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PMJAY की संरचना में परिवर्तन की आवश्यकता

Lokesh Pal May 03, 2024 05:15 132 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY), राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) और राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण (SHA)।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: स्वास्थ्य पर जेब से खर्च, स्वास्थ्य के बीमा मॉडल से जुड़े मुद्दे।

संदर्भ:

हाल ही में, पीएमजेएवाई की स्थिरता के संबंध में चिंताएं उभरी हैं, खासकर जब कुछ राज्यों के कुछ अस्पतालों ने आवश्यक बकाया राशि और पीएमजेएवाई रोगियों की कम स्वीकार्यता की रिपोर्ट पर्स्तुत की है।

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) के बारे में:

  • आयुष्मान भारत के घटक: 2018 में शुरू किए गए आयुष्मान भारत योजना में दो मुख्य घटक शामिल हैं: स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र तथा प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY)।
  • योजना का उद्देश्य: पीएमजेएवाई का मूल उद्देश्य 12 करोड़ से अधिक परिवारों को माध्यमिक और तृतीयक स्तर की देखभाल एवं अस्पताल में भर्ती के लिए प्रति परिवार तकरीबन ₹5 लाख तक का स्वास्थ्य कवर प्रदान करना है ।
    • इस योजना के अंतर्गत आबादी के निचले तकरीबन 40% हिस्से को कवर किया गया है।
  • लक्ष्य प्राप्त: अब तक, पीएमजेएवाई ने 34.27 करोड़ कार्ड जारी किए हैं, लगभग 6.5 करोड़ व्यक्तियों के लिए इलाज की सुविधा प्रदान की है और 30,000 से अधिक अस्पतालों को सूचीबद्ध किया है।

आपूर्ति पक्ष का दृष्टिकोण:

  • स्वास्थ्य देखभाल पहुँच में निजी क्षेत्र की भूमिका: सार्वजनिक क्षेत्र की सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने की क्षमता में कथित कमियों की वजह से मरीजों को निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुँच की अनुमति के महत्त्व को स्वीकार किया गया है।
  • व्यापक कवरेज के लिए चुनौतियाँ: PMJAY पर वर्तमान व्यय न्यूनतम बना हुआ है, जो कुल स्वास्थ्य व्यय का तकरीबन 2.5% से भी कम है, जिससे इस योजना के माध्यम से व्यापक कवरेज के मुद्दे पर संदेह पैदा होता है।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की चुनौतियाँ: उदाहरण के लिए, केरल में स्वास्थ्य पर अपनी जेब से अधिक खर्च देखने का मूल कारण यह है कि सार्वजनिक क्षेत्र के अच्छी तरह से वित्त पोषित होने के बावजूद, सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के मामले में हम असमर्थ हैं।
    •  यहाँ प्राथमिक देखभाल का कम उपयोग किया गया है तथा स्वास्थ्य देखभाल के मामले में भारी अक्षमता भी है।
  • स्वास्थ्य देखभाल पहुँच संबंधी चिंताएँ: सरकारी संसाधनों के संभावित गलत आवंटन और सार्वजनिक क्षेत्र के भीतर भी बाधाओं के उद्भव के बारे में चिंताएँ व्यक्त की जाती हैं, जो कम आय वाले परिवारों के लिए स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं।
    • एक उच्च आय वाला परिवार स्वास्थ्य पहुँच में देरी की वजह से होने वाले जेब खर्च को एक बार वहन भी कर सकता है किन्तु एक कम आय वाला परिवार ऐसा कर सकने में अक्षम होता है।

माँग पक्ष का दृष्टिकोण :

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल में विश्वास की कमी: सार्वजनिक अस्पतालों की तुलना में निजी अस्पतालों में बेहतर गुणवत्ता वाली देखभाल की सुविधा उपलब्ध होती है, जो कि संभावित रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में विश्वास बढ़ाने की आवश्यकता को उजागर करती है। इसके अलावा सर्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल में सुधार की माँग को बढ़ाती है ।
    • सूचीबद्ध अस्पताल 43% निजी हैं, और बाकी सरकारी हैं।
  • उच्च रोगी-से-प्रदाता अनुपात: कई राज्यों में, प्रति सूचीबद्ध स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं (EHCP) में लोगों की संख्या वास्तव में अधिक है।
    • बिहार में, यह प्रति EHCP 10,000 से अधिक परिवार था। 
    • इस माँग को पूरा करने में सक्षम होने के लिए पर्याप्त संख्या में बिस्तरों और सुविधाओं की कमी है।
  • निजी क्षेत्र की चुनौतियाँ: निजी क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियाँ, जैसे- क्षमता सीमाएँ, दावा भुगतान में देरी, दावा अस्वीकृति तथा सीमित उपचार शुल्क, PMJAY के प्रभावी कार्यान्वयन में बाधक है ।
  • निजी सुविधाओं पर प्रभाव: सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में विश्वास की कमी मरीजों को अत्यधिक बोझ वाली निजी सुविधाओं की ओर ले जाती है, जिससे लागत और गुणवत्ता संबंधी चिंताएँ बढ़ जाती हैं।

राज्यों के मध्य निष्पादन असमानता:

