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मिजोरम भारत का पहला पूर्ण साक्षर राज्य

Lokesh Pal July 05, 2025 05:30 71 0

संदर्भ:

केंद्र के उल्लास (न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम) के तहत मिजोरम भारत का पहला पूर्ण साक्षर राज्य बन गया है।

मिजोरम की उपलब्धि:

  • आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, सात वर्ष और उससे अधिक आयु के 98.2 प्रतिशत मिजो नागरिक अब साक्षर हैं – जो राष्ट्रीय औसत 80.9 प्रतिशत से काफी अधिक है, तथा केरल से भी आगे है।
    • यह उच्च साक्षरता दर एक ऐसी जनसंख्या को दर्शाती है जो पढ़ने, लिखने और सोच-समझकर निर्णय लेने में सक्षम है।
  • सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मिजोरम में साक्षरता दर में शहरी-ग्रामीण अंतर लगभग नहीं दिखायी देता है
    • मिजोरम में ग्रामीण साक्षरता 98.1 प्रतिशत है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 98.3 प्रतिशत है।
    • हालांकि यह राष्ट्रीय रुझानों के बिल्कुल विपरीत है, जहां शहरी और ग्रामीण साक्षरता के बीच का अंतर अक्सर 15 प्रतिशत से अधिक बना हुआ है।
  • मिजोरम ने वयस्क और कार्यात्मक साक्षरता दोनों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।
    • जबकि वयस्क साक्षरता से तात्पर्य पढ़ने, लिखने और सरल गणितीय गणना करने की बुनियादी क्षमता से है, कार्यात्मक साक्षरता एक कदम आगे जाती है।
    • इसका तात्पर्य अर्जित ज्ञान और कौशल को वास्तविक दुनिया के परिदृश्यों में लागू करने की क्षमता से है, जैसे नौकरी की तलाश करना और उसे पूरा करना।
    • कार्यात्मक साक्षरता में मिजोरम की उपलब्धि सीधे तौर पर वहां के समाज के लिए आर्थिक और सामाजिक लाभ में परिवर्तित होती है।

मिज़ोरम की सफलता में योगदान देने वाले प्रमुख कारक:

  • समावेशी मॉडल: मिजोरम की साक्षरता सफलता किसी कठोर, तकनीकी या ऊपर से नीचे के दृष्टिकोण का परिणाम नहीं थी बल्कि राज्य ने एक समग्र और समावेशी विकास मॉडल अपनाया
  • सांस्कृतिक लोकाचार – त्लावम्नगैहना:
    • मिज़ो की ‘त्लावमंगैहना’ की अवधारणा निस्वार्थता, आतिथ्य और सामुदायिक सेवा की भावना – ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • इसने विकास के लिए स्वयंसेवा और सामूहिक जिम्मेदारी को प्रोत्साहित किया।
  • स्थानीय स्वयंसेवक – तलाव तलाव मंग मंगयाना:
    • स्थानीय स्तर पर ‘तलाव तलव मंग मंगयाना’ के नाम से जाने जाने वाले स्वयंसेवकों ने दूरस्थ स्थानों पर जाकर, खराब कनेक्टिविटी की चुनौतियों को पार करते हुए, अंतिम छोर तक साक्षरता पहुंचाने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
  • एक स्तंभ के रूप में सार्वजनिक भागीदारी:
    • साक्षरता कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने में सक्रिय सामुदायिक सहभागिता और मजबूत स्थानीय संस्थाएं महत्वपूर्ण थीं।
    • मिजोरम यह दर्शाता है कि किस प्रकार जमीनी स्तर पर भागीदारी नीतिगत परिणामों को बेहतर बना सकती है।

समग्र विकास का एक मॉडल:

मानव विकास के प्रति मिजोरम की प्रतिबद्धता सिर्फ साक्षरता तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रगति के प्रति समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदर्शित करती है।

वर्तमान समय में मिजोरम कई अन्य महत्वपूर्ण सामाजिक संकेतकों पर प्रभावशाली स्थान:

  • महिला कार्यबल भागीदारी: मिजोरम देश में तीसरी सबसे ऊंची महिला कार्यबल भागीदारी दर का दावा करता है, जो महिलाओं के महत्वपूर्ण आर्थिक सशक्तीकरण का संकेत देता है।
  • जन्म के समय लिंग अनुपात: प्रति 1,000 पुरुषों पर 975 महिलाओं के साथ, मिजोरम का जन्म के समय लिंग अनुपात राष्ट्रीय औसत 929 से काफी अधिक है, जो लड़कियों के प्रति एक स्वस्थ सामाजिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
  • शिशु मृत्यु दर (IMR): पूर्वोत्तर में राज्य की शिशु मृत्यु दर सबसे कम है, जो मजबूत स्वास्थ्य देखभाल और मातृ कल्याण का एक महत्वपूर्ण संकेतक है।
  • स्कूल उपस्थिति दर: मिजोरम प्राथमिक और माध्यमिक दोनों स्तरों पर भारत की सबसे अधिक स्कूल उपस्थिति दरों में से एक है, जो समुदाय के भीतर शिक्षा के प्रति गहरी जागरूकता और मूल्य को रेखांकित करता है।

अन्य राज्यों के लिए सबक:

  • संसाधन ही सब कुछ नहीं: मिजोरम ने दिखाया है कि विकास केवल वित्तीय संसाधनों पर निर्भर नहीं करता है। स्पष्ट दृष्टिकोण और कुशल कार्यान्वयन सामुदायिक भागीदारी के साथ उच्च प्रभाव वाले परिणाम दे सकते हैं।
  • समुदाय-केंद्रित विकास महत्वपूर्ण: स्थानीय समुदायों को शामिल करने से बेहतर पहुंच और स्वामित्व सुनिश्चित होता है। सशक्त नागरिक सक्रिय रूप से विकास प्रयासों को आगे बढ़ाते हैं और बनाए रखते हैं।
  • लक्ष्य केंद्रित दृष्टिकोण और जवाबदेही: अच्छी तरह से परिभाषित लक्ष्य और पारदर्शी प्रणाली शासन की गुणवत्ता में सुधार करती है। जवाबदेही सुनिश्चित करती है कि कार्यक्रम लोगों पर केंद्रित और परिणाम-उन्मुख रहें।
  • लोगों में निवेश करना और जमीनी स्तर पर विकास को महत्त्व देना: शिक्षा और कौशल के माध्यम से व्यक्तियों को सशक्त बनाना लचीलापन सुनिश्चित करता है। मजबूत स्थानीय संस्थाएँ अंतिम-मील वितरण और समावेशिता को सक्षम बनाती हैं।

निष्कर्ष:

हालांकि मिजोरम समावेशी विकास का एक अनुकरणीय मॉडल प्रस्तुत करता है परंतु इसकी सफलता उद्देश्य-संचालित, जन-प्रथम शासन की शक्ति को रेखांकित करता है जिसे सम्पूर्ण देश में अपनाए जाने की आवश्यकता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: मिजोरम के भारत का पहला पूर्ण साक्षर राज्य बनने के संदर्भ में, लोकतांत्रिक भागीदारी और सामाजिक समानता को बढ़ाने में ‘कार्यात्मक साक्षरता’ की भूमिका का आकलन करें।

(10 अंक, 150 शब्द)

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