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प्राकृतिक कृषि (natural agriculture)

Samsul Ansari January 01, 2024 06:38 155 0

सन्दर्भ:

इस लेख के अंतर्गत प्राकृतिक कृषि (NF) के समक्ष आने वाली चुनौतियों और प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए उठाए जाने वाले प्रमुख कदमों के संदर्भ में चर्चा की गई है। एनएफ,’स्थानीय पारिस्थितिकी के अनुसार कृषि’ है और इसलिए इसे कृषि-पारिस्थितिकी भी कहा जाता है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: कृषि-पारिस्थितिकी और शून्य बजट प्राकृतिक कृषि।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: कृषि-पारिस्थितिकी- इसकी आवश्यकता, संबद्ध चुनौतियाँ और आगे की राह

प्राकृतिक कृषि के समक्ष चुनौतियाँ:

  • प्रीमियम कीमतों और प्रोटोकॉल का अभाव: प्राकृतिक कृषि करने वाले किसानों को अपने उत्पादों के लिए प्रीमियम कीमतें नहीं मिलती हैं, क्योंकि अलग-अलग बाजार, मानक और प्रोटोकॉल पर्याप्त रूप से मौजूद नहीं हैं।
  • स्व-उपभोग: कई किसानों के लिए प्राकृतिक कृषि के उत्पाद बड़े पैमाने पर घरेलू उपभोग हेतु होते हैं।

प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम:

  • भागीदारी गारंटी प्रणाली (पीजीएस-इंडिया): इसे 2011 में भारत सरकार द्वारा लॉन्च किया गया था।
    • यह एक गुणवत्ता आश्वासन पहल है जो उत्पादकों और उपभोक्ताओं की सक्रिय भागीदारी पर बल देती है।
  • प्राकृतिक कृषि के लिए स्व-प्रमाणन उपकरण (सीईटीएआरए-एनएफ): इसे हिमाचल प्रदेश द्वारा विकसित किया गया था।
  • भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा विभेदीकरण का मसौदा: बीआईएस ने हाल ही में प्राकृतिक कृषि की आवश्यकताओं और प्राकृतिक कृषि के उत्पादों को लेबल करने पर सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए एक मसौदा जारी किया है।
    • यह मसौदा प्राकृतिक कृषि और जैविक कृषि के मध्य अंतर करता है।
    • इसका उद्देश्य हितधारकों, किसानों, बाजार के दिग्गजों और उपभोक्ताओं के मध्य सामान्य समझ को बढ़ावा देना है।

शून्य बजट प्राकृतिक कृषि (ZBNF) के विषय में:

  • यह एक प्रकार की रसायन-मुक्त कृषि है जहाँ पौधों को उगाने और काटने की कुल लागत शून्य आती है। 
  • श्री सुरेश पालेकर ने ZBNF की पद्धतियों को बनाने के लिए कर्नाटक राज्य रायथा संघ (KRRS) के साथ समन्वय स्थापित किया।
  • ZBNF के चार चक्र:
    • बीजामृत: गोमूत्र और गाय के गोबर के मिश्रण से बीजों का माइक्रोबियल लेप।
    • जीवामृत: गाय के गोबर, गोमूत्र और गुड़ के मिश्रण से मृदा के सूक्ष्म जीवों का संवर्धन।
    • मल्चिंग: फसलों या फसल अवशेषों के साथ मृदा को ढंकना।
    • वाफासा:मृदा में वातन बढ़ाने के लिए मृदा में ह्यूमस का निर्माण।
  • ZBNF कीट और कीट प्रबंधन की पद्धतियाँ: अग्नि अस्त्र, ब्रह्मास्त्र और नीमास्त्र

ZBNF के लाभ:

  • किसानों के लिए लाभदायक है क्योंकि यह उत्पादन लागत को कम करती है। 
  • मृदा की उर्वरता बढ़ाती है। 
  • इसमें जैव विविधता संरक्षण, संसाधनों (पानी और बिजली) का कुशल उपयोग किया जाता है ।
  • उत्पादित खाद्य पदार्थों में हानिकारक रसायन नहीं होते हैं। 
  • जलवायु अनुकूल कृषि इत्यादि।

ZBNF की चुनौतियाँ:

  • महंगी पद्धति: कई सामग्रियां खरीदनी पड़ती हैं-
    • पारिवारिक श्रम का मूल्य
    • स्वामित्व वाली भूमि पर किराया
    • गायों के रख-रखाव की लागत 
    • बिजली और पंप सेट पर भुगतान की लागत।
  • उच्च उपज का कोई स्वतंत्र प्रमाण नहीं: इस दावे को मान्य करने के लिए कोई स्वतंत्र अध्ययन नहीं है कि ZBNF भूखंडों में, गैर-ZBNF भूखंडों की तुलना में अधिक उपज होती है।
  • भारतीय मृदा में निम्न कार्बनिक पदार्थ सामग्री: लगभग 59%मृदा में नाइट्रोजन कम है, लगभग 49% मृदा में फास्फोरस कम है और लगभग 48% मृदा में पोटेशियम कम या मध्यम है।
    • भारतीय मृदा में जस्ता, लोहा, मैंगनीज, तांबा, मोलिब्डेनम और बोरॉन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की भी कमी है।
  • मृदा की विषाक्तता: कुछ क्षेत्रों में, औद्योगिक और नगरपालिकीय कचरे से भारी धातु प्रदूषण या उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग के कारण मृदा विषाक्त हो जाती है।

प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए क्या करने की आवश्यकता है:

  • वैकल्पिक और विभेदित बाज़ार विकसित करने की आवश्यकता है।
  • किसानों और उपभोक्ताओं में जागरूकता विकसित करने की आवश्यकता है।

प्राकृतिक कृषि के लिए वैकल्पिक बाज़ारों का विस्तार:

  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) कृषि वस्तुओं के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है।
  • मध्याह्न भोजन कार्यक्रम एक अन्य बाज़ार है।
  • एक विकेंद्रीकृत, उत्पादन, खरीद, भंडारण और वितरण प्रणाली, स्थानीय फसलों पर केंद्रित और प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों एवं विपणन संघों के मौजूदा नेटवर्क को शामिल करना।
  • समर्पित हाटों को प्रमाणित प्राकृतिक कृषि उपज के लिए समर्पित किया जा सकता है और पिछड़ा एकीकरण विकसित किया जा सकता है।
  • प्रमुख शहरों के शहरी/परिधीय-शहरी क्षेत्रों में उपभोक्ता सहकारी समितियों की स्थापना करना।

सफल परियोजनाएँ:

  • भारत:2022 में, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने देवताओं को प्रसाद चढ़ाने के लिए कीटनाशक मुक्त उपज प्राप्त करने हेतु 5,000 स्वयं सहायता समूहों के साथ यह व्यवस्था स्थापित की थी।
  • विश्व:कोलंबियाई निजी नेटवर्क और मोज़ाम्बिक में मापुटो अर्थ मार्केट (MEM)।

निष्कर्ष:

प्राकृतिक कृषि के उत्पादों के प्रति किसानों और उपभोक्ताओं के मध्य जागरूकता पैदा करने और किसानों को प्रेरित करने की भी आवश्यकता है, जिसके लिए स्थिर बाजार और लाभकारी कीमतें मदद कर सकती हैं।

                                                                                           News Source: The Hindu

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