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Samsul Ansari December 25, 2023 06:21 184 0
नोट : प्रस्तुत लेख The Hindu में प्रकाशित “ Questionable searches under the Money Laundering Act” पर आधारित है ।
संदर्भ:
प्रस्तुत लेख में इस बात का जिक्र किया गया है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसी एजेंसियों को अवैध खनन जैसे मामलों की जाँच करने की अनुमति देना, जो राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है, भारतीय संविधान के संघीय ढाँचे के खिलाफ है।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए मुद्दे की प्रासंगिकता: धन शोधन रोकथाम अधिनियम, (PMLA) 2002।
मुख्य परीक्षा के लिए मुद्दे की प्रासंगिकता: धन शोधन रोकथाम अधिनियम, (PMLA) 2002, इसका अनुप्रयोग और प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसे प्राधिकरणों द्वारा दुरुपयोग संबंधी चुनौतियाँ।
उभरती चिंताएँ:
प्रवर्तन निदेशालय (Directorate of Enforcement) के बारे में:
धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) के बारे में:
निष्कर्ष:
जाँच एजेंसियों जैसे किसी भी संगठन के अधिकार के दुरुपयोग को रोकने की आवश्यकता है क्योंकि यह संघवाद को कमजोर करता है जो भारत के संविधान का एक मौलिक मूल्य और आधार है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी संविधान की मूल संरचना के हिस्से के रूप में केंद्र और राज्यों के मध्य संघवाद और शक्तियों के विभाजन को बरकरार रखा है।
मुख्य परीक्षा पर आधरित प्रश्न : भारत में मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या के समाधान के लिए भारत सरकार द्वारा पास किया गया मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) कहाँ तक प्रभावी है? आलोचनात्मक टिप्पणी कीजिए।
News Source: The Hindu
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