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हिंसा के बढ़ते स्वरूप पर नजर रखना

Lokesh Pal February 10, 2025 05:15 93 0

संदर्भ:

वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में, यूरोप और पश्चिम एशिया सहित दुनिया के विभिन्न भागों में हिंसा बढ़ रही है, जो विश्व व्यवस्था के समक्ष एक चुनौती बनी हुई है। 

1945 के बाद की विश्व व्यवस्था का विघटन:

  • दुनिया के विभिन्न भागों में हिंसा: वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में यूरोप और पश्चिम एशिया सहित दुनिया के विभिन्न भागों में हिंसा बढ़ रही है। मौजूदा संघर्ष, विशेष रूप से यूक्रेन, गाजा और पश्चिम एशिया के अन्य भागों में, 1945 के बाद स्थापित विश्व व्यवस्था के टूटने को उजागर करते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्राधिकारी: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय विश्व व्यवस्था के मौजूदा संकटों में सहभागी न होकर एक निष्क्रिय पर्यवेक्षक बने हुए हैं। 
  • अंतर्राष्ट्रीय कानून में सार्वभौमिक सिद्धांतों का ह्रास: यह वास्तविकता अंतर्राष्ट्रीय कानून के एक समय के पोषित सिद्धांतों के विघटन का संकेत देती है, जैसा कि ह्यूगो ग्रोटियस जैसे विचारकों ने व्यक्त किया था।
    • सही और गलत के सार्वभौमिक सिद्धांतों द्वारा शासित एक “सामान्य नैतिक समुदाय” की अवधारणा अब इतिहास का अवशेष लग रही है।

पश्चिम एशिया में शांति की धुंधली उम्मीद:

  • स्थिरता का लक्ष्य: हाल के समय में, पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक कार्रवाइयों, विशेष रूप से इजरायल और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा, स्थायी शांति की दिशा में उठाए गए कदमों के रूप में देखा गया है।
    • गाजा और लेबनान में चल रहे युद्धों के साथ-साथ ईरान के नेतृत्व वाली ‘प्रतिरोध धुरी’ को कमजोर करने के प्रयासों को दीर्घकालिक स्थिरता स्थापित करने के प्रयासों के रूप में देखा गया है।
  • शांति की धुंधली उम्मीद : हालाँकि, ये कार्य अल्पकालिक साबित हो सकते हैं और इन्हें “क्षतिपूर्ण विजय” माना जा सकता है।
    • इस क्षेत्र में कुछ गतिविधियों में वृद्धि देखी जा रही है हालांकि इन घटनाओं का परिणाम अनिश्चित बना हुआ है। यही कारण है कि वर्तमान हालातों के मद्देनजर इस क्षेत्र में शांति बहाल होना आसान नहीं है।

इस्लामी आतंकवाद एक उभरता हुआ ख़तरा :

  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि : इस्लामी आतंकवाद वर्ष 1979 से विकसित हो रहा है, जो वैश्विक अशान्ति को बढ़ावा देने में अपना योगदान दे रहा है। हालिया वर्षों में देखा गया है कि सुन्नी और शिया दोनों रूपों में उग्रवादी इस्लाम का उदय हुआ।
  • ईरान और अफ़गानिस्तान का मामला: अफ़गानिस्तान में सुन्नी कट्टरपंथ ने अल-कायदा को जन्म दिया, जबकि ईरान में शिया संस्करण ने एक अलग लेकिन समान रूप से हिंसक आंदोलन को जन्म दिया। इन समूहों ने दुनिया भर में विद्रोह को प्रेरित करने की कोशिश की ताकि वे उन शासनों को उखाड़ फेंक सकें जिन्हें वे “काफिर” मानते थे।
  • आतंकवाद 3.0: अल-कायदा और आईएसआईएस के गठन ने, जो दोनों वैश्विक जिहाद पर केंद्रित थे, चरमपंथी विचारधाराओं की पहुंच को और बढ़ाने में योगदान दिया है। हालाँकि, इन समूहों के लक्ष्य पूर्व की तुलना में समय व संसाधनों के साथ विकसित हो गए हैं, और आज, केवल वैश्विक जिहाद उनका प्राथमिक उद्देश्य नहीं है, बल्कि वह इससे आगे बढ़ चुके हैं।
  • आतंकवाद का पुनरुत्थान: अल-कायदा और आईएसआईएस दोनों ने फिर से उभार के संकेत दिए हैं। अल-कायदा ने तालिबान-नियंत्रित अफगानिस्तान में अपने प्रशिक्षण शिविर फिर से शुरू कर दिए हैं, और इस क्षेत्र में आईएसआईएस से जुड़ा संगठन, इस्लामिक स्टेट इन खुरासान प्रांत (आईएसकेपी), अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आगे अपनी पहुंच बढ़ा रहा है।
  • प्रमुख वैश्विक चिंता: हाल के वर्षों में, मॉस्को, ईरान और तुर्की जैसे देशों में हमलों में वृद्धि हुई है, साथ ही पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, सिंगापुर और थाईलैंड में भी घटनाओं की संख्या बढ़ रही है।
  • लोन वुल्फ अटैक: ‘लोन वुल्फ हमलों’ (Lone Wolf Attack) में भी वृद्धि हुई है, जो किसी विचारधारा से प्रभावित व्यक्ति द्वारा किसी बड़े संगठन के प्रत्यक्ष समर्थन के बिना स्वतंत्र रूप से कार्य करते हुए किए गए आतंकवादी कृत्यों को संदर्भित करता है।
  • डिजिटल युग: इसे रोकने के प्रयासों के बावजूद, इस्लामी आतंकवाद एक वैश्विक खतरा, खासकर डिजिटल युग में बना हुआ है। जहाँ यह ऑनलाइन व्यक्तियों को कट्टरपंथी बना रहा है। हालांकि आज के आतंकवादी समूह पहले से कहीं अधिक विकेंद्रीकृत, डिजिटल रूप से सशक्त और अनुकूलनीय हैं।

