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लॉस एंजिल्स वनाग्नि: भारतीय जंगलों में बढ़ते वनाग्नि के खतरे एवं प्रबंधन

Lokesh Pal February 12, 2025 05:30 68 0

संदर्भ:

जनवरी 2025 में लॉस एंजिल्स में जंगल की आग ने व्यापक विनाश किया, जिसमें कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और कई लोग विस्थापित हो गए। इन भयावह घटनाओं ने एक बार फिर जंगल की आग को संबोधित करने और रोकने की तत्काल आवश्यकता को उजागर किया है।

भारत में जंगल की आग

  • भारत में स्थिति: भारतीय वन सर्वेक्षण के अनुसार, देश के 36% से अधिक वन क्षेत्र में आग लगने की आशंका बनी रहती है।
    • तापमान, वर्षा, वनस्पति और नमी वनों में आग लगने की घटनाओं के पैमाने और आवृत्ति में योगदान करते हैं।
  • भारत में जंगली आग हेतु उत्तरदायी मौसम: नवंबर से जून तक का समय भारत में वनों में आग लगने का मौसम माना जाता है।
    • सर्दियों के खत्म होने के बाद और गर्मियों के मौसम के दौरान शुष्क बायोमास की पर्याप्त उपलब्धता के कारण मार्च, अप्रैल और मई में आग लगने की अधिक घटनाएँ होती हैं।

2024 में वनाग्नि की स्थिति: भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2024 के दौरान मिजोरम (3,738), मणिपुर (1,702), असम (1,652), मेघालय (1,252) और महाराष्ट्र (1,215) में सबसे अधिक वनाग्नि की घटनाएं दर्ज की गईं।

  • वनाग्नि हेतु उत्तरदायी कारक :  ईंधन भार, ऑक्सीजन और तापमान तीन ऐसे कारक माने जाते हैं जो जंगल की आग को फैलाते हैं।
    • सूखे पत्ते जंगल की आग के लिए सर्वोत्तम ईंधन हैं।
  • जंगल की आग के प्रति संवेदनशील भारतीय राज्य: द्विवार्षिक भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2021 के अनुसार, पूर्वोत्तर राज्यों में जंगल की आग की सबसे अधिक प्रवृत्ति देखी गई।
    • पश्चिमी महाराष्ट्र, दक्षिणी छत्तीसगढ़, मध्य ओडिशा और आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक के क्षेत्रों में भी अत्यधिक आग लगने वाले क्षेत्रों की पहचान की गई है।
    • भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2019 के अनुसार लगभग 4% वन क्षेत्र आग के लिए ‘अत्यधिक प्रवण’ था, और अन्य 6% ‘बहुत अधिक’ आग लगने वाला था।

  • पारिस्थितिकी तंत्र में वनाग्नि की संवेदनशीलता: भारतीय वन सर्वेक्षण के अनुसार, शुष्क पर्णपाती वनों में भयावह आग की घटनाएँ देखी जाती है, जबकि सदाबहार, अर्ध-सदाबहार और पर्वतीय समशीतोष्ण वन तुलनात्मक रूप से आग लगने के लिए कम संवेदनशील होते हैं।

वनाग्नि के कारण और रोकथाम

  • कारण: स्थानीय लोगों द्वारा जानबूझकर लगाई गई आग, लापरवाही, कृषि गतिविधियाँ और प्राकृतिक कारक।
    • एक सरकारी रिपोर्ट में बताया गया है कि स्थानीय लोग उच्च गुणवत्ता वाली घास की वृद्धि को प्रोत्साहित करने, अवैध रूप से पेड़ों की कटाई को रोकने या अवैध शिकार को बढ़ावा देने के लिए जंगलों में आग लगाते हैं।
    • बिजली के तारों और प्रकाश व्यवस्था के घर्षण से भी जंगल में आग लगती है।

वनाग्नि हेतु IPC के प्रावधान: 

भारतीय दंड संहिता के तहत जंगल में आग लगाना दंडनीय अपराध है। हालांकि इस कानून के माध्यम से अनेक मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन उनमें से ज़्यादातर में आरोपी अज्ञात हैं।

  • रोकथाम: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने जंगल की आग को रोकने और नियंत्रित करने के लिए कई उपायों की रूपरेखा तैयार की है, जिसमें शुरुआती पहचान के लिए वॉच टावरों का निर्माण, अग्निशामकों की तैनाती, स्थानीय समुदायों की भागीदारी और अग्नि रेखाओं की स्थापना और रखरखाव शामिल है।
  • अग्नि रेखाओं के प्रकार: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के अनुसार, अग्नि रेखाएँ दो प्रकार की होती हैं:
    • कच्ची (ढकी हुई) अग्नि रेखाएँ: कच्ची अग्नि रेखाओं में, झाड़ियाँ साफ कर दी जाती हैं, जबकि ईंधन के भार को कम करने के लिए पेड़ों को बरकरार रखा जाता है।
    • पक्की (खुली) अग्नि रेखाएँ: पक्की अग्नि रेखाएँ साफ़-सुथरे क्षेत्र होते हैं जो संभावित आग के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न वन डिब्बों या ब्लॉकों को अलग करती हैं।
    • भारतीय वन सर्वेक्षण के अनुसार: “सैटेलाइट-आधारित रिमोट सेंसिंग तकनीक और भौगोलिक सूचना प्रणाली उपकरण आग की आशंका वाले क्षेत्रों के लिए प्रारंभिक चेतावनी बनाकर, वास्तविक समय में आग की निगरानी करके और जले हुए निशानों का अनुमान लगाकर आग की रोकथाम और प्रबंधन में सुधार करने में प्रभावी साबित हुए हैं।” 

निष्कर्ष: 

अतः जंगलों में लगने वाली आग आम जन-जीवन व पर्यावरण के लिए हानिकारक है। भारत व्यापक रूप से नीतियाँ बनाकर, प्रौद्योगिकी और सामुदायिक सहभागिता बढ़ाकर, अपने वनों और उन पर निर्भर आजीविका को बेहतर ढंग से संरक्षित कर सकता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न 

प्रश्न: वनाग्नि पर राष्ट्रीय कार्य योजना और वनाग्नि रोकथाम एवं प्रबंधन योजना (FFPMS) जैसी मौजूदा नीतियों के बावजूद, भारत में वनाग्नि की घटनाओं में वृद्धि जारी है। इन नीतियों की प्रभावशीलता का आलोचनात्मक विश्लेषण करें और भारत में वनाग्नि संबंधित प्रबंधन को बढ़ाने के उपाय सुझाएँ। 

(15 अंक, 250 शब्द)

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