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राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन : एक समग्र अवलोकन

Lokesh Pal November 28, 2024 05:30 5 0

संदर्भ :

25 नवंबर, 2023 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत एक स्वतंत्र केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में “राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन” (NMNF) को मंज़ूरी दे दी। इस मिशन का उद्देश्य पूरे देश में प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देना है।

प्राकृतिक कृषि क्या है?

  • प्राकृतिक कृषि, खेती की एक पद्धति है, जिसमें कीटनाशकों और उर्वरकों जैसे कृत्रिम रसायनों के उपयोग से बचा जाता है। 
  • यह पशुधन और पौध संसाधनों से प्राप्त प्राकृतिक उर्वरक पर निर्भर करती है, जो मिट्टी के स्वास्थ्य और जैव विविधता को बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करता है। 
  • इसका लक्ष्य एक आत्मनिर्भर कृषि प्रणाली विकसित करना है, जो पर्यावरण के अनुकूल और आर्थिक रूप से व्यवहार्य हो।

NMNF की आवश्यकता

  • उर्वरक पर निर्भरता में कमी : पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को होने वाली हानि न्यूनतम हो जाती है।
    • भारत विश्व स्तर के शीर्ष उर्वरक उपभोक्ताओं में से एक है। 
    • 2021 में, भारत ने 29.8 मिलियन मीट्रिक टन उर्वरक पोषक तत्त्वों की खपत की, जो चीन के 42 मिलियन मीट्रिक टन के बाद दूसरे स्थान पर है।
  • मृदा स्वास्थ्य में सुधार : रसायनों के अत्यधिक उपयोग से मृदा की उर्वरता कम हो जाती है और सूक्ष्मजीवों को नुकसान पहुँचता है। प्राकृतिक कृषि की पद्धतियाँ मृदा स्वास्थ्य को बेहतर करती हैं, कार्बनिक पदार्थ बढ़ाती हैं और जल प्रतिधारण क्षमता में सुधार करती हैं।
  • जलवायु के प्रति लचीलापन : प्राकृतिक कृषि जैव विविधता को बढ़ावा देकर, मृदा संरचना में सुधार करते हुए सूखे, बाढ़ और जलभराव जैसी जलवायु संबंधी चुनौतियों के लिए फसलों में लचीलेपन में सुधार करती है।
  • स्वास्थ्यवर्धक भोजन : रसायनों से बचकर, प्राकृतिक कृषि हानिकारक अवशेषों से मुक्त भोजन का उत्पादन करती है, जिससे उपभोक्ताओं के लिए बेहतर स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त होते हैं।
  • बेहतर फसल प्रतिरूप : प्राकृतिक कृषि विविध फसल प्रणालियों को बढ़ावा देती है, जो एकल कृषि निर्भरता को कम करते हुए जैव विविधता में सुधार करती है और मृदा क्षरण को रोकती है।
  • बेहतर बाजार मूल्य : प्राकृतिक कृषि के माध्यम से उगाए गए उत्पादों को रसायन मुक्त, जैविक उत्पादों की बढ़ती उपभोक्ता माँग के कारण प्रीमियम मूल्य मिलते हैं, जिससे किसानों को बेहतर  बाजार मूल्य प्राप्त होता है।

पहल का विकास

  • अन्य पहलें :
    • NMNF एनडीए सरकार द्वारा 2019-24 में शुरू की गई भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (BPKP) का विस्तार है। 
    • वित्त वर्ष 2022-23 में नमामि गंगे योजना के तहत गंगा नदी के किनारे 5 किलोमीटर के क्षेत्र में प्राकृतिक कृषि को भी बढ़ावा दिया गया।
  • बजट 2023 :
    • वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण (जुलाई 2023) में घोषणा की, कि अगले दो वर्षों में 1 करोड़ किसानों को प्रमाणीकरण और ब्रांडिंग द्वारा समर्थित प्राकृतिक कृषि में शामिल किया जाएगा। 
    • कार्यान्वयन वैज्ञानिक संस्थानों और इच्छुक ग्राम पंचायतों के माध्यम से किया जाएगा।
  • प्राकृतिक कृषि की वर्तमान स्थिति :
    • 22 लाख हेक्टेयर भूमि को प्राकृतिक कृषि के अंतर्गत लाया गया है, जिसमें 34 लाख किसान शामिल हैं। 
    • इसमें BPKP के तहत 4 लाख हेक्टेयर, नमामि गंगे के तहत 88,000 हेक्टेयर और राज्य सरकार की योजनाओं के तहत 17 लाख हेक्टेयर भूमि शामिल है।

