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भारत में किडनी प्रत्यारोपण संबंधी चुनौतियाँ

Lokesh Pal March 12, 2024 05:30 169 0

संदर्भ:

यह लेख भारत में किडनी प्रत्यारोपण हेतु किडनी की गंभीर कमी पर प्रकाश डालता है और यह भी सुझाव देता है कि किडनी स्वैप और किडनी चेन के नवीन तरीकों से प्रत्यारोपण में वृद्धि हो सकती हैI साथ ही इस लेख में भारत को अपने नागरिकों की मदद करने और अवैध किडनी बिक्री को कम करने के लिए सफल अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं को अपनाने के संबंध में भी चर्चा की गई है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत में किडनी प्रत्यारोपण की कमी और किडनी प्रत्यारोपण के तरीकों के बारे में।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: किडनी प्रत्यारोपण- सांख्यिकी, चुनौतियाँ और आगे की राह।


भारत में किडनी की कमी:

  • चिंताजनक स्थिति: भारत में किडनी संबंधित अंगों की कमी एक चिंताजनक स्थिति है।
    • वर्ष  2022 में, दो लाख से अधिक रोगियों को किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता थी, लेकिन केवल 7,500 प्रत्यारोपण (लगभग 3.4%) ही संभव हो पाए।
  • CKD की व्यापकता: मधुमेह, कुपोषण, अत्यधिक संकुलता और खराब स्वच्छता के कारण, भारत में क्रोनिक किडनी रोग (CKD) की व्यापकता बहुत अधिक है, जिससे लगभग 17% आबादी प्रभावित है।
  • ESRD: सीकेडी अक्सर अंतिम चरण की गुर्दे की बीमारी (ESRD) का कारण बनता है और इस दिशा में किडनी प्रत्यारोपण अक्सर सबसे अच्छा इलाज साबित होता है।
  • सुविधाओं की कमी: भारत के विपरीत, संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य विकसित देशों  द्वारा लगभग 20% किडनी प्रत्यारोपण किया जाता है। विशेष रूप से, इस अंतर का एक बड़ा कारण भारत में चिकित्सा सुविधाओं की कमी को नहीं बल्कि तुलनात्मक रूप से अधिक कड़े नियमों को माना जाता है।

किडनी प्रत्यारोपण:

  • आवश्यकता: किडनी प्रत्यारोपण को प्रायः सभी महत्त्वपूर्ण आयामों पर अन्य विकल्पों की तुलना में बेहतर माना जाता है: जीवन की गुणवत्ता, रोगी की सुविधा, जीवन प्रत्याशा, साथ ही लागत-प्रभावशीलता
  • प्राप्त करने का तरीका: निम्नलिखित चार मुख्य तरीके हैं, जिनके तहत कोई मरीज किडनी प्राप्त कर सकता है:

1. किसी मृत व्यक्ति से:

      • चुनौती: दान की कमी, मृत्यु की प्रकृति के संबंध में आवश्यक विशेष परिस्थितियाँ और किडनी को एकत्र और संगृहीत करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचे की कमी के कारण यह तरीका बाधित है।

2. किसी रिश्तेदार या मित्र से किडनी दान के अनुरोध द्वारा: 

      •  चुनौती: दाता और प्राप्तकर्ता को रक्त प्रकार और ऊतक प्रकार के मामले में सुसंगत होना आवश्यक है और ऐसे में रिश्तेदार/मित्र दाता अक्सर असंगत पाए जाते हैं।

3. किडनी स्वैप: यह तब किया जाता है जब दो असंगत दाता-प्राप्तकर्ता जोड़े किडनी का आदान-प्रदान करते हैं।

      •  उदाहरण के लिए: सुनीता और ज़ोया, जो अपने-अपने जीवनसाथी के लिए किडनी प्रत्यारोपण हेतु असंगत हैं लेकिन एक-दूसरे के साथ अनुकूलता पाए जाने की स्थिति में दाताओं की अदला-बदली कर सकती हैं, जिससे प्रत्यारोपण की अनुमति मिल जाती है।

4. किडनी चेन: इसकी शुरुआत एक परोपकारी दाता से होती है। यह दाता एक संगत प्राप्तकर्ता को किडनी देता है और उसका असंगत दाता किसी अन्य संगत प्राप्तकर्ता को किडनी देता है, जिससे दान की एक शृंखला बन जाती है।

      •  उदाहरणस्वरुप: सोनू एक परोपकारी दाता है जो बदले में किडनी की कोई उम्मीद किए बिना अपनी किडनी दान करता है। सोनू, सुनीता को दान देता है (किडनी प्रत्यारोपण संबंधी अनुकूलता को देखते हुए), सुनीता का पति  ज़ोया को दान देता है और ज़ोया का पति किसी अन्य को दान देता है और आगे इसी प्रकार शृंखला चलती रहती है ।
      • ‘किडनी स्वैप’ और ‘किडनी चेन’ किडनी एक्सचेंज के दो नवीन तरीके हैं।

प्रत्यारोपण से जुड़ी चुनौतियाँ:

