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लाइफबोट दुविधा

Lokesh Pal November 22, 2024 05:00 40 0

व्याख्या :

  • लाइफबोट दुविधा एक क्लासिक नैतिक विचार प्रयोग है, जो अत्यधिक अभाव की स्थितियों में कठिन नैतिक निर्णय लेने की चुनौती को उजागर करता है। जैसे:
    • एक जहाज़ डूब रहा है और उसमें 20 यात्री हैं, लेकिन सिर्फ़ एक लाइफबोट है जो अधिकतम 10 लोगों को ले जा सकती है। अहम सवाल यह है कि कौन लाइफबोट पर चढ़कर बच पाएगा और किसे पीछे छोड़ना होगा?
  • यह दुविधा हमें मानव जीवन के मूल्य और सीमित संसाधनों के होने पर निष्पक्ष और नैतिक रूप से निर्णय लेने संबंधी प्रश्नों का सामना करने के लिए मजबूर करती है।
  • विभिन्न नैतिक सिद्धांत, जैसे- उपयोगितावाद, निष्पक्षता और समानता या कर्तव्यपरायण नैतिकता आदि समस्या से निपटने के लिए अलग-अलग तरीके प्रस्तुत करते हैं।

विभिन्न दृष्टिकोण 

  • उपयोगितावादी 
    • मुख्य सिद्धांत : अधिकतम व्यक्तियों के अधिकतम सुख को सुनिश्चित करना।
    • निर्णय का आधार : उन लोगों को चुनें जो समाज के समग्र कल्याण में सबसे अधिक योगदान देते हैं (जैसे- चिकित्सक, शिक्षक, इंजीनियर)।
    • तर्क : तर्क यह है कि आपदा के बाद समाज के पुनर्निर्माण के लिए महत्त्वपूर्ण कौशल रखने वालों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इसके विपरीत, जिनके योगदान की संभावना कम मानी जाती है (जैसे- अपराधी, बुजुर्ग) उन्हें प्राथमिकता नहीं दी जा सकती।
    • आलोचना : यह दृष्टिकोण लोगों के मूल्य उनकी उपयोगिता के आधार पर निर्धारित करके अमानवीयकरण संबंधी चिंताओं को जन्म देता है।
  • युवाओं को प्राथमिकता देना
    • मुख्य सिद्धांत : उन लोगों को प्राथमिकता दें जिनके जीवन के संभावित वर्ष अधिक हैं।
    • निर्णय का आधार : युवा लोगों को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि उनके पास लंबा भविष्य है, समाज में योगदान करने के लिए संभावित रूप से अधिक अवसर हैं और मानवता की पीढ़ीगत निरंतरता को बनाए रखने में भी ये उपयुक्त हैं।
    • तर्क : यदि अस्तित्व सीमित है, तो युवाओं को प्राथमिकता देना प्रजातियों को संरक्षित करने के साथ संरेखित है।
  • स्वैच्छिक निर्णय
    • आत्म-बलिदान : यात्री स्वेच्छा से पीछे रहने के लिए तैयार हो जाते हैं, संभवतः उन लोगों को प्राथमिकता देते हैं जो महसूस करते हैं कि उन्होंने संतुष्टिदायक जीवन जिया है या जिनके पास कोई आश्रित नहीं हैं।
    • समूह चर्चा : यात्री सामूहिक रूप से विचार-विमर्श करते हैं और इस बात पर सहमति बनाते हैं कि कौन सवार होगा और कौन नहीं।
    • साझा जोखिम : समूह एक साथ नाव पर चढ़ने का साझा निर्णय ले सकता है, हालाँकि इससे नाव के पलटने का खतरा हो सकता है।

आगे की राह

इस प्रकार, यह एक विचारोत्तेजक परिदृश्य है जो वास्तविक जीवन के मुद्दों को प्रतिबिंबित करता है, जैसे कि संकट के समय संसाधनों का आवंटन या स्वास्थ्य देखभाल संबंधी निर्णय लेना, जहाँ सीमित संसाधनों को किसे प्राप्त करना है, इस बारे में कठिन विकल्प चुनना पड़ता है।

  • कोई भी समाधान नैतिक या भावनात्मक विवाद से मुक्त नहीं है, क्योंकि हर निर्णय में ऐसे समझौते शामिल होते हैं जो हमारी निष्पक्षता, न्याय और मानवता की भावना को चुनौती देते हैं।

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