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नाबालिग लड़की पीड़ित सहायता योजना : उद्देश्य से भटकाव

Lokesh Pal May 20, 2024 05:30 176 0

संदर्भ:

हाल ही में, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा “बाल यौन अपराध संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 की धारा 4 और 6 के तहत पीड़ितों की देखभाल और सहायता के लिए योजना” की घोषणा की गई ।

प्रारंभिक परीक्षा के लिये प्रासंगिकता: बाल यौन अपराध संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012,मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (MTP) I

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: POCSO अधिनियम से संबंधित चुनौतियाँ, MTP अधिनियम से संबंधित मुद्दे I

बाल यौन अपराध संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 के तहत पीड़ितों की देखभाल और सहायता योजना के बारे में:

  • उद्देश्य: इस योजना का उद्देश्य नाबालिग गर्भवती लड़कियों को आपातकालीन और दीर्घकालिक पुनर्वास सेवाएँ सुनिश्चित करते हुए एकीकृत सहायता प्रदान करना है।
  • सहायता योजना का विस्तार: शुरुआत में इस योजना के अंतर्गत परित्यक्त या अनाथ गर्भवती लड़कियों को ही शामिल किया गया था, अब इस योजना में, POCSO अधिनियम की निर्दिष्ट धाराओं के तहत सभी पीड़ित गर्भवती लडकियों को शामिल किया गया है।
  • दस्तावेज़ीकरण संबंधी त्रुटियाँ: इस विस्तार के बावजूद, योजना संबंधी दस्तावेज़ीकरण के संशोधन में समावेशन प्रतिबिंबित नहीं हो सका, जो महत्वपूर्ण विसंगतियों और चूक को दर्शाता है ।

POCSO अधिनियम, 2012 के तहत पीड़ितों की देखभाल और सहायता योजना से जुड़ी चुनौतियाँ और संबंधित मुद्दे:

  • नामकरण और दायरा: योजना का नामकारण इसके उद्देश्य को प्रतिबिंबित नहीं करता, जिससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है, क्योंकि यह POCSO अधिनियम की धारा 4 और 6 के तहत किसी भी लिंग के पीड़ितों पर लागू होता है।
    •  इस योजना के तहत इस तथ्य को स्वीकार किया गया है कि कई गर्भवती लड़कियाँ 13-18 वर्ष के  के आयु वर्ग में शामिल होती हैं। 
      • यह यौन और प्रजनन स्वास्थ्य (SRH) जानकारी मुहैया कराने के संबंध में सक्रिय सरकारी उपायों की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
  • योजना की सीमाएँ: यह योजना नाबालिग गर्भवती लड़कियों को लक्षित करती है जो अपनी इच्छानुसार या अदालती फैसलों के कारण अपनी गर्भावस्था जारी रखती हैं।
    • लेकिन यह योजना इस संबंध में मौन हो जाता है कि क्या गर्भावस्था के चिकित्सीय समापन (MTP) का विकल्प चुनने वाली या गर्भपात हो जाने वाली उन पीड़ितों को भी इस योजना का लाभ मिलेगा ।
    • इस योजना में उन पीड़ितों के संबंध में भी अस्पष्ट प्रावधान हैं जो संबंधित मामलों के दौरान 18 वर्ष तक की आयु  पूरी कर लेती हैं या जिनकी परिस्थितियाँ 23 वर्ष तक संभवतः बदल जाती हैं ।
  • कानूनी और प्रक्रियात्मक विवाद : यह योजना चिकित्सा परीक्षणों से संबंधित POCSO अधिनियम की धारा 27 की गलत व्याख्या के साथ-साथ  बाल कल्याण समिति की सहमति का अनुचित सुझाव देती है।
    • जिला मजिस्ट्रेटों और चिकित्सा अधिकारियों से जुड़ी अनावश्यक शर्तों के कारण पीडिता के MTP में देरी होती है। 
      • यह देरी एमटीपी अधिनियम की समय पर हस्तक्षेप संबंधी क्रियान्वयन के विपरीत माना जाता है।
    • योजना में MTP के संबंध में कई अनियमितताएँ पाई गई हैं, जिनमें गर्भावस्था जारी रखने के संबंध में व्यापक मार्गदर्शन का अभाव है।
  • कार्यान्वयन संबंधी चुनौतियाँ:
    •  देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों के रूप में वर्गीकरण (CNCP): देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चे (CNCP) के वर्गीकरण से संबंधी मुद्दे।
    •  POCSO अधिनियम के तहत पीड़ित स्वतः ही CNCP के रूप में वर्गीकृत नहीं हो पाते, लेकिन यह योजना लाभ प्राप्त करने के लिए CNCP वर्गीकरण को अनिवार्य बनाती है।
    • यह अनिवार्यता POCSO नियमों और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के विपरीत है, जिसके कारण अनावश्यक कानूनी प्रक्रियाएँ शुरू हो जाती हैं।
  • देखभाल संबंधी अधिकारों पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता: योजना के तहत यह स्पष्ट करने की आवश्यकता है कि क्या संस्थागत देखभाल संबंधी अधिकार, गैर-संस्थागत देखभाल के संबंध में भी लागू होते हैं, जहाँ  लड़कियाँ अपने परिवारों के साथ रहती हैं।
    • इस योजना के तहत युवा माताओं द्वारा अपने बच्चों को सौंपने की प्रक्रिया का दत्तक ग्रहण नियमों के साथ विरोधाभास होता है, जिसके कारण शिशुओं को लंबे समय तक संस्थागत रूप में रखने की संभावना बढ़ जाती है।
  • वित्तीय चुनौतियाँ: भारत में बाल विवाह और किशोर गर्भधारण की उच्च दर, योजना के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण वित्तीय बोझ का कारण बनती है।
    •  प्रत्येक पात्र लड़की को ₹6,000 का प्रारंभिक भुगतान और 21 वर्ष की आयु (23 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है) तक ₹4,000 का मासिक भुगतान प्राप्त होगा, जिसके परिणामस्वरूप पर्याप्त वित्तीय परिव्यय वहन करना पड़ेगा ।
    • उदाहरणस्वरुप, दक्षिणी भारत के एक जिले में, 18 वर्ष से कम उम्र की 1,448 लड़कियों ने जनवरी 2021 और अक्टूबर 2023 के मध्य बच्चों को जन्म दिया। इन मामलों के लिए परिकल्पित वित्तीय परिव्यय ₹49,52,16,000 के करीब होगा।

आगे की राह :

  • योजना का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना: इस योजना के वर्तमान स्वरूप में, विसंगतियाँ विद्यमान हैं।
    • मौजूदा कानूनों, नियमों और दिशानिर्देशों के साथ तालमेल का अभाव है।
    • भ्रम से बचने और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को योजना के प्रावधानों में सुधार करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष:

अंततः योजना के इच्छित उद्देश्य को पूरा करने और संवेदनशील पीड़ितों को प्रभावी ढंग से समर्थन देने के लिए स्पष्ट और व्यापक दिशानिर्देश सुनिश्चित करना तथा इन मुद्दों पर व्यापक रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है।

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