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डुगोंग और संरक्षण पर

Lokesh Pal October 01, 2025 06:15 15 0

संदर्भ:

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) द्वारा पाक खाड़ी रिजर्व को इसके पारिस्थितिक महत्व और नवीन संरक्षण तकनीकों के लिए हाल ही में मान्यता प्रदान की गई है। जो डुगोंग संरक्षण में भारत के प्रयासों को उजागर करता है।

डुगोंग के बारे में:

  • आहार: इन्हें ‘समुद्री गाय’ के नाम से जाना जाता है क्योंकि ये शाकाहारी समुद्री स्तनधारी हैं जो अपने बच्चों का पालन-पोषण करते हैं।
    • ये समुद्र की तलहटी में समुद्री घास के मैदानों में निवास करते हैं
  • संकेतक प्रजाति: डुगोंग एक संकेतक प्रजाति के रूप में कार्य करते हैं, क्योंकि उनकी स्थिति सीधे तौर पर समुद्री घास के मैदानों की सेहत को दर्शाती है; उनकी संख्या में कमी का मतलब है कि पारिस्थितिकी तंत्र का क्षरण हो रहा है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र इंजीनियर: इन्हें ” पारिस्थितिकी तंत्र इंजीनियर” या “समुद्र के माली” भी कहा जाता है। इनके आहार प्रणाली से समुद्री घास की गुणवत्ता में सुधार होता है, जिससे अन्य समुद्री जीवों को लाभ होता है, और इस प्रकार उन मछुआरों को मदद मिलती है जो इन मछलियों पर निर्भर रहते हैं।
  • संरक्षण स्थिति: डुगोंग को संकटग्रस्त प्रजातियों की IUCN रेड लिस्ट में संवेदनशील के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
    • लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (CITES) के परिशिष्ट I में शामिल किया गया है।
    • भारत में डुगोंग को वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची 1 के अंतर्गत संरक्षित किया गया है।
  • वितरण: डुगोंग हिंद-प्रशांत क्षेत्र तथा भारतीय तटरेखा पर पाए जाते हैं। ये मुख्य रूप से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, मन्नार की खाड़ी, पाक खाड़ी और कच्छ की खाड़ी के आसपास के उष्ण जल में पाए जाते हैं।
  • खतरे: आवास स्थल की क्षति एक बड़ी चिंता का विषय है, क्योंकि बंदरगाह निर्माण, ड्रेजिंग, भूमि सुधार तथा कृषि अपवाह, सीवेज एवं औद्योगिक अपशिष्ट से होने वाले प्रदूषण के कारण समुद्री घास के मैदान नष्ट हो रहे हैं।

संरक्षण पहल:

  • डुगोंग संरक्षण रिजर्व (2022): डुगोंग संरक्षण रिजर्व को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के तहत पाक खाड़ी में अधिसूचित किया गया था, जिसमें 12,000 हेक्टेयर से अधिक समुद्री घास के मैदान शामिल हैं।
  • सामुदायिक भागीदारी: भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) और स्थानीय समुदायों के सहयोग से तमिलनाडु ने अवैध शिकार पर अंकुश लगाया है और मछुआरों को पकड़ी गई डुगोंग मछलियों को छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया है।
  • जनसंख्या: भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के सर्वेक्षणों के अनुसार, पाक खाड़ी में डुगोंग की संख्या 200 से अधिक है, जो विलुप्त होने की पूर्व आशंकाओं से आगे बढ़ने का प्रतीक है।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग: भारत ने समुद्री घास की निगरानी और पुनर्स्थापना के लिए ड्रोन, ध्वनिक उपकरणों और उपग्रह-आधारित मानचित्रण के उपयोग को बढ़ावा दिया है।

डुगोंग के संरक्षण में विद्यमान चुनौतियाँ:

  • मछली पकड़ना और तटीय दबाव: बंदरगाह निर्माण, ड्रेजिंग, भूमि सुधार तथा कृषि अपवाह, सीवेज एवं औद्योगिक अपशिष्ट से होने वाले प्रदूषण के कारण समुद्री घास के मैदान नष्ट हो रहे हैं।
  • जलवायु परिवर्तन संबंधी खतरे: समुद्र का बढ़ता तापमान, अम्लीकरण और चक्रवात पुनर्स्थापन लाभों के लिए जोखिम उत्पन्न करते हैं।
  • क्षेत्रीय अंतराल: गुजरात और अंडमान द्वीप समूह में डुगोंग की आबादी तमिलनाडु की तुलना में कम संरक्षित है।
  • सीमा पार विद्यमान चिंताएँ: चूंकि डुगोंग मछलियाँ पाक जलडमरूमध्य से होकर गुजरती हैं, इसलिए श्रीलंका के साथ सहयोग स्थायी सुधार के लिए महत्वपूर्ण है।
  • वित्तपोषण संबंधी मुद्दे: यद्यपि प्रतिपूरक वनरोपण निधि ने प्रयासों को समर्थन दिया है, लेकिन दीर्घकालिक संरक्षण के लिए दशकों तक लगातार निवेश की आवश्यकता होती है।

समुद्री संरक्षण के लिए व्यापक सबक:

  • समुदाय-आधारित दृष्टिकोण: पाक खाड़ी रिजर्व यह दर्शाता है कि मछुआरों को भागीदार के रूप में शामिल करने से शिकार संबंधी समस्याओं को कम किया जा सकता है और संरक्षण के लिए स्थानीय समर्थन का निर्माण किया जा सकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय समर्थन: IUCN मान्यता यह दर्शाती है कि वैश्विक मान्यता किस प्रकार घरेलू संरक्षण को मजबूत करती है और ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए विभिन्न मार्ग का निर्माण करती है।
  • परंपरा और प्रौद्योगिकी का सम्मिश्रण: पारंपरिक पारिस्थितिक ज्ञान को ड्रोन और इकोसाउंडर जैसे आधुनिक उपकरणों के साथ संयोजित करने से समुद्री संरक्षण परिणामों में वृद्धि हो सकती है।

निष्कर्ष:

पाक खाड़ी अभ्यारण्य दर्शाता है कि निरंतर संरक्षण, सामुदायिक सहभागिता और प्रौद्योगिकी के माध्यम से डुगोंग का पुनरुद्धार संभव है। हालाँकि, दीर्घकालिक सफलता क्षेत्रीय सहयोग, निरंतर वित्त पोषण और जलवायु खतरों के प्रति अनुकूलन पर निर्भर करती है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: तमिलनाडु में डुगोंग संरक्षण रिजर्व ने प्रगति दिखाई है, फिर भी डुगोंग की आबादी अभी भी संकटग्रस्त है। भारत में डुगोंग संरक्षण के सामने प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं? इनके समाधान के लिए उपयुक्त रणनीतियाँ सुझाएँ।

(10 अंक, 150 शब्द)

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