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समुद्री व्यापार और भारतीय नाविकों की बढती सुरक्षा चिंताएँ

Lokesh Pal April 25, 2024 05:30 138 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: लाल सागर और होर्मुज जलडमरूमध्य, अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO), राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: समुद्री डकैती, समुद्री श्रम सम्मेलन, 2006।

संदर्भ:

भारत ने नाविकों की सुरक्षा चिंताओं और व्यापक समुद्री सुरक्षा चुनौतियों के समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) की कानूनी समिति (LEG) के 111वें सत्र में तीन दस्तावेज़ प्रस्तुत किए।

भारतीय नाविकों के लिए बढ़ती सुरक्षा चिंताएँ:

  • भारतीय नाविकों की  बढ़ती सुरक्षा चिंताएँ: लाल सागर और होर्मुज़ जलडमरूमध्य जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में वाणिज्यिक जहाजों पर हाल के हमलों के कारण भारतीय नाविकों को बढ़ती सुरक्षा चिंताओं ने लोगों का ध्यान आकृष्ट किया है।
  • नाविक सुरक्षा के लिए भारत की पहल: भारत ने नाविकों की सुरक्षा, अनुबंध संबंधी शर्तों और व्यापक समुद्री सुरक्षा चुनौतियों के समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) को तीन दस्तावेज़ सौंपे हैं।
  • समुद्री सुरक्षा को बढ़ाना: यह पहल समुद्री सुरक्षा और नाविकों के बेहतर स्थितियों के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

भारतीय नाविकों के लिए चुनौतियाँ और चिंताएँ:

  • समुद्री डकैती: सोमालिया के तट पर हाल के समुद्री डाकू हमलों से समुद्री डकैती के पुनरुद्धार का संकेत मिलता है, जिसमें MV Ruen और  MV Lila Norfolk जैसे जहाजों को निशाना बनाया गया है।
  • गैरकानूनी भर्ती प्रक्रियाएँ: गैरकानूनी भर्ती प्रक्रियाएँ नाविकों की भलाई और अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
    • भारत ने 2020 से नाविक शोषण के 200 से अधिक मामलों की रिपोर्ट दी है, समुद्री श्रम सम्मेलन, 2006 के तहत इन मुद्दों के समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय समन्वय का आग्रह किया गया है।
  • भारतीय नाविकों की कमज़ोरियाँ: भारत, वैश्विक नाविकों की संख्या 9.35% के साथ और ऐसी घटनाओं का सामना करने के मामले में विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है।
    • जैसा कि MSCAries और MT Heroic Idun के मामलों से पता चलता है, भारतीय नाविकों को पोत जब्ती और हिरासत जैसी स्थितियों के परिणामस्वरूप काफी जोखिमों का सामना करना पड़ता है।
  • जवाबदेह चुनौतियाँ: उल्लंघनों के लिए जहाज मालिकों को जवाबदेह ठहराने और विदेशी पंजीकरण के तहत नाविकों के अधिकारों की रक्षा करने के क्षेत्र में चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
  • जोखिम में नाविक: तीन वर्ष पूर्व, मैरीटाइम यूनियन ऑफ इंडिया ने गिनी की खाड़ी में अपहरण में 40% की वृद्धि पर प्रकाश डाला था, जिसमें हमले, चोट और धमकियों के 134 मामले दर्ज किए गए थे।
    • MT Duke (अफ्रीका के पश्चिमी तट से दूर) से 20 भारतीय नागरिकों के अपहरण और जहाज मालिकों द्वारा भारी फिरौती देने जैसी घटनाएँ नाविकों के सामने आने वाले खतरों को उजागर करती हैं।

नाविकों के अधिकार सुनिश्चित करने संबंधी पहल:

