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वर्ष 2025 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार घोषित

Lokesh Pal October 08, 2025 05:00 12 0

संदर्भ:

संयुक्त राज्य अमेरिका के तीन वैज्ञानिक; जॉन क्लार्क, मिशेल एच. डेवोरेट और जॉन एम. मार्टिनिस को वर्ष 2025 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। उन्हें ये पुरस्कार विद्युत परिपथों में मैक्रोस्कोपिक क्वांटम मैकेनिकल टनलिंग और ऊर्जा क्वांटीकरण की खोज के लिए प्रदान किया गया है। उनके शोध ने 1980 के दशक के मध्य में क्वांटम कंप्यूटर के विकास की नींव रखी थी।

भौतिक वास्तविकता के क्षेत्र

भौतिकी को दो क्षेत्रों में विभाजित किया गया है:

  • शास्त्रीय भौतिकी: स्थूल जगत को नियंत्रित करती है, जहाँ न्यूटन के गति के नियम का उपयोग किया जाता है।
  • क्वांटम भौतिकी: क्वांटम प्रभाव आमतौर पर एक या बहुत कम छोटे कणों, जैसे परमाणु या फोटॉन, में देखे जा सकते हैंये कण भौतिकी के शास्त्रीय नियमों का पालन नहीं करते हैं।

प्रमुख क्वांटम घटनाएँ:

  • क्वांटम टनलिंग का निर्माण: एक कण भौतिक अवरोध को पार कर सकता है।
  • अध्यारोपण: एक कण एक ही समय में कई स्थानों पर मौजूद हो सकता है।
  • उलझाव: दो कण जो परस्पर क्रिया करते हैं, दूर होने पर भी एक दूसरे को प्रभावित कर सकते हैं।
  • ऊर्जा परिमाणीकरण: यह केवल निर्धारित, असतत मात्राओं (Discrete Amounts) में ही ऊर्जा को अवशोषित या उत्सर्जित कर सकती है।

प्रयोग और शोध:

  • स्थापना: 1980 के दशक में वैज्ञानिकों ने दो अतिचालकों से बना एक विद्युत परिपथ बनाया, जो एक पतली अचालक परत द्वारा पृथक था।
    • अतिचालक विद्युत प्रतिरोध के बिना धारा प्रवाहित कर सकते हैं, जबकि पृथक्करण परत प्रत्यक्ष धारा प्रवाह को अवरुद्ध कर देती है।
  • अवलोकन: हालाँकि शास्त्रीय भौतिकी यह निर्धारित करती है कि विद्युत धारा किसी विद्युतरोधी अवरोधक से होकर नहीं गुजर सकती, फिर भी प्रयोग में टनलिंग निर्माण देखा गया। एक अतिचालक से कण विद्युतरोधी अवरोधक के पार दूसरे तक “टेलीपोर्ट” हो गए।
    • मैक्रोस्कोपिक टनलिंग: यह पहली बार था जब मानव द्वारा निर्मित संरचना में मैक्रोस्कोपिक टनलिंग दर्ज की गई थी
    • ऊर्जा परिमाणीकरण: सर्किट ने निरंतर प्रवाह के बजाय असतत मात्रा में ऊर्जा को अवशोषित और उत्सर्जित किया, जिससे स्थूल पैमाने पर क्वांटम व्यवहार की पुष्टि हुई।

खोज का महत्व:

  • क्वांटम कंप्यूटिंग के लिए प्रासंगिकता: यह खोज क्वांटम कंप्यूटर के विकास के लिए महत्वपूर्ण है, जो जटिल गणना करने के लिए क्वांटम यांत्रिक सिद्धांतों का उपयोग करते हैं।
  • अनुप्रयोग:
    • वैज्ञानिक अनुसंधान: क्वांटम स्तर पर अणुओं के मॉडलिंग को सक्षम बनाता है, जिससे दवा और वस्तुओं के निर्माण में तेजी आती है।
    • एन्क्रिप्शन: क्वांटम कंप्यूटर एन्क्रिप्शन को तेजी से विभाजित सकते हैं, और इस प्रकार अधिक कठिन एन्क्रिप्शन भी बना सकते हैं।
    • जलवायु मॉडलिंग: क्वांटम कंप्यूटर पृथ्वी की संपूर्ण जलवायु प्रणाली का अनुकरण कर सकते हैं, तथा चक्रवातों, बाढ़ और सूखे के बारे में सटीक, प्रारंभिक जानकारी प्रदान कर सकते हैं, जो वर्तमान के सुपर कंप्यूटर नहीं कर सकते।
    • वित्त: पोर्टफोलियो अनुकूलन, जोखिम और धोखाधड़ी का पता लगाने में क्रांति ला सकते हैं।

भारत के प्रयास:

  • वित्त पोषण आवंटन: सरकार ने क्वांटम यांत्रिकी अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए 2023 में 6,000 करोड़ रुपये आवंटित किए, जो अत्याधुनिक विज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • अनुसंधान उद्देश्य और केंद्र: अनुसंधान मुख्य रूप से क्वांटम कंप्यूटिंग, संचार और संवेदन पर केंद्रित है, जिसके प्रमुख केंद्र भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बेंगलुरु, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) मुंबई और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मुंबई में स्थित हैं, जो नवाचार और तकनीकी विकास को बढ़ावा देते हैं।

निष्कर्ष:

भौतिकी में 2025 का नोबेल पुरस्कार मैक्रोस्कोपिक क्वांटम टनलिंग और ऊर्जा क्वांटीकरण के पहले अवलोकन पर प्रकाश डालता है, मौलिक सिद्धांत और व्यावहारिक अनुप्रयोगों को जोड़ता है, साथ ही क्वांटम कंप्यूटिंग, उन्नत अनुसंधान और भारत के वैज्ञानिक नेतृत्व का मार्ग प्रशस्त करता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: 2025 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार यह स्थापित करता है कि क्वांटम यांत्रिक प्रभाव स्थूल प्रणालियों में भी प्रकट हो सकते हैं। क्वांटम टनलिंग और ऊर्जा क्वांटीकरण की अवधारणा की व्याख्या कीजिए। क्वांटम भौतिकी के सैद्धांतिक आधारों और इसके व्यावहारिक अनुप्रयोगों पर इसके प्रभावों की चर्चा कीजिए।

(10 अंक, 150 शब्द)

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