NMNF के मुख्य उद्देश्य

  • लक्ष्य क्षेत्र : मिशन का लक्ष्य अतिरिक्त 7.5 लाख हेक्टेयर भूमि को कवर करना है।
  • किसानों की सहभागिता : ग्राम पंचायतों में 15,000 क्लस्टर विकसित किए जाएंगे, जिनमें 1 करोड़ किसानों को शामिल किया जाएगा।
  • जैव-इनपुट संसाधन केंद्र : किसानों को प्राकृतिक कृषि इनपुट तक आसान पहुँच प्रदान करने के लिए 10,000 केंद्र स्थापित किए जाएंगे।

NMNF की विशेषताएँ 

  • उच्च बजट आवंटन :
    • कुल परिव्यय : ₹2,481 करोड़ (केन्द्रीय भाग : ₹1,584 करोड़, राज्य की भागीदारी : ₹897 करोड़)।
  • मिशन का विस्तार :
    • 1 करोड़ किसानों तक पहुँच का उच्च लक्ष्य।
    • कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) और कृषि विश्वविद्यालयों में 2,000 मॉडल प्रदर्शन फार्म स्थापित किए जाएंगे।
    • स्थायी प्राकृतिक कृषि के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाया जाएगा।
    • वैज्ञानिक रूप से समर्थित सामान्य मानक और किसान-अनुकूल प्रक्रियाएँ स्थापित की जाएंगी।
    • 18.75 लाख किसानों को प्राकृतिक कृषि के तरीकों और इनपुट तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
    • जागरूकता का प्रसार-प्रचार करने और प्रशिक्षण के लिए 30,000 कृषि सखियों को नियुक्ति की जाएगी।

प्रमुख क्षेत्र

  • उच्च उर्वरक उपयोग वाले जिले : उच्च उर्वरक उपयोग वाले 16 राज्यों के 228 जिलों को प्राथमिकता दी जाएगी, जिनमें उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
  • नमामि गंगे मिशन में शामिल क्षेत्र : मिशन गंगा नदी बेल्ट पर भी ध्यान केंद्रित करेगा, इसके विस्तार के साथ प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देगा।

योजना संबंधी प्रमुख चुनौतियाँ

  • अनिश्चित आर्थिक लाभ : सिक्किम जैसे क्षेत्रों में प्राकृतिक कृषि के कार्यान्वयन में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, किसानों ने पैदावार में गिरावट की रिपोर्ट की है।
    • मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में इसके लाभों के बावजूद, इस अभ्यास ने लगातार उत्पादकता को बढ़ावा नहीं दिया है, जिससे कुछ किसान पारंपरिक कृषि के तरीकों पर वापस लौट रहे हैं।
  • उर्वरक तैयार करने में कठिनाइयाँ : जीवामृत और बीजामृत जैसे जैविक उर्वरक तैयार करने में काफी समय, प्रयास और संसाधनों की आवश्यकता होती है, जिसे कई किसान चुनौतीपूर्ण मानते हैं। 
  • पोषक तत्त्वों की कमी : अध्ययनों से पता चलता है कि प्राकृतिक उर्वरक रासायनिक उर्वरकों की तुलना में उतने पोषक तत्त्व प्रदान नहीं कर सकते हैं, मुख्य रूप से उच्च उर्वरक आवश्यकता वाली कृषि प्रणालियों में।
  • बदलाव के प्रति किसानों का प्रतिरोध : रासायनिक कृषि से प्राकृतिक कृषि में बदलाव के लिए मानसिकता और प्रथाओं में महत्त्वपूर्ण बदलाव की आवश्यकता होती है, जिसे अपनाने में कई किसान अनिच्छुक हैं।
  • बुनियादी ढाँचे की चुनौतियाँ : जैव-इनपुट संसाधन केंद्रों की सीमित उपलब्धता किसानों के लिए आवश्यक इनपुट तक पहुँचना मुश्किल बनाती है।
    • इसके अतिरिक्त प्राकृतिक कृषि उत्पादों के लिए प्रमाणन और ब्रांडिंग तंत्र अविकसित हैं, जिससे बाजार तक पहुँच और लाभप्रदता सीमित हो रही है।

निष्कर्ष

राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन (NMNF) भारत में सतत, रसायन मुक्त कृषि को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। बेहतर परिणाम के लिए प्रशिक्षण, बुनियादी ढाँचे और किसान समर्थन में सुधार, बेहतर बाजार पहुँच और लाभप्रदता के लिए अनुसंधान और प्रमाणन प्रणालियों को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

भारत में सतत कृषि को बढ़ावा देने में राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन (NMNF) की भूमिका की जाँच कीजिए । यह देश में अत्यधिक उर्वरक उपयोग की चुनौतियों का समाधान कैसे करता है?

(10 अंक, 150 शब्द) 

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