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भारतीय कानून उद्योग में एक नए पहल की शुरुआत

Lokesh Pal May 08, 2024 05:15 144 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: बार काउंसिल ऑफ इंडिया, भारत का सर्वोच्च न्यायालय, भारत में विदेशी वकीलों और विदेशी कानून फर्मों के पंजीकरण और विनियमन के नियम, 2022

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता, बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा वकीलों हेतु निर्धारित नियम

संदर्भ :

  • जैसे-जैसे भारत सीमापारीय वाणिज्य के लिए एक अग्रणी केंद्र बनता जा रहा है वैसे-वैसे भारतीय कानूनी उद्यम का वैश्वीकरण अपरिहार्य होता जा रहा है।

वैश्वीकरण और भारतीय कानूनी उद्यम की पृष्ठभूमि:

  • वैश्वीकरण के मध्य कानूनी उद्यम: भारत द्वारा वर्ष 1991 में वैश्वीकरण को अपनाया गया था, लेकिन भारत का कानूनी उद्यम इस वैश्वीकरण से अछूता ही रहा।

वैश्वीकरण:

वैश्वीकरण का तात्पर्य, बिना किसी भौगोलिक-सीमा संबंधी बाधाओं के उन वैश्विक शक्तियों की श्रृंखला से है, जो संरक्षणवादी प्रवृत्तियों को सार्वभौमिकता और समन्वय की भावना से प्रतिस्थापित करना चाहते हैं।

  • बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) की स्वीकृति: बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा कानूनी क्षेत्र में वैश्वीकरण की अनिवार्यता को स्वीकार किया जा चुका है ।
  • कानूनी पेशेवरों पर वैश्वीकरण का प्रभाव: वैश्वीकरण का उद्देश्य सार्वभौमिकता और समकालिकता को स्थापित करना है, जिससे कानूनी पेशेवरों के मध्य सामंजस्यपूर्ण वार्ता की संभावना उत्पन्न होती है।

भारत में विदेशी वकीलों के लिए विनियम:

  • BCI का 2022 नियम: BCI द्वारा वर्ष 2023 में “भारत में विदेशी वकीलों और विदेशी कानून फर्मों के पंजीकरण और विनियमन हेतु नियम, 2022” पेश किए गए।
    •  ये नियम विदेशी वकीलों को लेन-देन या कॉर्पोरेट संबंधी कार्यों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सीमित उद्देश्यों हेतु भारत में कार्यालय स्थापित करने की अनुमति देते हैं।
  • भारत में विदेशी वकीलों के लिए प्रैक्टिस का दायरा: विदेशी वकील भारतीय अदालतों, न्यायाधिकरणों या वैधानिक प्राधिकारियों के समक्ष उपस्थित नहीं हो सकते हैं।
    •  लेकिन, इन नियमों के तहत अब उन्हें भारत में संचालित अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता मामलों में सलाह देने और उपस्थित होने की अनुमति प्राप्त हुई, फिर चाहे इसमें विदेशी कानून शामिल हो या नहीं हो।
  • विगत प्रतिबंधों से प्रादुर्भाव : पूर्व में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विदेशी वकीलों को भारत में मुकदमेबाजी या गैर-मुकदमेबाजी पक्ष में विधि का अभ्यास करने से प्रतिबंधित कर दिया गया था और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता मामलों में उनकी भागीदारी को “फ्लाई इन और फ्लाई आउट” आधार पर केवल भारत आने तक सीमित कर दिया गया था। 
  • विदेशी वकीलों की नई भूमिका : BCI नियम एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देते हैं, जो एक विनियमित ढांचे के अंतर्गत विदेशी वकीलों के लिए एक नई भूमिका की अनुमति देता है।

प्रत्याशित लाभ और जोखिम:

  • अल्पकालिक प्रभाव एवं दीर्घकालिक लाभ: देखा जाए तो बीसीआई नियम कुछ भारतीय कानून फर्मों की तत्काल लाभप्रदता को प्रभावित कर सकते हैं लेकिन इससे दीर्घकालिक लाभ की उम्मीद की जा सकती है।
  • आदान-प्रदान संबंधी आवश्यकता से लाभ: इस नियम  द्वारा यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि भारतीय वकीलों को भी विदेशी न्यायालयों में कानूनी पेशे तक पहुंच में बढ़त  हासिल हो सकेगी ।
    •  इसके परिणामस्वरूप विभिन्न न्यायक्षेत्रों में वकीलों के मध्य जानकारी, कौशल और विशेषज्ञता का निरंतर आदान-प्रदान संभव हो सकेगा।
  • भारतीय कानूनी उद्यमों में अभिवृद्धि : विदेशी फर्मों के साथ बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण भारतीय कानूनी उद्यमों में कार्य संस्कृति, पारिश्रमिक और सेवा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
  • विदेशी फर्म की उपस्थिति के जोखिम: हालाँकि, विदेशी फार्मों की भारत में उपस्थिति के कारण संभावित जोखिमों में भारतीय और विदेशी कानून फर्मों के मध्य नियामक असमानताएं, संभावित नैतिक संघर्ष और विदेशी फर्मों के पक्ष में होने वाली वित्तीय असमानताएं शामिल हैं।
    •  गौरतलब है कि विज्ञापनों के माध्यम से ग्राहकों से अनुरोध किये जाने के संबंध में भारतीय वकीलों पर प्रतिबंध है लेकिन ऐसे प्रतिबंध अन्य न्यायालयों में शायद ही देखने को मिलते हैं।
    • संभावना है कि विभिन्न देशों में कार्यरत कुछ बहु-क्षेत्राधिकार वाली कानून फर्मों के पास अपने भारतीय समकक्षों की तुलना में अधिक मौद्रिक क्षमताएं हो, जिसके कारण आगे के पेशेवरों के लिए प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो सकता है।

आशावादी दृष्टिकोण को सावधानीपूर्वक संतुलित करना:

  • पंजीकरण आवश्यकताएँ और बहिष्करण:  BCI, पंजीकरण संबंधी सख्त विनियमों और मुकदमे संबंधी कार्यों से बहिष्करण द्वारा पक्ष और विपक्ष के बारे में जागरूकता प्रदर्शित करता है।
  • परामर्शी दृष्टिकोण: बीसीआई और हितधारकों के मध्य चल रही वार्ता सचेतात्मक और परामर्शात्मक दृष्टिकोण का संकेत देती है।

निष्कर्ष:

गौरतलब है कि इस संदर्भ में आशावादी दृष्टिकोण को सावधानीपूर्वक अपनाये जाने की आवश्यकता है, जो यह विश्वास दिलाता है कि बीसीआई नियम भारतीय कानूनी उद्यमों को एक उज्जवल भविष्य की ओर ले जाएंगे।

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :                                                                                      (UPSC : 2022)                         

प्रश्न. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: 

  1. सरकारी विधि अधिकारी और विधिक फर्म अधिवक्ताओं के रूप में मान्यता प्राप्त हैं, किंतु कॉर्पोरेट वकील और पेटेंट न्यायवादी अधिवक्ता की मान्यता से बाहर रखे गये हैं। 
  2. विधिज्ञ परिषदों (बार काउंसिल) को विधिक शिक्षा और विधि विश्वविद्यालयों की मान्यता के बारे में नियम अधिकथित करने की शक्ति है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)

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