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भारतीय कारागारों में मासिक धर्म स्वच्छता

Lokesh Pal May 29, 2024 05:30 144 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: मासिक धर्म, मासिक धर्म स्वच्छता। 

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत में मासिक धर्म स्वच्छता की स्थिति, भारतीय जेलों में मासिक धर्म स्वच्छता से जुड़ी चुनौतियाँ तथा आगे की राह, स्वच्छता पर गाँधीवादी दृष्टिकोण। 

संदर्भ: 

भारत में पिछले कुछ वर्षों में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के परिदृश्य में आशाजनक बदलाव देखा गया है।

भारत में मासिक धर्म स्वच्छता:

  • एनएफएचएस निष्कर्ष: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS 2019-2020) के पाँचवें दौर के अध्ययन से इस बात का पता चला है कि 15-24 वर्ष के आयु वर्ग की 10 में से लगभग 8 युवा महिलाएँ ही अब तक सुरक्षित मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों का उपयोग कर रही हैं।
  • जेलों में बंद महिलाओं की दुर्दशा को नजरअंदाज करना : हालाँकि, शहरी क्षेत्रों और कुछ जनसांख्यिकी क्षेत्रों में मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों के उपयोग में सुधार देखा गया है, लेकिन सबसे अधिक हाशिए पर उपस्थित आबादी में से एक – भारतीय जेलों में बंद महिलाओं की दुर्दशा को अब भी नजरअंदाज किया जाता रहा है।
  • महिला कैदियों की उपेक्षा: ऐसे समाज में जहाँ कैदियों को मौलिक अधिकारों के अयोग्य समझा जाता है, महिला कैदियों को और भी अधिक अन्याय का सामना करना पड़ता है। 
    • समाज स्त्री शुद्धता के वास्तविक मानक से अब भी अछूता है। महिलायें भी अपराध कर सकती है या अपराध को प्रायोजित कर सकती है समाज यह स्वीकार करने से इंकार करता है । 
    • इस पूर्वाग्रह के कारण महिला कैदियों की बुनियादी जरूरतों, जिसमें मासिक धर्म स्वच्छता भी शामिल है, की व्यवस्थागत अनदेखी और उपेक्षा हुई है।

जेलों में मासिक धर्म स्वच्छता की स्थिति क्या है?

  • एनसीआरबी : राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आँकड़ों के अनुसार, भारतीय जेलों में तकरीबन 23,772 महिला कैदी हैं।
    • इनमें से तकरीबन 77% प्रजनन आयु वर्ग (18-50 वर्ष) की महिलाएँ हैं और उनमें नियमित मासिक धर्म होने की स्थिति है।
    • हालाँकि, देश की विभिन्न जेलों में सैनिटरी नैपकिन की उपलब्धता में असमानता रही है।
    • सैनिटरी नैपकिन की गुणवत्ता भी असंतोषजनक रही है।
  • सिफारिशों के प्रवर्तन का अभाव : 2016 मॉडल जेल मैनुअल में उल्लिखित सिफारिशों के बावजूद, कई राज्यों ने महिला कैदियों के लिए पर्याप्त जल और शौचालय की व्यवस्था जैसे प्रावधानों को लागू नहीं किया है।
  • बुनियादी आवश्यकताओं तक पहुँच का अभाव: भीड़भाड़ और खराब सामाजिक-आर्थिक स्थिति के कारण जेल में बंद महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान जल, सैनिटरी नैपकिन, डिटर्जेंट और साबुन जैसी बुनियादी आवश्यकताओं को हासिल करने में संघर्ष करना पड़ता है।
  • केस स्टडी: जून 2023 में महाराष्ट्र की एक जेल में किए गए अध्ययन से पता चलता है कि जल, सफाई और स्वच्छता जैसी बुनियादी आवश्यकताएँ वहाँ कैद महिलाओं की माँगों को पूरा करने में विफल रहीं हैं।
    • इससे महिलाओं के लिए महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं, जिन्हें मासिक धर्म के दौरान व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने के लिए अधिक जल की आवश्यकता होती है।
    • अध्ययन में यह भी पाया गया कि जेल अधिकारी गैर-सरकारी संगठनों (NGO) द्वारा दान किए गए सैनिटरी नैपकिन पर निर्भर थे।
    • कई महिलाओं ने बताया कि उपलब्ध कराए गए सैनिटरी नैपकिन की मात्रा अपर्याप्त थी, तथा उनकी गुणवत्ता भी खराब थी (निम्न अवशोषण, जिससे असुविधा, त्वचा पर चकत्ते और संक्रमण अनुभव किया गया था)। 
    • प्रत्येक महिला को उसके पूरे मासिक धर्म चक्र को प्रबंधित करने के लिए केवल एक जोड़ी सैनिटरी नैपकिन दी गई।
    • पानी और डिटर्जेंट की सीमित उपलब्धता की वजह से, प्रत्येक उपयोग के बाद इन पुन: प्रयोज्य नैपकिन को धोना काफी कठिन हो गया था ।

नीतिगत हस्तक्षेप क्या रहे हैं?

