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इराक एक चेतावनी: ईरान एक विभाजन

Lokesh Pal June 23, 2025 05:15 9 0

संदर्भ:

21 जून, 2025 को अमेरिका ने ईरान की परमाणु सुविधाओं पर सामान्य हमलों के साथ ही मिसाइल हमले किए और इसे एक रणनीतिक आवश्यकता बताया। यह हमला वैश्विक संयम के अंत और पूर्व-सावधानी पर आधारित युद्ध नीति के उदय का संकेत देता है।

वैश्विक संयम से पहले हमले की मानसिकता की ओर बदलाव:

  • अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष में मानकों का पतन: संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव, संप्रभुता के सिद्धांत, गैर-आक्रामकता और प्रतिरोध नीति जैसे मूल सिद्धांत अब तात्कालिक लाभ की वजह से कमजोर पड़ते जा रहे हैं।
  • इराक एक चेतावनी के रूप में, 2003 से मिले सबक: वर्ष 2003 में अमेरिका ने इराक पर आक्रमण किया, जो कथित रूप से वहां सामूहिक विनाश के हथियार (WMD) होने के झूठे दावे पर आधारित था।
    •  इसका परिणाम व्यापक विनाश, नागरिकों की मौत और अस्थिरता के रूप में सामने आया।
    •  यह कार्रवाई अंधाधुंध और बिना सोच-समझ के किए गए पूर्व-हमलों के खिलाफ एक चेतावनी बन सकती थी।
    •  लेकिन वर्तमान में ईरान को लेकर अपनाई गई रणनीति वही पुरानी गलती दोहराती प्रतीत होती है।
  • ईरान का विघटन: गुप्त युद्ध से खुले संघर्ष तक: जबकि वर्तमान तनाव या संघर्ष रातों-रात नहीं भड़क रहा है। यह कई वर्षों से चल रहा है:
    • ईरान की क्रमिक परमाणु प्रगति (यूरेनियम संवर्धन की सीमाओं का उल्लंघन)
    • गुप्त युद्ध (वैज्ञानिकों की हत्या, साइबर हमले, तोड़फोड़)
    • छद्म युद्ध (हूती हमले, हिजबुल्लाह की धमकियाँ, अमेरिकी ठिकानों पर इराकी मिलिशिया के हमले)
    • लेकिन अमेरिका द्वारा किया गया यह प्रत्यक्ष हमला गुप्त अभियानों से खुली, अत्यधिक जोखिमभरी युद्ध नीति की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है

क्षेत्रीय परिणाम

  • बढ़ते टकराव का जोखिम: इन हमलों के चलते ईरान की ओर से प्रतिरोध की आशंका है, जो निम्न रूपों में सामने आ सकता है:
    •  ड्रोन और मिसाइल हमले (हिजबुल्लाह, हूती विद्रोही, और इराकी मिलिशिया के माध्यम से)।
    •  होरमुज़ जलडमरूमध्य की नाकाबंदी (जो वैश्विक तेल आपूर्ति का 40% प्रभावित कर सकती है)।
    •  साइबर युद्ध (अमेरिकी अवसंरचना और खाड़ी देशों के सहयोगियों पर हमले)।
  • कोई भी भौगोलिक क्षेत्र सुरक्षित नहीं: वैश्विक आपसी जुड़ाव का मतलब है कि आर्थिक और रणनीतिक हमलों का प्रभाव पूरी दुनिया में महसूस किया जाएगा। उदाहरण के लिए; मुंबई से लेकर लंदन तक।

वैश्विक महाशक्तियों के लिए निहितार्थ

  • संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिका को सामरिक बढ़त मिलती है, लेकिन उसे रणनीतिक दबाव का सामना करना पड़ता है क्योंकि वह मध्य पूर्व की अस्थिरता और इंडो-पैसिफिक प्राथमिकताओं के बीच फंसा हुआ है।
    •  ईरान पर किए जा रहे प्रत्येक मिसाइल हमले से उसकी कूटनीतिक पकड़, खासकर चीन के खिलाफ कमजोर होती है।
    •  मुद्रास्फीति और चुनावी वर्ष के दबावों के कारण, राजनीतिक जोखिम अधिक हैं।
  • ईरान: ईरान की सरकार इन हमलों का उपयोग राष्ट्रवादी भावनाओं को एकजुट करने और घेराबंदी की मानसिकता को मजबूत करने के लिए करती है। आईआरजीसी (IRGC) हिज़बुल्लाह और हूती जैसे प्रॉक्सी समूहों को सक्रिय कर सकता है। नुकसान के बावजूद, ईरान का परमाणु ज्ञान बरकरार है
  • इज़राइल: इज़राइल ने ईरान के परमाणु स्थलों पर रणनीतिक हमला किया है, लेकिन उसे तेज़ प्रतिक्रिया का खतरा है, खासकर हिजबुल्लाह के माध्यम से, जिससे क्षेत्रीय संघर्ष की संभावना बढ़ जाती है।
  • खाड़ी देश: खाड़ी देश ईरान को नियंत्रित रखना चाहते हैं, लेकिन उसे उकसाना नहीं चाहते। वे क्षेत्रीय विस्तार और आंतरिक अस्थिरता से डरते हैं, इसलिए वे बढ़ते तनाव की बजाय स्थिरता को प्राथमिकता देते हैं।
  • भारत: भारत को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ता है, एक ओर खाड़ी तेल पर अत्यधिक निर्भरता, और दूसरी ओर संघर्षग्रस्त क्षेत्रों से अपने विशाल प्रवासी समुदाय को सुरक्षित निकालने की संभावित आवश्यकता उसके निर्णयों को प्रभावित करती हैं
  • पाकिस्तान: पाकिस्तान ईरान के प्रति जनसमर्थन और अमेरिका पर अपनी आर्थिक निर्भरता के बीच फंसा हुआ है। साथ ही, ईरान से सटे, अशांत बलूचिस्तान क्षेत्र में अस्थिरता का जोखिम भी बना हुआ है

