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मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम (Money Laundering Act)

Samsul Ansari December 25, 2023 06:21 142 0

नोट : प्रस्तुत लेख The Hindu में प्रकाशित “ Questionable searches under the Money Laundering Act” पर आधारित है  

संदर्भ:

प्रस्तुत लेख में इस बात का जिक्र किया गया है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसी एजेंसियों को अवैध खनन जैसे मामलों की जाँच करने की अनुमति देना, जो राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है, भारतीय संविधान के संघीय ढाँचे के खिलाफ है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए मुद्दे की प्रासंगिकता: धन शोधन रोकथाम अधिनियम, (PMLA) 2002।

मुख्य परीक्षा के लिए मुद्दे की प्रासंगिकता: धन शोधन रोकथाम अधिनियम, (PMLA) 2002, इसका अनुप्रयोग और प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसे प्राधिकरणों द्वारा दुरुपयोग संबंधी चुनौतियाँ।

उभरती चिंताएँ:

  • सुप्रीम कोर्ट द्वारा संकीर्ण व्याख्या: विजय मदनलाल चौधरी और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य मामले (2022) में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पीएमएलए आवेदन को “अनुसूचित अपराध से संबंधित आपराधिक गतिविधि के परिणामस्वरूप संपत्ति के गलत और अवैध लाभ ” तक सीमित कर दिया।
    • हालाँकि, न्यायालय ने घोषित किया कि अपराध की आय के अस्तित्व के अभाव में, 2002 अधिनियम के तहत अधिकारी कोई कदम नहीं उठा सकते या कोई अभियोजन शुरू नहीं कर सकते।
    • चूँकि पीएमएलए की धारा 3 के तहत अपराध के लिए “अपराध की आय” का अस्तित्व “अनिवार्य शर्त” है।

प्रवर्तन निदेशालय (Directorate of Enforcement) के बारे में: 

  • इसकी स्थपना वर्ष 1956 के दौरान विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 (FERA) के तहत विनियमन नियंत्रण कानूनों के उल्लंघन की समस्या के समाधान के लिए आर्थिक मामलों के विभाग के अंतर्गत एक ‘प्रवर्तन ईकाई’ के रूप में किया गया था। 
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में अवस्थित है ।
  • वर्ष 1957 के दौरान इस प्रवर्तन ईकाई का नाम बदलकर “प्रवर्तन निदेशालय” कर दिया गया था। 
  • वर्ष 1960 में, निदेशालय का प्रशासनिक नियंत्रण आर्थिक मामलों के विभाग से राजस्व विभाग को स्थानांतरित कर दिया गया था। 
  • FERA’ 47 को निरस्त कर दिया गया और इसे FERA, 1973 द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया। 
  • वर्तमान में, निदेशालय भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन है।
  • PMLA के तहत मामलों की जाँच और मुकदमे से संबंधित कार्य प्रवर्तन निदेशालय को सौंपे गए हैं। 
  • कार्य: –
    • फेमा, 1999 के उल्लंघन से संबंधित सूचना एकत्रित करना तथा उसे प्रचारित करना। 
    • “हवाला” फॉरेन एक्सचेंज रैकेटियरिंग, निर्यात प्रक्रियाओं का पूरा न होना, विदेशी विनिमय का गैर प्रत्यावर्तन तथा फेमा, 1999 के तहत उल्लंघन के अन्य रूपों जैसे फेमा के संदिग्ध उल्लंघन के प्रावधानों की जांच करना।
    • फेरा, 1973 और फेमा, 1999 के उल्लंघन के मामलों पर निर्णयन।
    • फेरा, 1973 के तहत न्याय अभियोजन, अपील न्यायनिर्णयन के मामलों का प्रबंध करना।
    • विदेशी मुद्रा और तस्करी निवारण अधिनियम के संरक्षण (COFEPOSA) के तहत निवारण के लिए मामलों की सिफारिश तथा उसके लिए प्रक्रिया करना।
    • PMLA के तहत किए गए अपराध के अपराधी के विरूद्ध सर्वेक्षण, जांच, जब्ती, गिरफ्तारी तथा अभियोजन कार्य इत्यादि करना।
    • PMLA के तहत अपराधी के हस्तांतरण के साथ-साथ अपराध की प्रक्रियाओं की जब्ती/ कुर्की के संबंध में संविदाकारी राज्य को/ से पारस्परिक कानूनी सहायता की मांग करना अथवा प्रदान करना।