हालिया आतंकवादी हमलों की गाथा :

  • लास वेगास में टेस्ला साइबर ट्रक में विस्फोट: जनवरी 2025 में लास वेगास में टेस्ला साइबर ट्रक में विस्फोट हुआ था, उस होटल के बाहर जिसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ठहरे हुए थे। इसका संबंध एक पूर्व अमेरिकी विशेष बल ऑपरेटिव से था।
  •  न्यू ऑर्लियंस में हमला: इसके बाद न्यू ऑर्लियंस में हमला हुआ, जहां एक पूर्व सैन्यकर्मी ने भीड़ पर ट्रक चढ़ा दिया, जिससे 14 लोगों की मौत हो गई।
  • सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्तियों से जुड़ी इन घटनाओं ने आईएस शैली के आतंकवाद के फिर से उभरने की चिंता को जन्म दिया है। यह तथ्य कि आतंकवादी संगठन सैन्य पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों की भर्ती तेजी से कर रहे हैं, विशेष रूप से चिंताजनक है ।
  • इसके अतिरिक्त, रिपोर्टों से पता चलता है कि ये समूह नए सदस्यों की भर्ती करने और उन्हें कट्टरपंथी बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी आधुनिक तकनीक का उपयोग कर रहे हैं।

आगे की राह:

  • डिजिटल कट्टरपंथ पर अंकुश: चरमपंथी विचारधाराओं को बढ़ावा देने वाले ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों से मजबूती से निपटने की आवश्यकता है और डिजिटल स्थानों की कड़ी निगरानी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
  • एआई-आधारित आतंकवाद-रोधी रणनीतियाँ: आतंकवादी गतिविधियों की भविष्यवाणी करने, उनका पता लगाने और उन्हें रोकने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करना, जिससे प्रतिक्रिया दक्षता में वृद्धि हो।
  • पश्चिम एशियाई राजनीति का विश्लेषण: क्षेत्रीय आतंकवाद की गतिशीलता को समझने और उसे कम करने के लिए पश्चिम एशिया में राजनीतिक घटनाक्रमों पर निरंतर निगरानी रखी जानी चाहिए।
  • खुफिया जानकारी साझा करना और वैश्विक सहयोग: अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए राष्ट्रों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और खुफिया जानकारी साझा करने संबंधी तंत्र को मजबूत किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष:

वैश्विक सहयोग, सतर्कता और आतंकवाद के खिलाफ सक्रिय दृष्टिकोण इस जारी खतरे को और बढ़ने से पहले ही दूर करने के लिए आवश्यक है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को वैश्विक आतंकवाद के संभावित पुनरुत्थान के चेतावनी संकेतों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: ISIS और अल-कायदा जैसे आतंकी समूहों का फिर से उभरना, साथ ही डिजिटल कट्टरपंथ में प्रगति, नई सुरक्षा चुनौतियां पेश करती है। इस कथन के आलोक में वैश्विक आतंकवाद की बदलती गतिशीलता और भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए इसके निहितार्थों पर चर्चा करें। 

(15 अंक, 250 शब्द)

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