दीर्घकालिक वैश्विक निहितार्थ:

  • मध्य पूर्व में छद्म युद्ध की आग: ईरान संभवतः अपने छद्म समूहों के माध्यम से जवाबी कार्रवाई कर सकता है, हिजबुल्लाह, हूती और इराकी मिलिशिया के माध्यम से मिसाइल और ड्रोन हमले शुरू किए जा सकते हैं।
    •  अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया जा सकता है, इजरायल को उत्तरी मोर्चे का सामना करना पड़ सकता है, और सऊदी अरब के तेल क्षेत्र आग की चपेट में आ सकते हैं।
    •  यह स्थिति भले ही विश्व युद्ध में न बदले, लेकिन एक लंबे क्षेत्रीय संघर्ष में तब्दील हो सकती है, जिसके वैश्विक अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव पड़ने की संभावना है।
  • वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण: अगर होरमुज़ जलडमरूमध्य की नाकाबंदी होती है, तो तेल की कीमतें $120 प्रति बैरल से ऊपर जा सकती हैं, आपूर्ति श्रृंखलाएं बाधित होंगी, महंगाई फिर से अपने पैर पसार सकती है इससे अल्प विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाएं धराशायी हो सकती हैं।
    •  अल्प विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाएं मंदी में जा सकती हैं, जबकि शिपिंग मार्गों का मोड़, बीमा लागत में वृद्धि और तेल पर निर्भर मुद्राओं का अवमूल्यन संकट को और गहरा करेगा।
  • पूर्वानुमान सिद्धांतका सामान्यीकरण: अमेरिका द्वारा किया गया हमला एक खतरनाक मिसाल कायम करता है, जिसमें संभावित भविष्य के खतरों के आधार पर वर्तमान सैन्य कार्रवाई को उचित ठहराया जा रहा है।
    •  यह बदलाव पूर्व-सावधानी आधारित युद्ध को बढ़ावा देता है, जिसमें चीन संभावित रूप से ताइवान के संदर्भ मेंपूर्वानुमान रक्षाकी नीति अपना सकता है, भारत और पाकिस्तान सीमा पार के खतरों को लेकर अपने रुख और कड़े कर सकते हैं, और रूस को यूक्रेन में अपने कार्यों के लिए पूर्वव्यापी वैधता मिल सकती है।
    •  ऐसी प्रवृत्ति वैश्विक स्थिरता को कमजोर करती है और अंतरराष्ट्रीय क़ानून के मानकों को क्षतिग्रस्त करती है।

क्या कूटनीति अभी भी संभव है?

संभावित तनाव में कमी के संकेत:

  • ओमान, भारत और चीन की शांत कूटनीतिक पहल से एक अस्थायी तनाव-विरोधी समझौते की संभावना बन सकती है, जिसके तहत ईरान जवाबी हमला टाल सकता है और अमेरिका भी आगे की सैन्य कार्रवाई से पीछे हट सकता है।
  • यह स्थिति एक कूटनीतिकफ्रीज फ्रेमके रूप में सामने आ सकता हैन पूर्ण शांति, न ही युद्ध, बल्कि प्रतिबंधों के बीच व्याप्त एक संवेदनशील और असहज ख़ामोशी, जहां ईरान का परमाणु कार्यक्रम धीरे-धीरे बिना रोक-टोक जारी रहता है।

निष्कर्ष: यह केवल ईरान या अमेरिका की बात नहीं है। यह युद्ध, शांति और वैधता के भविष्य से संबंधित है। अतः आपसी वार्ताओं के माध्यम से शांति स्थापना हेतु प्रयास किए जाने चाहिए।

 मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न. हाल ही में अमेरिका का ईरान पर हमला रोकथाम से पूर्व-आक्रमण की नीति की ओर बदलाव को दर्शाता है। इस प्रवृत्ति के निहितार्थों की समीक्षा कीजिए और वैश्विक स्थिरता की सुरक्षा के लिए कुछ प्रभावी उपाय सुझाएँ।

(10 अंक, 150 शब्द)

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