  • मीडिया रिपोर्ट: मीडिया ने ईडी की तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी के कई मामलों की सूचना दी है, जो ईडी की शक्तियों से परे हैं, जैसा कि न्यायालय ने माना है।
    • हाल ही में पंकज बंसल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में ईडी को सुप्रीम कोर्ट की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा।
  • संघवाद को चुनौती: ईडी रेत के कथित अवैध खनन के संबंध में राज्यों में पूछताछ कर रही है, यह एक गौण खनिज है जो राज्यों के नियंत्रण में है, न कि केंद्र के।
    • खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 पीएमएलए अधिनियम की अनुसूची में शामिल नहीं है और संबंधित अपराध “अनुसूचित अपराध” नहीं हैं। 
    • इस अधिनियम के अनुसार, अवैध खनन पर अंकुश लगाने और अपराधियों पर मुकदमा चलाने की शक्ति राज्य सरकार के पास है।
      • उदाहरण: हाल ही में, झारखंड में, ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के बहाने कथित अवैध खनन के मामलों की जाँच शुरू कर दी है, जबकि खनन पीएमएलए के तहत एक अनुसूचित अपराध नहीं है।

धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) के बारे में: 

  • पीएमएलए और उसके तहत अधिसूचित नियम को 1 जुलाई, 2005 से लागू किया गया था। 
  • नशीली दवाओं के खतरे और आतंकवाद से लड़ने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पृष्ठभूमि में इसे पारित किया गया था।
  • यह धन शोधन को रोकने और मनी लॉन्ड्रिंग से प्राप्त अथवा इसमें शामिल संपत्ति को जब्त करने के प्रावधान से संबंधित अधिनियम है।
  • इस अधिनयम को भारत में मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटने के लिए वियना कंवेंसन में भारत की प्रतिबद्धता के फलस्वरूप पेश किया गया था। 
  • उद्देश्य : 
    • मनी लॉन्ड्रिंग को पर रोक लगाना। 
    • किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधियों एवं आर्थिक अपराधों में धन के प्रवाह को रोकना।
    • मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित अपराधों की जाँच करना, जाँच की यह प्रक्रिया वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के प्रवर्तन निदेशालय (ED) के तहत की जाती है।
  • मनी लॉन्ड्रिंग अपराध में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ की जाने वाली प्रमुख कार्यवाहियाँ : 
    • संपत्तियों की जब्ती करना।
    • अपराध से प्राप्त आय की कुर्की।
    • न्यूनतम तिन वर्ष के कारावास का प्रावधान, इसे सैट वर्षों के लिए बढाया जा सकता है।
    • जुर्माने का प्रावधान।

निष्कर्ष:

जाँच एजेंसियों जैसे किसी भी संगठन के अधिकार के दुरुपयोग को रोकने की आवश्यकता है क्योंकि यह संघवाद को कमजोर करता है जो भारत के संविधान का एक मौलिक मूल्य और आधार है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी संविधान की मूल संरचना के हिस्से के रूप में केंद्र और राज्यों के मध्य संघवाद और शक्तियों के विभाजन को बरकरार रखा है।

मुख्य परीक्षा पर आधरित प्रश्न : भारत में मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या के समाधान के लिए भारत सरकार द्वारा पास किया गया मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) कहाँ तक प्रभावी है? आलोचनात्मक टिप्पणी कीजिए।

                                                                                                  News Source: The Hindu

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