100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

नया संवैधानिक विधेयक, संतुलनकारी कार्य की आवश्यकता

Lokesh Pal August 25, 2025 05:15 5 0

संदर्भ:

राजनीतिक वर्ग में नैतिक निष्ठा एक ऐसा विरोधाभास है जिससे भारत लगातार जूझता रहा है। जहाँ एक ओर मतदाता राजनीतिक वर्ग में नैतिक निष्ठा की माँग करते हैं, वहीं दूसरी ओर, राजनीतिक वर्ग में अपराध का एक व्यापक साया व्याप्त है।

  • प्रस्तावित संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 का उद्देश्य स्वच्छ राजनीति को बढ़ावा देना है, यद्यपि, यह महत्त्वपूर्ण राजनीतिक एवं संवैधानिक चिंताएँ उत्पन्न करता है।

राजनीति में अपराधीकरण की समस्या:

  • 2009 के लोकसभा चुनावों में 30% संसद सदस्यों पर आपराधिक मामले दर्ज थे।
    • 2014 में  यह आंकड़ा बढ़कर 34% हो गया।
    • 2019 तक 43सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे।
    • यह प्रवृत्ति 2024 के चुनावों में भी जारी रही, जिसमें 46% सांसदों ने आपराधिक मामले घोषित किए।
    • इसका तात्पर्य यह है कि लगभग आधे सांसद आपराधिक आरोपों के घेरे में हैं। अक्सर, नेता जेल में बंद होने के बावजूद अपने पदों पर बने रहते हैं और हिरासत से शासन संचालन का प्रयास करते हैं, जिसका शासन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

130वें संविधान संशोधन विधेयक के प्रावधान:

  • 130वें संविधान संशोधन विधेयक का उद्देश्य इस मुद्दे से सीधे निपटना है। 
  • इसमें प्रावधान किया गया है कि यदि किसी मंत्री, प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को 5 वर्ष से अधिक अवधि के आपराधिक दंड के लिए गिरफ्तार किया जाता है तथा वह लगातार 30 दिनों तक पुलिस या न्यायिक हिरासत में रहता है, तो उसे अपने पद से इस्तीफा देना होगा।
  • यह विधेयक संविधान के तीन प्रमुख अनुच्छेदों से अपना अधिकार प्राप्त करता है:
    • अनुच्छेद 75: केंद्रीय मंत्रियों से संबंधित है।
    • अनुच्छेद 164: राज्य मंत्रियों से संबंधित।
    • अनुच्छेद 239A: दिल्ली के मंत्रियों पर लागू होता है।
  • जबकि अनुच्छेद 75(1), 164(1) और 239AA(5) में यह प्रावधान है कि मंत्री भारत के राष्ट्रपति (या राज्यपाल) की इच्छा पर पद धारण करेंगे, 
    • इस “आनंद” की संवैधानिक नैतिकता और कानूनी औचित्य की सीमाओं के भीतर न्यायिक व्याख्या की गई है, जैसा कि शमशेर सिंह और अन्य बनाम पंजाब राज्य और नबाम रेबिया तथा अन्य बनाम उप सभापति और अन्य जैसे मामलों में किया गया है।

न्यायिक घोषणाएँ:

  • एसआर बोम्मई बनाम भारत संघ: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में संवैधानिक नैतिकता की भूमिका को रेखांकित किया, और इस प्रकार यह घोषित किया कि लोकतांत्रिक संस्थाओं को सत्यनिष्ठा और जवाबदेही के माध्यम से पोषित किया जाना चाहिए। 
  • मनोज नरूला बनाम भारत संघ मामले में न्यायालय ने सीधे तौर पर मंत्री पद की नियुक्तियों के नैतिक आयाम को संबोधित किया तथा चेतावनी दी कि गंभीर आपराधिक आरोपों वाले व्यक्तियों को कार्यकारी शक्तियाँ नहीं सौंपी जानी चाहिए।

विधेयक से जुड़ी चुनौतियाँ एवं चिंताएँ:

