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सतत जन रोज़गार के लिए आधारभूत योजनाएँ

Lokesh Pal August 21, 2024 05:45 45 0

संदर्भ :

हाल ही में पेश किए गए बजट में पाँच प्रमुख रोज़गार योजनाओं को शामिल किया गया है. जिनमें पाँच वर्षों में ₹2 लाख करोड़ का परिव्यय शामिल है | जिसका लक्ष्य 4.1 करोड़ युवाओं के लिए रोज़गार सृजन, कौशल वृद्धि और बेहतरीन अवसर प्रदान करना है। हालाँकि ये प्रयास महत्त्वपूर्ण हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करने में चुनौतियाँ बनी हुई हैं कि रोज़गार टिकाऊ और सम्मानजनक हों।

उत्पादकता और सार्वजनिक निवेश की आवश्यकता

  • बड़े पैमाने पर रोज़गार को टिकाऊ और सम्मानजनक बनाने के लिए उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इसमें निजी क्षेत्र में रोज़गार सृजन करना शामिल है, जैसा कि आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24  (2019 से कम और कोविड-19 महामारी के बाद अधिक कर प्राप्ति) में उल्लेख है
  • इसके अलावा, उच्च गुणवत्ता वाली सार्वजनिक वस्तुओं, जैसे- शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढाँचे में अधिक सार्वजनिक निवेश की आवश्यकता है, जो उच्च उत्पादकता और बेहतर रोज़गार परिणामों का समर्थन कर सकते हैं।

रोज़गार और न्यूनतम मज़दूरी दर संबंधी चुनौतियाँ 

1. न्यूनतम मजदूरी

  • वर्तमान स्थिति : ₹25,000 प्रति माह कमाने वाला कर्मचारी शीर्ष 10% वेतन पाने वालों में शामिल हो जाता है, जो व्यापक रूप से कम आय स्तर को उजागर करता है।
  • प्रभाव : कम वेतन श्रमिकों के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है और आर्थिक सुधार के उद्देश्य से रोज़गार पहलों को कमजोर बनाता है।

2. अल्पावधि कौशल कार्यक्रम

  • समस्या : अल्पकालिक कौशल कार्यक्रमों में सीमित सफलता मिलती है, जिसके कारण दीर्घकालिक रोज़गार प्राप्ति कम होती है।
  • परिणाम : प्रतिभागियों को अधिकांशतः वेतन अपर्याप्त लगता है और वे ग्रामीण क्षेत्रों में लौट जाते हैं, जो शिक्षा और कौशल विकास के लिए अधिक एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता को दर्शाता है।

शिक्षा, कौशल और रोज़गार को जोड़ने का महत्त्व

  • सफल राज्य : तमिलनाडु, केरल, हिमाचल प्रदेश, गोवा और सिक्किम में उच्चतर माध्यमिक और व्यावसायिक शिक्षा में बेहतर निवेश के कारण प्रति व्यक्ति उपभोग दर अधिक है तथा मानव विकास संकेतक बेहतर हैं।
  • अन्य राज्यों में चुनौतियाँ : ओडिशा, अल्पकालिक कौशल कार्यक्रमों के बावजूद, कम प्रति व्यक्ति उपभोग का सामना कर रहा है तथा अपर्याप्त शैक्षिक और व्यावसायिक बुनियादी ढाँचे से जूझ रहा है।
  • मुख्य अंतर्दृष्टि : उत्पादकता में सुधार और उचित वेतन वाली नौकरियाँ प्राप्त करने के लिए शिक्षा और कौशल के बीच एक सतत संबंध महत्त्वपूर्ण है, जो मजबूत शैक्षिक और व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रणालियों की आवश्यकता को उजागर करता है।

प्रमुख नीतिगत पहलें 

कौशल आवश्यकताएँ

1. सामुदायिक कार्रवाई

  • स्थानीय कौशल आवश्यकताओं की पहचान करने के लिए विकेंद्रीकरण आवश्यक।
  • कार्यक्रम वितरण के लिए ग्राम सभाओं और समितियों जैसे स्थानीय निकायों को शामिल करें।
  • रोज़गार रजिस्टर बनाएँ और पेशेवरों के साथ व्यक्तिगत योजनाएँ बनाएँ।
  • साक्ष्य-आधारित परिणामों के लिए स्थानीय सरकारी स्तरों पर सुशिक्षित पेशेवरों की नियुक्ति करें।
  • कौशल प्रदाताओं और नियोक्ताओं को जोड़ने के लिए सामुदायिक रजिस्टरों का उपयोग करें।