  • अस्पताल: अस्पताल गतिविधि के स्तर के संदर्भ में राज्यों के मध्य असमानताएँ मौजूद हैं, कुछ अस्पताल पैनल में शामिल होने के बाद से निष्क्रिय बने हुए हैं।
    •  उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में, 39% पैनल में शामिल होने के बाद से निष्क्रिय हैं, और केवल 50% पिछले छह महीनों में सक्रिय हैं।
  • कवरेज और अस्पताल वितरण में भिन्नताएँ: कवरेज दरों, अस्पताल फैलाव और दावा भुगतान में देरी में अंतर स्पस्ट रूप से दिखाई देते हैं, जिससे प्रदर्शन भिन्नता में योगदान देने वाले अंतर्निहित कारकों को समझने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।
    • दवा के भुगतान के मामले में, कुछ राज्यों में 45 दिनों से अधिक की देरी देखी गई, जबकि अन्य ने दावों का भुगतान तेजी से किया।
    • आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में दवा की सघनता है।
  • असमानता: जबकि तकनीकी प्लेटफ़ॉर्म दवा प्रसंस्करण को सक्षम करते हैं, अस्पताल की क्षमता में कमी, विशेष रूप से उत्तरी और उत्तर-पूर्वी राज्यों में, प्रदर्शन स्तर पर विसंगति व्याप्त है।
    • बीमाकर्ताओं के लिए नेटवर्क पर्याप्तता आवश्यकताओं की कमी चुनौतियों को बढ़ा देती है, क्योंकि सुलभ स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं को सुनिश्चित किए बिना कार्ड जारी किए जाते हैं।

स्वास्थ्य पर जेब से होने वाले व्यय का समाधान:

  • पीएमजेएवाई कवरेज अंतराल: जबकि पीएमजेएवाई का मूल उद्देश्य स्वास्थ्य देखभाल लागत को कम करना है, इसका वर्तमान डिज़ाइन व्यापक रूप से आउट पेशेंट देखभाल, निदान और दवाओं को कवर नहीं कर सकता है।
  • सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल की ओर: तमिलनाडु और राजस्थान जैसी वैकल्पिक राज्य योजनाएँ सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल के कुछ रूप प्रदान करने में अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं, जो व्यापक परिप्रेक्ष्य की आवश्यकता को दर्शाती हैं।
  • वैश्विक रैंकिंग: जेब से खर्च के मामले में भारत 189 देशों की सूचि में 67वें स्थान पर है।
  • पीएमजेएवाई फंडिंग आवंटन अंतर: केंद्र सरकार को पीएमजेएवाई फंड का 60% आवंटित करना है, लेकिन वह वास्तव में जो राशि खर्च कर रही है वह इससे कम है।

बीमा मॉडल और यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (UHC):

  • बीमा मॉडल का मूल्यांकन: जबकि बीमा मॉडल कई देशों में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करने में सहायक रहा है, भारतीय संदर्भ में इसकी प्रभावशीलता की जाँच जरूरी है।
  • वैश्विक संदर्भ : थाईलैंड, तुर्की, वियतनाम और उरुग्वे जैसे देशों ने यूएचसी हासिल करने के लिए बीमा मॉडल का लाभ उठाया है, लेकिन अपने अद्वितीय स्वास्थ्य देखभाल परिदृश्य के कारण भारत के दृष्टिकोण पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।
  • बीमा में सार्वजनिक क्षेत्र के प्रदर्शन को बढ़ाना: सार्वजनिक क्षेत्र के लिए बीमा पर प्रतिबंध संभावित रूप से प्रदर्शन को बढ़ा सकता है, खासकर गरीब राज्यों में, लेकिन भुगतान संरचनाओं और गैर-मूल्य तंत्र पर ध्यान केंद्रित करने वाले व्यापक सुधारों की आवश्यकता है।
  • व्यापक यूएचसी के लिए पीएमजेएवाई को नया रूप देना: व्यापक यूएचसी उद्देश्यों के साथ संरेखित करने के लिए पीएमजेएवाई की संरचना पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है, जिसमें एकीकृत वित्तपोषण तंत्र पर जोर देना और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना है ताकि स्वास्थ्य पर जेब से होने वाले खर्च को कम किया जा सके और सभी नागरिकों के लिए स्वास्थ्य परिणामों में सुधार किया जा सके।

निष्कर्ष:

अंततः भारत में टिकाऊ और व्यापक सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में विश्वास बढ़ाना, बीमा मॉडल का पुनर्मूल्यांकन करना और स्वास्थ्य देखभाल वितरण के लिए समग्र दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है।

Source: The Hindu 

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :                                                   (UPSC CDS: 2019)         

प्रश्न. “प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY)  के लाभ” निम्नलिखित में से कौन-से हैं?

  1. आवश्यक होने पर सभी लोक एवं सूचीबद्ध किए गए निजी अस्पतालों में निःशुल्क चिकित्सा का उपलब्ध होना
  2. गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य अनुरक्षण सेवाओं तक नगदीरहित और कागजरहित अभिगम
  3. प्रत्येक वर्ष प्रत्येक परिवार को सरकार की ओर से ₹5,00,000 तक का स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जाना
  4. पूर्व-विद्यमान रोग इसमें शामिल नहीं हैं

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :

  1. केवल 1 और 3 
  2. केवल 2 और 4 
  3. 1, 2 और 3
  4. 2, 3 और 4

उत्तर : (c)

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