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Lokesh Pal
May 16, 2024 05:00
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निष्कर्षतः देश को न्यूनतम या जीवनयापन योग्य मजदूरी में प्रत्येक दो वर्षों के अंतराल पर मुद्रास्फीति के अनुसार समायोजित किए जाने की आवश्यकता है। इस पहल का प्रभावी कार्यान्वयन अधिक व्यक्तियों को औपचारिक रोजगार में परिवर्तित कर उनके समग्र जीवन स्तर को ऊपर उठाने में उपयोगी सिद्ध हो सकता है, जिससे देश के आर्थिक विकास को समर्थन मिलेगा।
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