2. विभिन्न उपायों का एकीकरण

  • स्थानीय स्तर पर शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल, पोषण और रोज़गार को महिला समूहों के साथ एकीकृत करें।
  • बेहतर गुणवत्ता वाले परिणामों के लिए अनटाइड फंड और कार्यों के साथ जवाबदेही सुनिश्चित करें।
  • विकेंद्रीकृत कार्रवाई के माध्यम से शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में निवेश करें।

शिक्षा और रोज़गार

1. व्यावसायिक पाठ्यक्रम

    • विश्वविद्यालयों में स्नातक डिग्री के साथ-साथ व्यावसायिक पाठ्यक्रम भी शुरू करें।
    • व्यावसायिक कार्यक्रमों को अनिवार्य बनाएँ  तथा नए पाठ्यक्रमों के लिए संसाधन उपलब्धता सुनिश्चित करें ।

2. स्वास्थ्य देखभाल पाठ्यक्रमों का मानकीकरण

  • नर्सिंग और संबद्ध स्वास्थ्य देखभाल पाठ्यक्रमों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप मानकीकृत करना।
  • संस्थानों में गुणवत्ता संबंधी विसंगतियों को दूर करना।

3. सामुदायिक देखभालकर्त्ता

  • कामकाजी महिलाओं के लिए सार्वभौमिक क्रेच सहायता आदि विकसित करें।
  • देखभाल करने वालों के लिए गहन प्रशिक्षण लागू करें।

4. तकनीकी संस्थानों में निवेश

  • बेहतर बुनियादी ढाँचे और सामुदायिक प्रबंधन के साथ आईटीआई और पॉलिटेक्निक संस्थानों में सुधार लाना।
  • शैक्षणिक और व्यावसायिक समतुल्यता के लिए एक ढाँचा विकसित करना।

5. उद्यम और स्टार्ट-अप कौशल

  • हाईस्कूल पाठ्यक्रम में उद्यम कौशल को एकीकृत करें।
  • स्कूलों में प्रयोग और नवाचार को प्रोत्साहित करें।

6. प्रशिक्षुता सह-साझाकरण मॉडल

  • उद्योग को शामिल करने और लागत साझा करने के लिए प्रशिक्षुता के लिए सह-साझाकरण मॉडल को लागू करना।

पूंजी ऋण और उद्यम

1. कार्यशील पूंजी ऋण को सरल बनाना

  • महिला नेतृत्व वाले और पहली पीढ़ी के व्यवसायों के लिए लोन व्यवस्था को सरल बनाएँ।
  • क्रेडिट जानकारियों के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करें |
  • एसवीईपी जैसे सफल मॉडलों से सीखें।

2. सार्वभौमिक कौशल प्रमाणन

  • राज्य और उद्योग के समर्थन से एक सार्वभौमिक कौशल प्रमाणन कार्यक्रम शुरू करें।

3. मनरेगा निवेश

  • मनरेगा के 70% फंड को आय-उत्पादक पहलों के लिए उच्च-वंचित क्षेत्रों में आवंटित करें।
  • उत्पादकता के लिए मजदूरी दरों और कौशल में सुधार करें।

4. प्रशिक्षुता का स्तर बढ़ाना

  • प्रशिक्षुता में वृद्धि करें और सुनिश्चित करें कि वे कौशल अधिग्रहण और रोज़गार प्राप्ति की ओर ले जाएँ ।
  • प्रशिक्षुता पूरी होने पर सम्मानजनक वेतन के साथ सरकारी सब्सिडी को जोड़ें।

निष्कर्ष 

आवश्यक है कि विभिन्न सरकारी योजनाओं के साथ उपर्युक्त वर्णित उपायों को लागू किया जाए | इससे न केवल भारत में बेरोज़गारी दर में कमी आएगी, बल्कि एक बेहतर रोज़गार वातावरण उपलब्ध होगा | जो समाज के प्रत्येक वर्ग को रोज़गार समृद्ध बनाने तथा लोगों के लिए न्यूनतम मज़दूरी दर प्रदान करने में सहायता करेगा |

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न 

भारत द्वारा व्यापक पैमाने पर रोज़गार के अवसर पैदा करने के लिए अपनाई जा सकने वाली विभिन्न रणनीतियों पर चर्चा कीजिए । संभावित चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए और उनसे निपटने के लिए नीतिगत उपाय सुझाइए ।

(15 अंक, 250 शब्द)

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