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Lokesh Pal October 29, 2024 05:15 39 0
भारत में लाखों युवा सीखने की कठिनाइयों से पीड़ित हैं, जो उनकी सीखने और कक्षा में भाग लेने की क्षमता को बाधित करती हैं। इस समस्या का समाधान करने के लिए, एक समावेशी वातावरण को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, जहाँ सभी शिक्षार्थी सफल हो सकें।
वयस्क व्यक्तियों के लिए सीखने की अक्षमताओं हेतु निदान परीक्षण शुरू करने का सरकार का हालिया कदम सराहनीय है। हालाँकि, वास्तविक प्रगति शिक्षकों को न्यूरोडाइवर्स छात्रों को प्रभावी ढंग से समर्थन देने के लिए आवश्यक कौशल से लैस करने पर निर्भर करती है।
बच्चों में, सीखने संबंधी अत्यधिक जटिल अक्षमताएँ विद्यमान हैं, लेकिन परिवार, समाज व सरकार की सकारात्मक प्रतिक्रिया इसके लिए उपयोगी सिद्ध हो सकती है। समाज को अधिक समावेशी होना चाहिए और एक समावेशी शैक्षिक प्रणाली स्थापित करके विभिन्न युवा मस्तिष्कों की क्षमता को अनलॉक किया जा सकता है जो सहानुभूति, समझ और साक्ष्य-आधारित समाधानों को बढ़ावा देती है।
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