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प्रदूषण से निपटने के लिए चीन से सबक

Lokesh Pal December 22, 2025 05:30 6 0

संदर्भ:

चीन और भारत लंबे समय से गंभीर वायु प्रदूषण की समस्या से जूझते रहे हैं। हालांकि, कभी स्मॉग का वैश्विक प्रतीक रहा बीजिंग 2013 से 2021 के बीच अपने वार्षिक PM2.5 स्तर को 50% से अधिक घटाने में सफल रहा, जबकि दिल्ली आज भी विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल है।

बीजिंग की प्रमुख नीतिगत पहल

  • प्रदूषण स्तर में गिरावट: बीजिंग में PM2.5 का स्तर 2013 में 102 μg/m³ से घटकर 2024 में 31 μg/m³ रह गया। यह कणिकीय प्रदूषण में 50% से अधिक की कमी को दर्शाता है।
  • वायु प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण कार्ययोजना औरब्लू स्काई प्रोटेक्शन कैंपेन’
  • सफलता के तीन स्तंभ:
    • सुसंगत नीति: बिखरे हुए कानूनों के बजाय एकीकृत दृष्टिकोण और स्पष्ट उद्देश्य।
    • कठोर प्रवर्तन: अनुपालन न करने पर कठोर दंड का प्रावधान। पर्यावरणीय ऊर्ध्वाधर सुधार” (Environmental Vertical Reform) के माध्यम से स्थानीय अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित की गई।
    • क्षेत्रीय समन्वय: एकीकृत “एयरशेड” रणनीति अपनाई गई, जिसके तहत बीजिंग ने तियानजिन और हेबेई प्रांतों के साथ समन्वय किया। इससे सीमापार वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना संभव हुआ।
  • परिणाम: PM2.5 का औसत स्तर 2013 में 102 μg/m³ से घटकर 2024 में 31 μg/m³ हो गया, जो एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।

प्रमुख उपाय

  • इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा: वाहन उत्सर्जन घटाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन देना।
  • औद्योगिक स्थानांतरण/बंद: सैकड़ों प्रदूषणकारी उद्योगों को बंद या अन्यत्र स्थानांतरित किया गया।
  • कोयले से स्वच्छ ईंधन की ओर संक्रमण: हजारों कोयला आधारित बॉयलरों को प्राकृतिक गैस से बदला गया।
  • कड़े वाहन उत्सर्जन मानक: चीन-VI जैसे सख्त वाहन उत्सर्जन मानकों को लागू किया गया।
  • उन्नत वायु गुणवत्ता निगरानी: विश्व के सबसे सघन आबादी वाले रियल-टाइम PM2.5 निगरानी नेटवर्क में से एक स्थापित किया गया।
  • दंड के माध्यम से प्रवर्तन: नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया।

भारत की वायु प्रदूषण रूपरेखा का अवलोकन

  • प्रमुख कानून: वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981; पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986; अपशिष्ट, निर्माण और उत्सर्जन से संबंधित कानून।
  • समर्थक संस्थान: न्यायालय, न्यायाधिकरण, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, कारखाना अधिनियम, 1948; मोटर वाहन अधिनियम, 1988।
  • राष्ट्रीय कार्यक्रम: राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP), ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP), दिल्ली वायु प्रदूषण शमन योजना 2025।
  • क्षेत्रीय उपाय: ऑड–ईवन वाहन योजना, निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध, धूल नियंत्रण नियम, फसल अवशेष प्रबंधन, वर्क-फ्रॉम-होम।
  • संस्थागत समर्थन: वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM)।

वे क्षेत्र जहाँ भारत पिछड़ रहा है

  • खंडित शासन व्यवस्था: कई एजेंसियों (केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार, नगर निकाय, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) के कारण जवाबदेही बिखरी हुई है।
  • साइलो में कार्यप्रणाली: एजेंसियाँ समन्वय के बजाय स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं।
  • कमज़ोर क्षेत्रीय समन्वय: पराली जलाने और अंतर-राज्यीय प्रदूषण पर CAQM के निर्देश बीजिंग की एकीकृत एयरशेड रणनीति की तुलना में कम प्रभावी हैं।
  • प्रवर्तन की समस्याएँ: कम कर्मचारी और अपर्याप्त वित्तपोषण के कारण निरीक्षण, निगरानी और प्रवर्तन सीमित है।
  • कमज़ोर दंड और असंगत अनुपालन: उल्लंघनों पर दंड पर्याप्त नहीं है और प्रवर्तन असमान है।
  • रियल-टाइम निगरानी की कमी: बीजिंग जैसे सघन PM2.5 निगरानी नेटवर्क का अभाव।

दिल्ली की संरचनात्मक और क्षेत्रीय चुनौतियाँ

  • औद्योगिक स्थानांतरण: बवाना जैसी परियोजनाएँ कमजोर बुनियादी ढाँचे के कारण विफल रहीं है।
  • वेस्ट-टू-एनर्जी संयंत्र: कई संयंत्र वायु गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतर पाए है।
  • सार्वजनिक परिवहन: शहर की बढ़ती आबादी के अनुरूप विस्तार नहीं हो पाया है।
  • व्यवहार परिवर्तन: चीन की तुलना में स्वच्छ आदतों को अपनाने की गति धीमी हो गई है।

आगे की राह

  • मिशन मोड दृष्टिकोण: वायु प्रदूषण को राष्ट्रीय जनस्वास्थ्य आपातकाल मानते हुए, संपूर्ण-सरकार आधारित मिशन मोड रणनीति को लागु करना।
  • स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण: कोयला आधारित ऊर्जा से तेज़ी से दूरी बनाते हुए उद्योग और शहरी ढाँचे में ऊर्जा दक्षता मानकों को सख्ती से लागू करना।
  • परिवहन क्षेत्र सुधार: BS-VI उत्सर्जन मानकों का कड़ाई से पालन, सार्वजनिक परिवहन का विस्तार और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना।
  • क्षेत्रीय एयरशेड शासन: दिल्ली–NCR और आसपास के क्षेत्रों के लिए बीजिंग–तियानजिन–हेबेई मॉडल जैसा क्षेत्रीय एयरशेड दृष्टिकोण को अपनाना।
  • कार्यात्मक औद्योगिक ज़ोनिंग: कागज़ी स्थानांतरण से आगे बढ़कर पूर्ण सुविधायुक्त औद्योगिक क्षेत्रों का विकास करना।
  • रियल-टाइम उत्सर्जन निगरानी: औद्योगिक धुएँ, अपशिष्ट और अपस्राव की निरंतर रियल-टाइम निगरानी सुनिश्चित करना।
  • इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को प्रोत्साहन: EV चार्जिंग अवसंरचना का विस्तार, प्रोत्साहनों को मज़बूती और EV को सार्वजनिक परिवहन से एकीकृत करना।

निष्कर्ष

अर्थव्यवस्था पर्यावरण की सीमाओं के भीतर अस्तित्व में रहती है, न कि इसके विपरीत। स्वच्छ और नीला आकाश केवल मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और सख्त शासन के माध्यम से ही संभव है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: “पर्यावरण संरक्षण के लिए मजबूत वैधानिक ढाँचा होने के बावजूद, शहरी वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में भारत चीन से पीछे है।” इस अंतर के लिए उत्तरदायी संरचनात्मक और शासन संबंधी चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए। बीजिंग के ब्लू स्काई’ अनुभव से भारत किन विशिष्ट सिद्धांतों को अपनाकर सुधार ला सकता है?

 (15 अंक, 250 शब्द)

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