प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: प्रधानमंत्री विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद (PM-STIAC), ‘नेशनल वन हेल्थ मिशन’।
मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: एक स्वास्थ्य मिशन में चुनौतियाँ, नेशनल वन हेल्थ मिशन की विशेषताएँ I
संदर्भ:
अतीत में, मनुष्यों, जानवरों और पर्यावरण के मध्य परस्पर निर्भरता को देखा जा चुका है, जो COVID-19 जैसी महामारी के उद्भव के साथ और तीव्रता से स्पष्ट हुई है।
नेशन वन हेल्थ मिशन की मुख्य विशेषताएँ:
जुलाई 2022 में, प्रधानमंत्री की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद (PM-STIAC) द्वारा ‘ नेशनल वन हेल्थ मिशन’ की स्थापना का समर्थन किया गया ।
अंतर-क्षेत्रीय सहयोग: इस मिशन का उद्देश्य स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी, पर्यावरण एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालयों सहित देश में सभी मौजूदा वन हेल्थ परियोजनाओं को व्यवस्थित, समर्थित और एकीकृत करना है।
एकीकृत रोग निगरानी: यहमिशन ज़ूनोटिक रोगों सहित संचारी रोगों के निदान के लिए मानव, पशु और पर्यावरण क्षेत्रों में एकीकृत रोग निगरानी को क्रियान्वित करता है और साथ ही समग्र महामारी हेतु तैयारी और रोग नियंत्रण में सुधार करता है।
उदाहरण के लिए: कैनाइन डिस्टेंपर जैसी अन्य बीमारियाँ जंगली जानवरों और उनके संरक्षण को प्रभावित करती हैं।
समन्वित दृष्टिकोण: एक समन्वित दृष्टिकोण के तहत ही यह सुनिश्चित हो सकेगा कि हम उन बीमारियों के लिए कितने बेहतर रूप से तैयार हैं. जो अगली महामारी जैसे एवियन इन्फ्लूएंजा या निपाह का कारण बन सकती हैं।
सभी हितधारकों को एकीकृत करना: न केवल सरकारी विभाग बल्कि शैक्षणिक केंद्र और निजी क्षेत्र भी इसे सफल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण हितधारक सिद्ध होंगे।
प्रयोगशालाओं की स्थापना: मिशन के तहत, उच्च जोखिम वाले रोगज़नक़ (जैव सुरक्षा स्तर या BSL 3 और BSL 4) प्रयोगशालाओं का एक राष्ट्रीय नेटवर्क निर्मित किया गया है।
प्रयोगशाला: विभिन्न विभागों द्वारा प्रबंधित ऐसी प्रयोगशालाओं को एक साथ लाने से मानव, पशु और पर्यावरण क्षेत्रों को क्षति पहुँचाए बिना बीमारी के प्रसार को बेहतर ढंग से नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
बेहतर संसाधन उपयोग: इससेकिफायती लेकिन बुनियादी ढाँचे का बेहतर संसाधन उपयोग सुनिश्चित हो सकेगा और साथ ही बीमारियों के निदान की दिशा में सभी क्षेत्रों से बेहतर जुड़ाव भी संभव हो सकेगा।
समन्वय क्षमता में वृद्धि : इस मिशन के तहत, इन मुद्दों के समाधान के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) एवं मशीन लर्निंग और रोगों की मॉडलिंग करने तथा सभी क्षेत्रों में महामारी विज्ञान में क्षमता निर्माण हेतु समन्वय के प्रयास किए जा रहे हैं।
जीनोमिक निगरानी: अपशिष्ट जल से जीनोमिक निगरानी जैसे उभरते दृष्टिकोण ने COVID-19 महामारी के दौरान एक मार्ग प्रसस्त किया ।
इसे अन्य क्षेत्रों तक भी विस्तारित किया जाएगा, उदाहरणस्वरूप ऐसे स्थान जहाँ जानवरों (पशुधन या वन्यजीव) के एकत्र होने से व्यापक बीमारियों का प्रसार होता है ।
एक स्वास्थ्य का वैश्विक एजेंडा: ‘एक स्वास्थ्य’ एक वैश्विक विषय है। भारत की G-20 की अध्यक्षता के दौरान इस दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला गया और सभी सदस्यों द्वारा व्यापक रूप से इसका समर्थन किया गया।
निष्कर्ष
एक स्वास्थ्य की सफलता के लिए न केवल विभिन्न सरकारी एजेंसियों बल्कि गैर-सरकारी संगठनों, शिक्षा जगत, निजी क्षेत्र और नागरिकों की भी भागीदारी की आवश्यकता होगी ।
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