  • प्रौद्योगिकियों का कम उपयोग: कानूनी बाधाओं के कारण भारत में बहुत कम स्वैप ट्रांसप्लांट देखने को मिलता है और लगभग नहीं के बराबर चेन ट्रांसप्लांट दिखाई देता है।
  • स्वैप ट्रांसप्लांट के नियमों में अंतर: भारत में कानूनी रूप से उचित अनुमति के साथ स्वैप ट्रांसप्लांट की अनुमति प्राप्त है, लेकिन दाता-प्राप्तकर्ता जोड़े के रूप में केवल निकट-रिश्तेदारों को ही अनुमति प्राप्त है।
    • जबकि केरल, पंजाब और हरियाणा राज्य इसके अपवादस्वरूप हैं जो सत्यापन के बाद गैर-निकट-संबंधी दाता-प्राप्तकर्ता जोड़े को अनुमति प्रदान करते हैं।
  • लगभग न के बराबर किडनी चेन : केरल को छोड़कर सभी राज्यों में परोपकार हेतु किडनी दान करना गैर-कानूनी माना जाता है।
    • मृतक या ब्रेन डेड की किडनी का उपयोग किडनी दान की शृंखला या चक्रों के लिए नहीं किया जाता है।
    • स्वैप की तुलना में किडनी चेन की कमी को संभवतः एक बड़े अवसर की चूक माना  जाता  है, क्योंकि किडनी चेन या श्रृंखला में सीमित अस्पताल के संसाधनों और प्रतिभागियों की अनिश्चितता आदि को संबोधित करने की क्षमता होती है।
  • समन्वय प्राधिकरण का अभाव: शवों से सीधे किडनी प्रत्यारोपण के लिए राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और राज्य सूचियों की सुविधा के विपरीत, स्वैप के लिए कोई राष्ट्रीय समन्वय प्राधिकरण की सुविधा नहीं है।
    • यह भी एक बहुत बड़े अवसर की चूक के समान है, क्योंकि किडनी दान हेतु निर्मित  एक वृहत और अधिक विविध कड़ी के तहत संगत स्वैप को ढूंढना आसान हो जाता है।
  • कालाबाजारी का प्रसार: स्वैप और चेन (chains) को विनियमित करने वाले कठोर कानूनों ने किडनी की उपलब्धता के लिए कालाबाजारी के प्रसार में योगदान दिया है। इस कालाबाजारी  से सभी को खतरा होता है, क्योंकि इसके तहत अवैध ऑपरेशन बिना किसी उचित कानूनी और चिकित्सा सुरक्षा उपायों के किए जाते हैं।
    •  वित्तीय संकट से राहत पाने हेतु  ‘किडनी बेचना’ भी मुख्यधारा का एक संदर्भ माना जाता है।
  • किडनी कानूनों में धीमा सुधार: गौरतलब है कि किडनी विनिमय कानूनों में सुधार बहुत धीमे रहे हैं।
    • मानव अंगों और ऊतकों का प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994: इसके तहत  मस्तिष्क-स्टेम मृत्यु द्वारा अंग प्रत्यारोपण की संभावना की पहचान शुरू हुई।
    • वर्ष 2011 का संशोधन: वर्ष 2011 में, स्वैप ट्रांसप्लांट को वैध कर दिया गया और एक राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम शुरू किया गया।
    • लेकिन प्रारंभ में राष्ट्रीय नेटवर्क अपने अविकसित रूप में ही रहा।
    • अपर्याप्त किडनी आपूर्ति का मौलिक मुद्दा नदारद : सरकार के हालिया सुधार यानी, नए राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण दिशा-निर्देश (फरवरी, 2023), अंग प्राप्त करने हेतु पंजीकरण करते समय उम्र और निवास संबंधी आवश्यक शर्तों में अधिक छूट प्रदान करते हैं।
    • लेकिन ये सुधार अपर्याप्त किडनी आपूर्ति के बुनियादी मुद्दे को काफी हद तक अनदेखा कर देते हैं।

आगे की राह:

  • किडनी विनियमन की आवश्यकता: किडनी एक्सचेंज के लिए किडनी संबंधी विनियमों की आवश्यकता है, क्योंकि किडनी एक्सचेंज अक्सर परिवार के सदस्यों के बीच होना चाहिए।
  • नवीन सुधारों की आवश्यकता: नवीन किडनी विनिमय विधियों यथा  किडनी ‘स्वैप’ और किडनी ‘चेन’ को स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए इन नियमों में तत्काल सुधार की आवश्यकता है।
  • परोपकारी दान हेतु प्रोत्साहन: स्वैप के लिए गैर-निकट रिश्तेदारों के दान और किडनी-एक्सचेंज संबंधी बुनियादी ढाँचे में सुधार हेतु परोपकारी दान को अनुमति प्रदान करने और प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है।
  • अन्य देशों से सीख: भारत को किडनी के लिए अंगों की कमी को दूर करने के लिए दूसरे देशों से सीखने और ऐसे नियमों को लागू करने की जरूरत है।
    • परोपकारी दान की अनुमति के उदाहरण: ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इजराइल, नीदरलैंड और यू.एस.ए.। 
    • किडनी चेन और स्वैप के लिए राष्ट्रीय स्तर पर रजिस्ट्रियों का सृजन : स्पेन और यूनाइटेड किंगडम की तरह।
      • अमेरिका ने विशेष रूप से हजारों स्वैप और चेन की सुविधा प्रदान करने की दिशा में काफी प्रगति की है।
      • किडनी एक्सचेंज के लिए स्पेन जैसे देश से अंतरराष्ट्रीय सहयोग हेतु संपर्क बनाने की आवश्यकता है।
  • कानूनों को आसान बनाना: अंगों की अदला-बदली के लिए कानूनों को आसान बनाने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष:

भारत के समक्ष उपस्थित किडनी प्रत्यारोपण संकट पर तत्काल ध्यान देने और व्यापक सुधारों को किए जाने की आवश्यकता  है। इस संबंध में उत्कृष्ट अंतरराष्ट्रीय अभ्यासों से सीखकर, नियामक परिवर्तनों को लागू करके और सहयोग को बढ़ावा देकर भारत अंग प्रत्यारोपण की दिशा में आए इस अंतराल को पाट सकता है।

समाचार स्रोत: द हिंदू

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