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TCS में छंटनी: कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में भारत के आईटी क्षेत्र में रोजगार चुनौतियाँ

Lokesh Pal July 29, 2025 05:15 12 0

संदर्भ

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने हाल ही में घोषणा की है कि वह 12,000 कर्मचारियों की छंटनी करेगी, जो उसके वैश्विक कार्यबल का 2 प्रतिशत है, जिससे भारत के श्रम बाजार पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के प्रभाव को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।

  • हालांकि, TCS के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) ने कहा है कि यह छंटनी कौशल बेमेल के कारण की जानी है, क्योंकि कुछ कर्मचारियों में उद्योग के लिए आवश्यक कौशल का अभाव है।

भारतीय अर्थव्यवस्था में आईटी क्षेत्र की भूमिका

 आईटी उद्योग भारत के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण उद्योग है:

  • वर्ष 2024 में आईटी उद्योग ने लगभग 5 मिलियन लोगों को रोजगार प्रदान किया।
  • यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 7% का योगदान देता है।
  • भारत के सेवा निर्यात में आईटी क्षेत्र का योगदान 50% है।
  • यह मध्यम वर्ग के युवाओं, विशेषकर टियर-2 और टियर-3 शहरों के स्नातकों के लिए सतत उन्नति करने का एक महत्वपूर्ण मार्ग है, जो TCS और Infosys जैसी कंपनियों में काम करने की इच्छा रखते हैं।
    • ऊर्ध्वगामी गतिशीलता का अर्थ है परिवार को गरीबी से बाहर निकालना, जीवन स्तर में सुधार लाना, तथा कैरियर विकास के माध्यम से सम्मान प्राप्त करना।

छंटनी की प्रमुख चुनौतियाँ और योगदान देने वाले कारक

  • कोविड-19 महामारी के बाद, आईटी कंपनियों ने बड़ी संख्या में इंजीनियरिंग स्नातकों को तेजी से नियुक्त किया
    • हालाँकि, वैश्विक अर्थव्यवस्था विभिन्न तनावों के अंतर्गत इस समय महत्वपूर्ण अस्थिरता का सामना कर रही है। इतना ही नहीं अमेरिका में उच्च मुद्रास्फीति और मंदी की आशंका जताई जा रही है।
    • इस आर्थिक अनिश्चितता के कारण कम्पनियां नई परियोजनाएं रोक रही हैं, जिससे TCS और Infosys जैसी दिग्गज आईटी कम्पनियों के लिए वैश्विक ग्राहक हासिल करना कठिन हो रहा है।
    • परिणामस्वरूप, वे नियुक्तियों में कमी कर रहे हैं या अपने मौजूदा कार्यबल को सुव्यवस्थित करने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
  • AI और ऑटोमेशन प्रवेश स्तर की नौकरियों पर प्रभाव: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) तेजी से प्रवेश स्तर के कार्यों को सरल बना रहा है, जैसे परीक्षण और बग का पता लगाना।
    • स्वचालन से इन प्रारंभिक चरण के कार्यों को अधिक तेजी से, अधिक कुशलता से तथा कम लागत पर पूरा किया जा सकता है।
    • AI अब पारंपरिक रूप से नए, अनुभवहीन स्नातकों द्वारा निभाई जाने वाली भूमिकाओं में अधिक प्रभावी है, जिसके लिए कार्यबल से नए कौशल की आवश्यकता होती है।
  • वैश्विक क्षमता केन्द्रों (GCC) का उदय: बहुराष्ट्रीय निगम (MNC) तेजी से अपने कार्यों व उनके प्रबंधन में समझदारी दिखा रहे हैं।
    • TCS जैसी भारतीय आईटी कंपनियों को परियोजनाएं आउटसोर्स करने के बजाय, वे भारत में अपने स्वयं के वैश्विक क्षमता केंद्र स्थापित कर रहे हैं
    • इससे उन्हें भारतीय आईटी सेवा प्रदाताओं को दरकिनार करते हुए भारत में उपलब्ध सस्ते श्रम का सीधा लाभ उठाने का अवसर मिलता है।
  • स्थिर प्रवेश-स्तर वेतन: पिछले 10-14 वर्षों से, आईटी उद्योग में प्रवेश करने वाले नए इंजीनियरिंग स्नातकों का वेतन काफी हद तक अपरिवर्तित रहा है।
    • इस बीच, बेंगलुरु और गुरुग्राम जैसे प्रमुख आईटी केंद्रों में जीवन स्तर की लागत में काफी वृद्धि हुई है
    • इससे मध्यम वर्ग के लोगों को ऋण लेने और कर्ज में डूबने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जिससे आईटी क्षेत्र द्वारा मध्यम वर्ग को बढ़ावा देने के प्रारंभिक इरादे प्रभावित होते हैं।
  • चरम बाजार परिदृश्य: आईटी उद्योग में अब चरम परिणाम सामने आ रहे हैं: या तो व्यक्ति बहुत ऊंचे पैकेज (जैसे, 80-90 लाख या करोड़ों रुपये) प्राप्त करते हैं, यदि वे असाधारण रूप से कुशल हैं, या उन्हें कम पैकेज (जैसे, 5-10 लाख रुपये) पर जीवित रहने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
    • कैरियर और वित्तीय स्थिरता के मामले में “मध्यम मार्ग” कम होता जा रहा है।

