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इसरो का पीएसएलवी-सी61 (ISRO PSLV-C61) मिशन: अंतरिक्ष हेतु महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम

Lokesh Pal May 19, 2025 05:00 11 0

संदर्भ:

समकालीन अंतरिक्ष मिशनों की सफलता का लागत काफी हद तक, विश्वसनीयता और समय के बीच संतुलित समन्वय पर निर्भर करती है। इसरो के पीएसएलवी-सी61 (PSLV-C61) मिशन की विफलता इन तीन प्रमुख तत्वों के बीच मौजूद जटिल विकल्पों और समझौतों को सामने लाती है।

इसरो के पीएसएलवी-सी 61 (PSLV-C61) मिशन के बारे में:

  • इसरो के मिशन का उद्देश्य और रणनीतिक महत्व: EOS-09 का उद्देश्य उच्च-रिज़ॉल्यूशन, सभी मौसम में काम करने वाले रडार इमेजिंग प्रदान करना था, जिसका उपयोग नागरिक (जैसे, भूमि उपयोग) और रक्षा निगरानी दोनों के लिए किया जाना था। भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र की यह क्षमता भारत के लिए पाकिस्तान के साथ सीमा पर तनाव की स्थिति में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
  • प्रक्षेपण की विफलता और तकनीकी समस्याएँ: पीएसएलवी-सी61 (PSLV-C61) में, तीसरे चरण की खराबी के कारण उपग्रह को कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि विश्वसनीय माने जाने वाले प्रक्षेपण तंत्र भी अप्रत्याशित समस्याओं से अछूते नहीं हैं।
  • राजनीतिक और सैन्य महत्व: प्रक्षेपण के समय सांसदों की उपस्थिति ने इस मिशन की द्वैध उपयोगिता को दर्शाया है। परंतु इस मिशन की असफलता ने निगरानी में मौजूद खामियों को उजागर कर दिया, जिसमें यह स्पष्ट हो गया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत को निगरानी के लिए विदेशी सेवा प्रदाताओं पर निर्भर रहना पड़ा।
  • निगरानी योजनाएँ और उद्योग की भूमिका: अंतरिक्ष-आधारित निगरानी-3 कार्यक्रम का लक्ष्य 52 उपग्रहों की तैनाती हैं, जिनमें से 31 उपग्रह निजी कंपनियों द्वारा इसरो के तहत बनाए जा रहे हैं – यह रणनीतिक कार्यक्रम तकनीक के क्षेत्र में सार्वजनिक-निजी भागीदारी( public-private model) को दर्शाता है।
  • लागत बनाम विश्वसनीयता बनाम समय: हालांकि की सी भी मिशन की बढ़ती लागत हमेशा मिशन की विश्वसनीयता सुनिश्चित नहीं करता। अंतरिक्ष क्षेत्र में बढ़ती मांग, विशेष रूप से समय-संवेदनशील सैन्य जरूरतों के सन्दर्भ में, किसी भी तरह की चूक या विलंब के लिए स्थान आरक्षित नहीं करता है
  • इसरो के संसाधनों पर दबाव: मानव अंतरिक्ष उड़ान से लेकर जलवायु मिशनों तक, इसरो का कार्यभार लगातार बढ़ रहा है। पीएसएलवी-सी61 (PSLV-C61) और NVS-02 जैसी असफलताएँ यह दर्शाती हैं कि अधिक वित्तीय सहायता और बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में अब पहले से कहीं अधिक है।

निष्कर्ष

बढ़ती प्रतिस्पर्धा और तात्कालिकता के इस दौर में भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि इसरो को उसके विकास कार्यक्रमों में पर्याप्त समर्थन मिले। अंतरिक्ष क्षेत्र में नागरिक, वैज्ञानिक और सैन्य प्राथमिकताओं के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए निरंतर निवेश अत्यंत आवश्यक है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न. विश्लेषण कीजिए कि इसरो की हाल की प्रक्षेपण असफलताएँ भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में तकनीकी विश्वसनीयता, रणनीतिक स्वायत्तता, और संसाधनों के आवंटन से जुड़ी चुनौतियों के बीच आपसी संबंध को कैसे उजागर करती हैं। नागरिक और रक्षा संबंधी अंतरिक्ष प्राथमिकताओं में संतुलन स्थापित करने हेतु उपाय सुझाइए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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