  • मासिक धर्म स्वच्छता योजना: भारत मासिक धर्म स्वच्छता योजना के माध्यम से विशेष रूप से युवा महिलाओं के मध्य मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों तक पहुँच में सुधार करने के उद्देश्य से लगातार प्रयास कर रहा है, जिसमें मुफ्त या सब्सिडी वाले सैनिटरी नैपकिन का वितरण भी शामिल है।
  • सामर्थ्य में सुधार: महिलाओं के लिए सैनिटरी नैपकिन को अधिक किफायती बनाने के लिए, जन ​​औषधि केंद्रों पर सुरक्षा सुविधा नैपकिन भी 1 रुपये प्रति नैपकिन की दर से बेचे जा रहे हैं।
  • ‘राष्ट्रीय मासिक धर्म स्वच्छता नीति: 2023 में, भारत ने ‘राष्ट्रीय मासिक धर्म स्वच्छता नीति’ तैयार करके स्वच्छता की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है, ताकि मासिक धर्म को एक प्राकृतिक प्रक्रिया के रूप में मान्यता दी जा सके, जिस पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
    • मसौदा नीति : समानता को प्राथमिकता दी जाएगी ताकि सभी मासिक धर्म वाली महिलाओं को, चाहे उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति और भौगोलिक स्थिति कुछ भी हो, सुरक्षित और स्वच्छ तरीके से मासिक धर्म से संबंधित संसाधनों तक पहुंचने और उसका प्रबंधन करने के समान अवसर उपलब्ध कराया जा सके।
    • असमानताओं और बाधाओं  का निराकरण: जो कुछ समूहों को आवश्यक मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों, संसाधनों और जानकारी तक पहुँचने से रोकती हैं।
      • उल्लेखनीय रूप से, नीति में कैदियों को लक्षित आबादी के रूप में पहचाना गया है, जिनकी मासिक धर्म स्वच्छता सुविधाओं तक सिमित पहुँच है। यह समावेशन के एक सकारात्मक कदम को दर्शाता है।
  • कमियाँ : हालाँकि, यह नीति जेलों में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन को बढ़ाने के लिए ठोस कार्य योजना प्रदान करने में विफल रही है।
    • इसमें गृह मंत्रालय को भी एक प्रमुख हितधारक के रूप में नजरअंदाज किया गया है, जो जेलों में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन को प्रभावित करता है।

क्या किये जाने की आवश्यकता है?

  • गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित करना: भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कैद में रहने वाली महिलाओं के लिए मासिक धर्म स्वच्छता के बुनियादी मानकों को पूरा किया जाए।
  • सिफारिशों का एकसमान कार्यान्वयन: राज्यों में मॉडल जेल मैनुअल 2016 का असमान कार्यान्वयन पर तत्काल ध्यान देने की माँग करता है।
  • मासिक धर्म की गरीबी के खिलाफ लड़ाई: जेलों में मासिक धर्म का अनुभव भिन्न-भिन्न चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है, विशेष रूप से ‘मासिक धर्म की गरीबी’ के खिलाफ लड़ाई के एक हिस्से के रूप में, जिन पर सार्वजनिक स्वास्थ्य के नजरिए से ध्यान देने की आवश्यकता है। 
  • सहयोग: अगला कदम सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों और जेल प्रशासकों के मध्य सहयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि सलाखों के पीछे महिलाओं के स्वास्थ्य और सम्मान को प्राथमिकता देते हुए पर्याप्त मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों और सुविधाओं तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक रणनीति विकसित की जा सके। 
  • अनुसंधान एवं अध्ययन: भारतीय जेलों की महिलाओं के मासिक धर्म स्वच्छता से संबंधित अनुभवजन्य साक्ष्यों का अभाव है, इसलिए जेल की दीवारों के भीतर मासिक धर्म स्वच्छता की वर्तमान स्थिति को समझने के लिए अनुसंधान किए जाने की तत्काल आवश्यकता है।

निष्कर्ष:

निष्कर्षतः भारतीय जेलों में महिलाओं के लिए मासिक धर्म स्वच्छता सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है, जिसके लिए तत्काल कार्रवाई, मानकीकृत कार्यान्वयन और उनके स्वास्थ्य और सम्मान को बनाए रखने के लिए सहयोग की आवश्यकता है।

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :                                                                         

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए : 

  1. स्वास्थ्य और स्वच्छता को भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की राज्य सूची में सूचीबद्ध किया गया है।
  2. स्वच्छता से संबंधित उपबंध सतत विकास लक्ष्य ( SDG) 6 में वर्णित है |
  3. WASH ‘जल, सफाई एवं स्वच्छता’ का संक्षिप्त रूप है। WASH तक सार्वभौमिक, सस्ती एवं स्थायी पहुँच अंतर्राष्ट्रीय विकास हेतु एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा है तथा सतत् विकास लक्ष्य 6 का केंद्र बिंदु है।

उपर्युक्त कथनों में से कितने  कथन सही है/हैं?

  1. केवल 1 
  2. केवल 2 
  3. सभी तीनों
  4. कोई भी नहीं 

उत्तर: (c)

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न:

विषय GS-02: स्वास्थ्य से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

प्रश्न: भारतीय जेलों में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन की स्थिति का आलोचनात्मक विश्लेषण करें। पर्याप्त मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों और सुविधाओं तक पहुँचने में महिला कैदियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करें। (15 अंक, 250 शब्द)

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