राथमिकता देना: मौजूदा बुनियादी ढांचे का सावधानीपूर्वक रखरखाव किया जाना चाहिए।
    • शहरी अवसंरचना विकास निधि जैसी पहलों और अटल कायाकल्प एवं शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत मिशन) जैसी पुनर्वास योजनाओं में पुरानी शहरी परिसंपत्तियों के नियमित रखरखाव के लिए अतिरिक्त प्राथमिकताओं को शामिल किया जाना चाहिए।
  • नियमित एवं पारदर्शी ऑडिट को प्राथमिकता देना:
    • एकसमान प्रवर्तन: नगरपालिका पुलों के लिए आधारभूत लेखापरीक्षा ढांचे को पूरे देश में अधिक एकसमान और पारदर्शी तरीके से लागू किया जाना चाहिए।
    • लगातार निगरानी: 10 लाख या उससे अधिक आबादी वाले क्षेत्रों में शहरी परिसंपत्तियों की पहचान की जानी चाहिए तथा उनकी लगातार निगरानी और लेखा परीक्षा की जानी चाहिए।
    • अनिवार्य जांच: प्रत्येक दुर्घटना के लिए एक वैधानिक निकाय द्वारा जांच का प्रावधान होना चाहिए और सभी प्रमुख बुनियादी अवसंरचनाओं का अनिवार्य ऑडिट होना चाहिए।
      • सार्वजनिक जागरूकता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए राज्यों को संबंधित मुद्दों पर उचित निष्कर्ष प्रकाशित करने चाहिए।
  • जिम्मेदार विभागों को मजबूत बनाना:
    • स्टाफ की कमी को दूर करना: बुनियादी ढांचे के रखरखाव के लिए जिम्मेदार विभागों में पर्याप्त स्टाफ होना चाहिए।
    • उचित वित्तपोषण सुनिश्चित किया जाना: रखरखाव के लिए पर्याप्त वित्तपोषण आवंटित किया जाना चाहिए।
    • भ्रष्टाचार से निपटना: इन विभागों में भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए सख्त उपायों की आवश्यकता है।
  • पुराने बुनियादी ढांचे का रणनीतिक प्रबंधन:
    • भार वहन क्षमता का आकलन करना: पुराने पुलों के लिए, ओवरलोडिंग को रोकने के लिए उनकी भार वहन क्षमता का नियमित रूप से आकलन और विनियमन किया जाना चाहिए।
    • पुरानी संरचनाओं का विध्वंस कर पुनर्निमाण पर जोर: जो बुनियादी ढांचे पूरी तरह से पुराने हो चुके हैं और जोखिम पैदा करते हैं, उन्हें निरंतर उपयोग की अनुमति देने के बजाय ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए।
  • जन जागरूकता और जवाबदेही: लेखापरीक्षा रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से नागरिकों को अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों से कार्रवाई की मांग करने का अधिकार मिलेगा, जिससे अधिक जवाबदेही को बढ़ावा मिलेगा।

निष्कर्ष:

अतः वडोदरा की पुल दुर्घटना बुनियादी ढांचे की सुरक्षा और राष्ट्रीय प्रगति के बीच महत्वपूर्ण संबंध को रेखांकित करती है।

  • नीति निर्माताओं को सक्रिय रखरखाव, सख्त ऑडिट और पारदर्शी शासन को प्राथमिकता देने पर जोर देना चाहिए।
  • आज जीवन की सुरक्षा और सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत करना आवश्यक है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: वडोदरा में 40 साल पुराने एक पुल का हाल ही में ढहना, बुनियादी ढाँचे के प्रबंधन में चिंताजनक रूप से प्रणालीगत विफलताओं को रेखांकित करता है। भारत में सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे के बार-बार ढहने के प्रमुख कारणों का विश्लेषण कीजिए। बुनियादी ढाँचे में लचीलापन सुनिश्चित करने के लिए कौन से संस्थागत और नीतिगत उपाय किए जा सकते हैं? चर्चा कीजिए।

(10 अंक, 150 शब्द)

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