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NISAR एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह: अंतरिक्ष अन्वेषण पथ का अभिसरण

Lokesh Pal July 30, 2025 05:30 22 0

संदर्भ

नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) मिशन 30 जुलाई, 2025 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया । यह संयुक्त पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का एक सशक्त प्रमाण है।

NISAR मिशन के बारे में

  • NISAR एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है जिसे पृथ्वी की सतह पर होने वाले सूक्ष्म परिवर्तनों पर नज़र रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह प्रत्येक 12 दिनों में पृथ्वी की एक पूरी परिक्रमा पूरी करेगा और सतह के स्तर पर होने वाले परिवर्तनों का सेंटीमीटर तक पता लगाने में सक्षम होगा।
  • घटक: यह उपग्रह दो रडारों से सुसज्जित है जिसमें, नासा द्वारा प्रदत्त L-बैंड रडार और इसरो द्वारा प्रदत्त S-बैंड रडार लगी हैं।
  • प्रक्षेपण यान: उपग्रह को इसरो के GSLV रॉकेट का उपयोग करके प्रक्षेपित किया गया है।
  • पैमाना: यह एक मजबूत उपग्रह है, इसकी वेधशाला का वजन 2800 किलोग्राम है। यह एक व्यापक मिशन है, जिसका मूल्य लगभग 1.5 बिलियन अमरीकी डॉलर (लगभग 13,000 करोड़ रुपये) आँका गया है।
  • डेटा सुलभता: महत्वपूर्ण बात यह है कि NISAR मिशन द्वारा उत्पन्न डेटा खुला स्रोत होगा, जिससे इसे दुनिया भर के वैज्ञानिकों, किसानों और नीति निर्माताओं द्वारा उपयोग के लिए सुलभ बनाया जा सकेगा।

NISAR मिशन की योजना व विकास

  • नासा की प्रारंभिक योजना: नासा ने शुरू में इस मिशन की कल्पना “DESDynI” के रूप में की थी, जिसका उद्देश्य पर्यावरणीय परिवर्तनों और खतरों की निगरानी करना था। हालाँकि, नासा को यह मिशन अकेले ही प्रक्षेपित करना बहुत महंगा और चुनौतीपूर्ण लगा।
  • इसरो की भागीदारी: इसके बाद इसरो ने नासा के साथ साझेदारी की और एक संयुक्त उद्यम का प्रस्ताव रखा, जिससे दोनों एजेंसियों और वैश्विक समुदायों को पारस्परिक लाभ होने की संभावना है।
  • साझा योगदान:
    • नासा ने L-बैंड रडार और तैनाती योग्य जाल परावर्तक में योगदान दिया।
    • इसरो ने S-बैंड रडार, सैटेलाइट बस और GSLV रॉकेट उपलब्ध कराया।
  • सहयोग के परिणाम: इस साझेदारी के परिणामस्वरूप साझा लागत, दोगुनी क्षमताएँ और एक महत्वपूर्ण रूप से मज़बूत मिशन संभव हुआ।
  • मिशन हेतु समझौता (2014): इस संयुक्त मिशन के लिए समझौता 2014 में प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान किया गया था।

अंतरिक्ष अन्वेषण में अभिसारी दर्शन

  • NISAR मिशन इस बात का प्रतीक है कि किस प्रकार अंतरिक्ष अन्वेषण के दो अलग-अलग दृष्टिकोण हैं। एक मूल जिज्ञासा से प्रेरित और दूसरा सामाजिक लाभ से प्रेरित – सफलतापूर्वक एक दूसरे में समाहित हो गए हैं।
  • नासा की उत्पत्ति: नासा की उत्पत्ति का पता 1930 के दशक में कैलटेक के छात्रों से लगाया जा सकता है, जिन्हें अक्सर “आत्मघाती दस्ता” कहा जाता था, जिन्होंने ग्रहों की खोज के प्राथमिक उद्देश्य से घाटियों में रॉकेट परीक्षण किए थे। इसका मुख्य उद्देश्य केवल जिज्ञासावश ग्रहों की खोज करना था। इसके परिणामस्वरूप जेट प्रोपल्शन लैब (JPL) का गठन हुआ और उसके बाद ग्रहों की खोज पर केंद्रित बड़े पैमाने के मिशन शुरू किए गए।
  • इसरो की उत्पत्ति: अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र, इसरो की नींव अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग आम लोगों और गाँवों के कल्याण के लिए करने पर आधारित थी। इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र का आदर्श “अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी मानवता की सेवा करे” पर आधारित है।
  • इसरो के विजन के प्रारंभिक उदाहरण:
    • प्रथम वैश्विक जनसंचार माध्यम: 1975 में, नासा के एक उपग्रह की मदद से प्रक्षेपित सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविजन एक्सपेरिमेंट (SITE) ने 2,400 भारतीय गांवों को शैक्षिक टेलीविजन उपलब्ध कराया, जो अंतरिक्ष के माध्यम से दुनिया का पहला जनसंचार था।
    • सुदूर संवेदन का माध्यम: केरल में नारियल के पेड़ों को प्रभावित करने वाली बीमारी के समाधान के लिए विमानों से प्राप्त इन्फ्रारेड तस्वीरों के उपयोग से पी.आर. पिशारोटी ने भारत में सुदूर संवेदन का मार्ग प्रशस्त किया, जिससे इसरो के व्यावहारिक, अनुप्रयोग-उन्मुख दृष्टिकोण को और मजबूती मिली।

NISAR के अनुप्रयोग

  • आपदा निगरानी: यह भूकंप के समय प्रारंभिक संकेत प्रदान करेगा, पिघलते ग्लेशियरों की निगरानी करेगा और बढ़ते समुद्र के स्तर पर नज़र रखेगा
    • उदाहरण के लिए, यह भूकंप के कारण होने वाली भू-गति का मानचित्रण कर सकता है, जैसा कि नासा के उपग्रहों ने वर्ष 2015 में नेपाल में आए भूकंप के बाद काठमांडू को 1 मीटर तक धंसते हुए दिखाया था।
  • वानिकी एवं कृषि: यह उपग्रह वन स्वास्थ्य की निगरानी करेगा, वृक्ष बायोमास में परिवर्तन पर नज़र रखेगा तथा अवैध कटाई का पता लगाएगा।
    • केरल जैसे राज्यों के किसानों को भू-जल संबंधी आंकड़ों से लाभ होगा, जिससे उन्हें यह समझने में मदद मिलेगी कि पानी का अधिक दोहन कहां से संभव है।

निष्कर्ष

यह मिशन भविष्य के अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष सहयोग के लिए एक अनुकरणीय खाका प्रस्तुत करता है। इससे यह प्रदर्शित होता है कि लागत साझा करने, उद्देश्यों को उजागर करने तथा विशेषज्ञता को संयोजित करने से सभी भागीदार पक्षों तथा वैश्विक समुदाय के लिए लाभकारी परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: “नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) मिशन पृथ्वी अवलोकन प्रौद्योगिकी और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष सहयोग में एक मील का पत्थर है।” इस कथन के आलोक में, विभिन्न क्षेत्रों में NISAR के महत्व पर चर्चा कीजिए। यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत से अब तक, इसरो की क्षमताओं और प्राथमिकताओं के विकास को कैसे दर्शाता है?

(10 अंक, 150 शब्द)

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