  • भारत के समुद्री डकैती विरोधी प्रयास: भारत समुद्री डकैती से निपटने के लिए समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के अनुरूप सतर्कता, सक्रिय उपायों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का आह्वान करता है।
  • भारतीय नाविकों की सुरक्षा: भारत सरकार और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कारावास और अवैध हिरासत के मामलों सहित भारतीय नाविकों के खिलाफ दुर्व्यवहार पर ध्यान देने के लिए ‘समुद्र में मानवाधिकार’ पहल शुरू की।
    • ‘समुद्र में मानवाधिकार(‘ह्यूमन राइट्स एट सी’) ने भारतीय नाविकों के खिलाफ दुर्व्यवहार को उजागर किया है, जिसमें 200 विदेशी जेलों में बंद और 65 इंडोनेशिया में 151 दिनों से फंसे हुए हैं।
  • सहकारी कार्रवाई: समुद्री उद्योग में मानवाधिकारों की सुरक्षा और नाविकों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए हितधारकों के मध्य सक्रिय सहयोग की आवश्यकता है।

आगे की राह 

  • समुद्री डकैती की बढ़ती चिंता को प्रबंधित करना: समुद्री डकैती भारतीय नाविकों के लिए बढ़ती चिंता का विषय है, पिछले 10 महीनों में गंभीर समुद्री डकैती की घटनाओं में 10% से अधिक की वृद्धि हुई है।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग की आवश्यकता : नाविकों की सुरक्षा और निर्बाध नेविगेशन सुनिश्चित करने के लिए उन्नत अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है, विशेष रूप से भारतीय नाविकों से जुड़ी बढ़ती घटनाओं और भू-राजनीतिक तनाव के बीच।
  • बेहतर सुरक्षा उपाय: रिपोर्ट में ईरानी शिपिंग कंपनियों द्वारा भारतीय नाविकों के शोषण पर प्रकाश डाला गया है, जो बेहतर सुरक्षा उपायों और सरकारी समर्थन की आवश्यकता पर जोर देती है।
    • इन नाविकों से सामान्यतया अधिक काम लिया जाता है, उन्हें अपर्याप्त भोजन उपलब्ध कराया जाता है, और विदेशी नौकरियों को सुरक्षित करने के लिए भारी शुल्क का भुगतान करने के बावजूद उन्हें अवैध माल परिवहन करने के लिए भी मजबूर किया जाता है।
  • कोविड-19 के बीच भारतीय नाविकों का कौशल : कोविड-19 महामारी के दौरान, भारतीय नाविकों ने अपने कौशल  और व्यावसायिकता का प्रदर्शन किया है ।
  • भारतीय समुद्री क्षेत्र में अवसर: यूक्रेन-रूस संघर्ष ने भारतीय समुद्री क्षेत्र में नए अवसर पैदा किए हैं।

निष्कर्ष

अर्थात समुद्री उद्योग में नाविकों के अधिकारों और सुरक्षा में सुधार के महत्त्व पर जोर देते हुए भारत का लक्ष्य अगले 10 से 20 वर्षों में वैश्विक नाविकों में अपनी हिस्सेदारी 20% तक बढ़ाना है।

Source: The Hindu

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :                                                             (UPSC : 2022)                   

प्रश्न. “समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCLOS) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. किसी तटीय राष्ट्र को, अपने प्रादेशिक समुद्र की चौड़ाई को, आधार-रेखा से मापित, 12 समुद्री मील से अनधिक सीमा तक अभिसमय के अनुरूप सुस्थापित करने का अधिकार है।
  2. सभी राज्यों के, चाहे वे तटीय हों या भू-बद्ध भाग के हों, जहाजों को प्रादेशिक समुद्र से हो, कर बिना रोक-टोक यात्रा का अधिकार होता है।
  3. अनन्य आर्थिक क्षेत्र का विस्तार उस आधार-रेखा से 200 समुद्री मील से अधिक नहीं होगा, जहाँ से प्रादेशिक समुद्र की चौड़ाई मापी जाती है।

उपर्युक्त कथनों में कौन-से सही हैं?

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 1 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर:(d)

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