  • निर्दोषता की धारणा को कमजोर करना: भारतीय कानून इस सिद्धांत को बनाए रखता है कि कोई व्यक्ति तब तक निर्दोष है जब तक कि उसका अपराध सिद्ध न हो जाए। 
    • जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA) 1951, विशेष रूप से धारा 8, खंड 3 में कहा गया है कि एक सांसद या विधायक केवल दोषसिद्धि पर ही सदस्यता खोता है। 
    • लिली थॉमस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय देकर इसे और सुदृढ़ किया कि दो या अधिक वर्षों के कारावास की सजा के तुरंत बाद यह अयोग्यता लागू हो जाती है। 
    • नया विधेयक इसके विपरीत है, जिसमें बिना दोषसिद्धि के भी मात्र 30 दिनों की हिरासत के लिए अयोग्यता का प्रस्ताव किया गया है।
  • राजनीतिक दुरुपयोग की संभावना: केंद्र सरकार प्रवर्तन निदेशालय (ED) या केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग कर चुनाव से पहले विपक्षी मुख्यमंत्री को 30 दिनों तक हिरासत में रख सकती है, जिससे उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा और उनके दल की संभावनाएँ कमजोर हो जाएँगी। 
    • जमानत प्राप्त करना, विशेषकर धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के अंतर्गत आने वाले मामलों में, कठिन हो सकता है।
  • “घूमता दरवाजा” घटना और अस्थिरता: यह विधेयक अस्थिरता का कारण बन सकता है।
    • कल्पना कीजिए कि एक मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर लिया जाता है और 30 दिन बाद उसे इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर किया जाता है। यदि उन्हें केवल पाँच दिन बाद ज़मानत मिल जाती है, तो वे संभवतः अपने पद पर वापस आ सकते हैं। 
    • ऐसी स्थिति से राज्य में अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।
  • मंत्रियों और विधायकों के लिए मानकों में असंगतता: विधेयक में मंत्रियों को केवल हिरासत में लिए जाने पर इस्तीफा देने का प्रावधान है, जबकि विधायकों को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत दोषसिद्धि पर ही अयोग्य ठहराया जा सकता है। 

सुधार के लिए सिफारिशें:

  • अयोग्यता को न्यायिक कार्यवाही से जोड़ना: अयोग्यता न्यायिक कार्यवाही पर आधारित होनी चाहिएजैसे कि जब न्यायालय में आरोप तय किए जाते हैं और न्यायाधीश पर्याप्त प्रारंभिक साक्ष्य निर्धारित करता है, न कि केवल गिरफ्तारी पर, जो राजनीतिक रूप से प्रभावित हो सकती है।
  • मंत्रियों का निलंबन: इस्तीफे के लिए मजबूर करने के बजाय, मंत्रियों को उनके कर्तव्यों से निलंबित कर दिया जाना चाहिए। 
    • इससे हिरासत में रहते हुए उनकी शक्तियाँ छीन ली जाएँगी, किंतु न्यायिक निर्णय आने तक उन्हें पद से स्थायी रूप से नहीं हटाया जाएगा।
  • अपराध के दायरे को सीमित करना: यह विधेयक मुख्यतः उन अपराधों पर लागू होता है जिनमें अधिकतम दंड पाँच वर्ष या उससे अधिक है। इस दायरे को बलात्कार या हत्या जैसे विशिष्ट, गंभीर अपराधों तक सीमित किया जाना चाहिए, ताकि छोटे-मोटे अपराधों के लिए इसके दुरुपयोग को रोका जा सके।

वर्तमान स्थिति:

  • विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेज दिया गया है। 
  • जेपीसी का दायित्व है कि वह विधेयक की जटिलताओं की गहन जाँच करे, सभी हितधारकों से परामर्श करे तथा विधेयक को संसद में आगे बढ़ाने से पहले आवश्यक संशोधनों का प्रस्ताव रखे। 

निष्कर्ष:

जब तक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) उचित प्रक्रिया और संस्थागत जाँच को शामिल करने के लिए सावधानीपूर्वक पुनर्संतुलन नहीं करती, तब तक यह संवैधानिक सुरक्षा उपायों को राजनीतिक बहिष्कार के उपकरण में बदल सकती है, जिससे भारत के लोकतांत्रिक प्रयोग के नाज़ुक संतुलन की परीक्षा हो सकती है। क्योंकि, अंततः, बिना ईमानदारी के सत्ता लोकतंत्र को नष्ट कर देती है, और निष्पक्षता के बिना ईमानदारी उसे खतरे में डाल देती है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: संविधान (एक सौ तीसवाँ संशोधन) विधेयक, 2025, मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री के 30 दिनों से अधिक समय तक हिरासत में रहने पर उनके इस्तीफे या पदच्युति को अनिवार्य बनाता है। शासन और राजनीति पर इस प्रस्ताव के संभावित प्रभाव का परीक्षण कीजिए। ईमानदारी और निष्पक्षता दोनों सुनिश्चित करने के लिए आगे की राह सुझाइए।

(250 शब्द, 15 अंक)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.