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पोल्ट्री उद्योग में सुधार की आवश्यकता

Lokesh Pal April 30, 2024 05:15 121 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: H5N1 वायरस, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण (PCA) अधिनियम, 1960।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: पोल्ट्री उद्योग से संबंधित मुद्दे, अनुबंध खेती अधिनियम इत्यादि के बारे में ।

संदर्भ:

H5N1 के बढ़ते मामलों को देखते हुए, विशेषज्ञ औद्योगिक पशुधन उत्पादन में असुरक्षित स्थितियों के विषय में बात कर रहे हैं।

H5N1 वायरस 

  • H5N1: मानव में पहले H5N1 के संक्रमण का मामला वर्ष 1997 के दौरान हांगकांग में दर्ज किया गया था ।
  • भारत में H5N1 का प्रसार: H5N1 का पहले मरीज की पुष्टि वर्ष 2006 के दौरान महाराष्ट्र में की गई । दिसंबर 2020 और 2021 की शुरुआत में इसका प्रकोप 15 राज्यों तक फैल गया।
  • अन्य प्रजातियों में प्रसार: यह रोगज़नक़  (पैथोजन) कई प्रजातियों मे फैल रहा है, जिससे आर्कटिक में ध्रुवीय भालू और अंटार्कटिका में सील और सीगल की मृत्यु संबंधी मामले दर्ज किए गए हैं ।
  • मानव मृत्यु दर: WHO के अनुसार, मनुष्यों में H5N1 के लिए मृत्यु दर 52%  अनुमानित है, 2003 से अब तक 888 निदान किए गए मामलों में से 463 मामलों में मृत्यु दर्ज की गई हैं।
  • संचरण: H5N1 के साथ लगभग सभी मानव संक्रमण संक्रमित पक्षियों या दूषित वातावरण के निकट संपर्क से जुड़े हुए हैं, जो जैव सुरक्षा उपायों के महत्त्व पर जोर देते हैं।

मुर्गी पालन में चुनौतियाँ:

  • बड़ी पोल्ट्री इकाइयों को विनियमित करना: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB)  ने 5,000 से अधिक पक्षियों वाली पोल्ट्री इकाइयों को प्रदूषणकारी उद्योग के रूप में वर्गीकृत किया है, जिन्हें स्थापित करने और संचालित करने के लिए अनुपालन और नियामक सहमति की आवश्यकता होती है।
    • कुछ पोल्ट्री औद्योगिक इकाइयों को कानून का उल्लंघन करने के कारण CPCB द्वारा बंद करने के नोटिस जारी किए गए हैं।
  • पर्यावरणीय चुनौती: गंध और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण परिणामी वायु गुणवत्ता और अपशिष्ट समस्या का भारत में महत्त्वपूर्ण प्रभाव है।
  • उद्योग से बाहर निकलने की चुनौतियाँ: अनुबंध खेती, बड़े ऋण और एक बहुत ही विशिष्ट कौशल सेट के कारण, घाटे के बावजूद, पोल्ट्री किसानों को अक्सर उद्योग से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है।
  • बाजार की अस्थिरता और उद्योग प्रथाएँ: बाजार की अस्थिरता और उद्योग जगत के प्रमुखों द्वारा प्रचलित प्रथाओं के कारण किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ता है।
    • उदाहरण के लिए, रोगनिरोधी और विकास प्रवर्तक के रूप में पक्षियों को नियमित रूप से एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं  ताकि अधिक लाभ के लिए अधिक जानवरों को पाला जा सके।
    • विशेषज्ञों का अनुमान है कि प्रोटीन की बढ़ती माँग पशुधन में एंटीबायोटिक के उपयोग में वृद्धि का कारण बनेगी।
  • मुर्गीपालन में एंटीबायोटिक का दुरुपयोग: WHO द्वारा गंभीर रूप से आवश्यक और अत्यधिक आवश्यक के रूप में वर्गीकृत कई एंटीबायोटिक दवाओं को निवारक उपायों के लिए किसानों को व्यापक स्तर पर बेचा जाता है।
  • औद्योगिक खेती में पशु क्रूरता: जानवरों को बंधक बनाकर रखना पशु क्रूरता निवारण (PCA) अधिनियम, 1960 के प्रावधानों के तहत एक अपराध है।

पोल्ट्री उद्योग के प्रभाव:

  • स्वास्थ्य और कल्याण संबंधी चिंताएँ: जानवरों को अस्वच्छ वातावरण में रखा जाता है। इसका न केवल जानवरों के कल्याण और उनसे प्राप्त भोजन का उपभोग करने वालों के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, बल्कि इन सुविधाओं पर काम करने वाले और आसपास रहने वाले लोगों पर भी इसका हानिकारक प्रभाव होता है।
  • खाद निपटान: इन जंतुओं को जिन स्थानों पर रखा जाता है वहाँ से उत्पन्न मल को स्थानीय किसानों द्वारा उर्वरक के रूप में उपयोग करने के लिए समय-समय पर इसे एकत्र किया जाता है। ढेर में जमा खाद की मात्रा भूमि की वहन क्षमता से अधिक हो जाती है और यह प्रदूषक बन जाती है।
  • फसल को नुकसान: किसानों की शिकायत है कि उनकी फसलें इससे क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और कचरे के ढेर मक्खियों जैसे रोग वाहकों के लिए प्रजनन स्थल बन जाते हैं।
  • स्वास्थ्य जोखिम: निवासियों को घरों के अंदर कीटनाशकों का छिड़काव करने जैसे उपायों को अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है और बदबू आती है।

आगे की राह:

  • एंटीबायोटिक प्रतिरोध: 2017 में भारत के 269वें विधि आयोग की रिपोर्ट में पोल्ट्री फार्मिंग में गैर-चिकित्सीय एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग के संबंध में टाटा मेमोरियल सेंटर से प्राप्त आँकड़ों पर प्रकाश डाला, जिससे अस्वच्छ रहने की स्थिति के कारण एंटीबायोटिक प्रतिरोध होता है।
    • इसमें आगे इस बात का जिक्र किया गया है कि अधिक खुले, स्वच्छ और हवादार रहने के स्थानों के साथ, जानवरों को लगातार एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता कम हो जाती है, जिससे उनके अंडे और मांस उपभोग के लिए सुरक्षित हो जाते हैं।
  • कल्याण के लिए मसौदा नियम: विधि आयोग के 269वें रिपोर्ट में मांस और अंडा उद्योगों में मुर्गियों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए मौजूदा कानूनों और पशु देखभाल, अपशिष्ट प्रबंधन तथा एंटीबायोटिक उपयोग के लिए अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप मसौदा नियमों के एक सेट की सिफारिश की गई है ।
    • कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा 2019 में जारी अंडा उद्योग के लिए मसौदा नियमों की कानून आयोग की सिफारिशों को पूरा करने में विफल रहने के कारण कमजोर और सांकेतिक होने के कारण आलोचना की गई थी।
  • निगरानी और प्रवर्तन की आवश्यकता: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा पोल्ट्री उद्योग को अत्यधिक प्रदूषणकारी ‘नारंगी श्रेणी (Orange Category)‘ उद्योग के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया गया है, पर्यावरणीय नियमों के अनुपालन और प्रवर्तन के लिए सख्त निगरानी की आवश्यकता है।

निष्कर्ष:

अंततः बर्ड फ्लू के सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट और जलवायु आपातकाल के आलोक में, स्थिति से निपटने के लिए यह आवश्यक है।

Source: The Hindu

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