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भारत में आदर्श आचार संहिता और उसके उचित अनुपालन की समस्या

Lokesh Pal November 06, 2025 05:00 31 0

सन्दर्भ:

स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा आदर्श आचार संहिता (MCC) लागू किए जाने के बावजूद, राजनीतिक दलों द्वारा इसके प्रावधानों को दरकिनार करने के कारण प्रायः इसका उल्लंघन होता है।

आदर्श आचार संहिता (MCC)

  • परिभाषा: आदर्श आचार संहिता (MCC) चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के व्यवहार को विनियमित करने वाले दिशा-निर्देशों का एक समूह है।
  • विकास: इसकी शुरुआत 1960 के दशक में हुई; 1990 के दशक से इसे कठोरतापूर्वक लागू किया गया (मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में टी. एन. शेषन के कार्यकाल के दौरान); 2013 में इसमें महत्त्वपूर्ण संशोधन किए गए।
  • उद्देश्य: समान अवसर सुनिश्चित करना तथा चुनावी लाभ के लिए सरकारी प्राधिकार के दुरुपयोग को रोकना
  • प्रयोज्यता: चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से लेकर परिणाम की घोषणा तक प्रभावी।

आदर्श आचार संहिता के प्रमुख प्रावधान

  • सामान्य आचरण: घृणास्पद भाषण, जाति/धर्म-आधारित अपील और व्यक्तिगत हमलों पर प्रतिबंध लगाता है।
  • सरकारी प्रतिबंध: सत्तारूढ़ दल को नई योजनाओं, परियोजनाओं, अनुदानों या सब्सिडी की घोषणा करने से रोकता है।
  • सरकारी मशीनरी का उपयोग: मंत्रियों को आधिकारिक कार्यक्रमों को अभियान-संबंधी गतिविधियों के साथ संयोजित करने या चुनाव प्रचार के लिए सरकारी संसाधनों का उपयोग करने से रोकता है।

आदर्श आचार संहिता की सीमाएँ

  • स्वैच्छिक प्रकृति: आदर्श आचार संहिता (MCC) को कानूनी समर्थन प्राप्त नहीं है, जिससे यह एक नैतिक संहिता बन जाती है, जिसे केवल राजनीतिक व्यक्तियों की सद्भावना और निष्ठा के आधार पर ही लागू किया जा सकता है।
  • सीमित विधिक सहायता: आदर्श आचार संहिता के उल्लंघनों के केवल सीमित मामलों, मुख्यतः अभियान संबंधी कदाचार के मामलों को ही जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अंतर्गत दंडित किया जा सकता है, जो निर्वाचन आयोग की आचार संहिता को व्यापक रूप से लागू करने की क्षमता को सीमित करता है।
  • नियमों का उल्लंघन: हालाँकि चुनावों के दौरान नई घोषणाओं पर रोक होती है, लेकिन सत्तारूढ़ दल प्रायः पहले से स्वीकृत नए कार्यक्रमों को पुनः ब्रांडिंग करके “चल रही योजनाओं” के अपवाद का लाभ उठाते हैं, जिससे आदर्श आचार संहिता को दरकिनार किया जा सकता है

बिहार का उदाहरण – मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना (2025)

  • नकद हस्तांतरण का समय: बिहार सरकार ने राज्य चुनाव से कुछ सप्ताह पूर्व ही लगभग 75 लाख महिलाओं को ₹10,000 का प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण शुरू किया, जिससे मतदाताओं की भावनाओं पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा।
  • उल्लंघन: यद्यपि इसे “चल रही योजना” के विस्तार के रूप में उचित ठहराया गया, लेकिन समय और कार्यान्वयन ने स्पष्ट रूप से आदर्श आचार संहिता (MCC) की भावना का उल्लंघन किया, क्योंकि इससे सत्तारूढ़ दल को चुनावी लाभ प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक धन का उपयोग करने की अनुमति मिल गई।
  • मोहिंदर सिंह गिल मामला: 1978 के मोहिंदर सिंह गिल मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 324 के तहत निर्वाचन आयोग की पूर्ण शक्तियों की पुष्टि की, जिससे उसे उन जगहों पर भी कार्य करने में सक्षम बनाया गया जहाँ कानून मौन हैं, हालाँकि इस अधिकार का प्रयोग वर्तमान निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के संकल्प पर निर्भर करता है

क्या आदर्श आचार संहिता को कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाया जाना चाहिए?

  • स्थायी समिति (2013) की सिफारिश: विधि एवं न्याय संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने बार-बार होने वाले उल्लंघनों को रोकने के लिए MCC को वैधानिक समर्थन प्रदान करने की सिफारिश की।
  • निर्वाचन आयोग का दृष्टिकोण: निर्वाचन आयोग आदर्श आचार संहिता (MCC) को कानूनी रूप से लागू करने का विरोध करता है, यह तर्क देते हुए कि न्यायिक प्रक्रियाएँ 45-दिवसीय चुनाव चक्र से अधिक समय लेती हैं, जिससे सार्थक प्रवर्तन अव्यावहारिक हो जाएगा।

आगे की राह:

  • यथार्थवादी आदर्श आचार संहिता: नियमित रूप से उल्लंघन किए जाने वाले प्रावधानों को बनाए रखने की बजाय, आदर्श आचार संहिता (MCC) को उन उपायों को प्राथमिकता देनी चाहिए जो वास्तविक रूप से निगरानी योग्य और लागू करने योग्य हों, विशेष रूप से सरकारी योजनाओं और अनुदानों के संबंध में
    • निर्वाचन आयोग को आदर्श आचार संहिता के अंतर्गत प्रतीकात्मक या अव्यावहारिक प्रतिबंधों की भी समीक्षा करनी चाहिए और उन्हें हटाना चाहिए
  • प्रवर्तनीय विनियमन को प्राथमिकता देना: निर्वाचन आयोग को कल्याणकारी योजनाओं पर निगरानी रखने की बजाय गलत सूचना, घृणास्पद भाषण और राज्य मशीनरी के दुरुपयोग पर अंकुश लगाने के लिए अधिक अधिकार प्रदान किए जाने चाहिए।

निष्कर्ष

डॉ. बी.आर. अंबेडकर के अनुसार, कार्यान्वयन में ईमानदारी के बिना सबसे बेहतरीन तरीके से बनाए गए नियम भी विफल हो जाते हैं। स्पष्ट है, कि आदर्श आचार संहिता अपनी कानूनी सीमाओं से नहीं बल्कि लोकतांत्रिक उत्तरदायित्व पर राजनीतिक लाभ को प्राथमिकता देने वालों की नैतिक विफलता से कमज़ोर होती है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: आदर्श आचार संहिता (MCC), चुनावों में समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए महत्त्वपूर्ण होते हुए भी स्वैच्छिक है और अधिकांशतः इसका उल्लंघन किया जाता है। चुनावी कदाचार रोकने में इसकी प्रमुख सीमाओं पर चर्चा कीजिए तथा इसकी प्रभावशीलता एवं प्रवर्तनीयता बढ़ाने के लिए आवश्यक सुधार सुझाइए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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