आगे की राह

  • पाठ्यक्रम में तत्काल सुधार: कौशल असंतुलन और उद्योग में छंटनी की समस्या से निपटने के लिए इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में तत्काल सुधार की आवश्यकता है।
  • अल्पकालिक पाठ्यक्रम डिजाइन करना: सरकार को आईटी उद्योग के साथ मिलकर साइबर सुरक्षा और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसे महत्वपूर्ण नए कौशल में अल्पकालिक, अच्छी तरह से संरचित पाठ्यक्रम डिजाइन करना चाहिए, भावी उद्योगों की मुख्य मांग पर आधारित हो।
  • सरकारी डिजिटल प्लेटफॉर्म को अपग्रेड करना: इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम प्रदान करने वाले SWAYAM और NPTEL जैसे सरकारी प्लेटफॉर्म को लगातार अपग्रेड और वित्त पोषित किया जाना चाहिए
  • क्षेत्रवार विविधता पर ध्यान केन्द्रित करना: यद्यपि आईटी क्षेत्र किसी भी राष्ट्र की एक आर्थिक ताकत है परंतु भारत को अपने आर्थिक विकास इंजनों में विविधता लाने के लिए जैव प्रौद्योगिकी और फार्मास्यूटिकल्स जैसे अन्य आशाजनक क्षेत्रों पर भी ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।
  • उच्च शिक्षा प्रणाली में सम्पूर्ण सुधार: उच्च शिक्षा प्रणाली में भी व्यापक सुधार आवश्यक है।
  • उद्योग-अकादमिक अंतराल में कमी: उद्योग और अकादमिक के बीच लंबे समय से चली आ रही दूरी को सक्रिय रूप से संबोधित किया जाना चाहिए।
    • उद्योग विशिष्ट कौशल की आकांक्षा रखते हैं, जबकि शिक्षा जगत अक्सर पुराने पाठ्यक्रम पढ़ाता है। इस कमी को समन्वित प्रयासों से पूरा किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

अगर भारत तेज़ी से अनुकूलन करने में विफल रहता है, तो ये छंटनी और बढ़ती बेरोज़गारी जारी रहेगी। सरकार के लिए यह ज़रूरी है कि वह निर्णायक कदम उठाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भारत का आईटी कहेटर की उन्नति का सपना जीवंत बना रहे और आर्थिक समृद्धि और ऊर्ध्वगामी गतिशीलता को बढ़ावा मिलता रहे।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: आईटी क्षेत्र भारत की आर्थिक वृद्धि का आधार रहा है और निर्यात एवं रोज़गार में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक बदलावों के कारण वर्तमान समय में, इसके सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए। उद्योग में निरंतर रोज़गार सृजन सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत उपाय सुझाइए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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