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समुद्री बुनियादी ढाँचे का विस्तार और चीन

Lokesh Pal March 03, 2024 05:15 132 0

संदर्भ:

बड़े समुद्री क्षेत्रों में चीन का व्यापक दबाव एक महत्वपूर्ण वैश्विक चिंता के रूप में उभरा है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, हिंद महासागर क्षेत्र (IOR), आईओआर में विभिन्न द्वीपों की भौगोलिक स्थिति।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत और उसके पड़ोसी देशों के साथ संबंध।

चीन की मंशा:

  • महाशक्ति का दर्जा: बीजिंग का मानना है कि वैश्विक नेतृत्व हासिल करने के लिए समुद्री प्रभुत्व महत्वपूर्ण है।
  • संसाधन पहुँच: चीन की अर्थव्यवस्था ऊर्जा और कच्चे माल की भूखी है। समुद्री मार्गों पर नियंत्रण उनकी आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित करता है।
  • यथास्थिति को चुनौती देना: चीन मौजूदा अमेरिकी नेतृत्व वाली समुद्री व्यवस्था से नाखुश है। वे नियमों को अपने पक्ष में बदलना चाहते हैं।

चीन की बहुआयामी समुद्री रणनीति

  • बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI):
    • ऋण-जाल कूटनीति: कई बीआरआई परियोजनाएँ छोटे देशों पर अस्थिर ऋण का बोझ डालती हैं, जिससे वे चीनी प्रभाव के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं, उदाहरण: श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह।
    • नौसेना पहुँच: जाहिरा तौर पर ये बंदरगाह आसानी से दोहरे उपयोग में आ सकते हैं, जिससे चीनी युद्धपोतों को ईंधन भरने, पुनः आपूर्ति करने और विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की अनुमति मिल जाती है।
    • मोतियों की माला: यह रणनीति चीन द्वारा औपचारिक रूप से घोषित नहीं की गई है, लेकिन पैटर्न स्पष्ट है:
      • रणनीतिक घेरा: वे संभावित ठिकानों का एक नेटवर्क स्थापित करते हुए, प्रमुख समुद्री मार्गों के साथ देशों के साथ संबंध स्थापित करते हैं। इससे भारत का समुद्री क्षेत्र संकुचित हो जाता है।
      • व्यापार नियंत्रण: इन मार्गों पर प्रभुत्व से चीन अपने लाभ के लिए ऊर्जा और अन्य संसाधनों के व्यापार प्रवाह पर दबाव डाल सकता है।

चीन का तंत्र:

  • बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI): इसका उद्देश्य सभी दिशाओं में चीन की समुद्री पहुँच और संपर्क को बढ़ाना है। 
  • तटीय राज्य ग्राहक (Client) राज्यों की श्रेणी में: हाल ही में, दक्षिण एशिया में मालदीव जैसे छोटे राज्य बड़ी शक्तियों, खासकर चीन के ग्राहक (Client) राज्यों की श्रेणी में शामिल हो रहे हैं।
  • समुद्री बुनियादी ढाँचा: हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में, चीन समुद्री बुनियादी ढांचे में अतिरिक्त-क्षेत्रीय भारी निवेश कर रहा है।
  • महत्वपूर्ण समुद्री बुनियादी ढाँचे पर नियंत्रण स्थापित करना: बंदरगाह विस्तार, ड्रोन पनडुब्बियों, विशेष मिसाइल प्रणाली, वाहक-आधारित स्टील्थ विमान और पानी के नीचे ड्रोन जैसी विभिन्न पहलों के माध्यम से चीन महत्त्वपूर्ण समुद्री बुनियादी ढाँचे पर नियंत्रण स्थापित कर रहा है ।

हिंद महासागर का महत्व: 

  • यह वैश्विक व्यापार की जीवनधारा है।
  • ऊर्जा: खाड़ी से भारी मात्रा में तेल का आयता-निर्यात किया जाता है। यहाँ व्यवधान से विश्व अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है।
  • कनेक्टिविटी: यह यूरोप, मध्य पूर्व, अफ्रीका और पूर्वी एशिया को जोड़ती है। 
    • सुरक्षित समुद्री मार्ग सभी के लिए महत्वपूर्ण है।

चीन की ऋण कूटनीति के परिणाम:

  • छोटे राज्य मोहरे के रूप में: छोटे देशों को चीनी निवेश से अल्पकालिक लाभ मिल सकता है, लेकिन स्वायत्तता और युद्धाभ्यास के लिए रणनीतिक जगह खोने का जोखिम है।
  • आंतरिक अस्थिरता: ऋण और चीनी प्रभाव घरेलू राजनीतिक आक्रोश को भड़का सकते हैं, जिससे ये देश अस्थिर हो सकते हैं।

भारत को ख़तरा:

  • सीमित पहुँच: आईओआर में चीनी उपस्थिति, भारत को शक्ति के प्रदर्शन के बजाय रक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर करती है।
  • कमजोर द्वीप क्षेत्र: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भारतीय मुख्य भूमि की तुलना में संभावित चीनी ठिकानों के करीब हैं।

वैश्विक व्यवस्था को ऊपर उठाना

  • कानून का शासन खतरे में: यदि चीन महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को नियंत्रित करने के लिए ताकत का उपयोग कर सकता है, तो यह नेविगेशन की स्वतंत्रता पर आधारित अंतरराष्ट्रीय मानदंडों को भी कमजोर कर सकता है।
  • महान शक्ति संघर्ष: बढ़ते तनाव के कारण समुद्र में घटनाएँ बढ़ सकती हैं, तनाव बढ़ सकता है और व्यापक संघर्ष हो सकता है, जिसका विश्व पर गंभीर प्रभाव हो सकता है।

जवाब में:

  • आर्थिक विकल्प: वैश्विक स्तर के देशों को तत्काल एक व्यापक योजना तैयार करने की आवश्यकता है और यह छोटे तटीय राज्यों के हित में आना चाहिए।
    • चीन की रणनीतिक खरीद का मुकाबला करने और इन विवादित क्षेत्रों में समुद्री विस्तार और बुनियादी ढाँचे पर नियंत्रण स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है ।
  • वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखला: बीआरआई के विकल्प के रूप में, जापान के “एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर” और “भारत की सुरक्षा और सभी के लिए विकास” को विकल्प के रूप में अपनाया जाना चाहिए।
  • रणनीतिक साझेदारियाँ: खासकर क्वाड, अपग्रेड एक्ट ईस्ट पॉलिसी जैसी शक्तियों के साथ जुड़ना जिनका आईओआर में हित है, उदाहरण- फ्रांस तथा जर्मनी इत्यादि।

भारत की भूमिका:

  • क्षेत्र में नेट सुरक्षा प्रदाता: प्रशिक्षण, उपकरण और खुफिया जानकारी साझा करने के साथ छोटे राज्यों की क्षमता निर्माण के साथ-साथ हिंद महासागर क्षेत्र में सक्रिय निगरानी की आवश्यकता है।
  • कूटनीति: भारत को इस बात पर आम सहमति बनाने के लिए सक्रिय रूप से कूटनीति का उपयोग करना चाहिए कि नियम आधारित समुद्री व्यवस्था चीन सहित सभी के लिए फायदेमंद हों।
  • नौसेना का आधुनिकीकरण: विश्वसनीय प्रतिरोध आवश्यक है। भारत को समुद्री क्षमताओं, निगरानी और दूर से काम करने की क्षमता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

News Source: The Pioneer

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