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ओटीटी प्लेटफॉर्म और अभद्र भाषा का प्रयोग

Lokesh Pal April 22, 2024 05:00 129 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: नई शिक्षा नीति 2020, सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: ओवर द टॉप (ओटीटी) संचार सेवाएँ, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) के साथ इसकी तुलना, इससे जुड़ी चुनौतियाँ और समाधान।

संदर्भ:

  • हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया है कि ओटीटी पर अभद्र भाषा के इस्तेमाल को दंडनीय अपराध नहीं माना जा सकता, क्योंकि इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन होगा और कलात्मक रचनात्मकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
    • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सांस्कृतिक संवेदनशीलता का सह-अस्तित्व इस बारे में बहस का एक जटिल मुद्दा प्रस्तुत करता है: क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में, हम अभद्र भाषा का प्रयोग कर सकते हैं जो लोगों के सांस्कृतिक मूल्यों को प्रभावित करता है?

भारतीय मनोरंजन के क्षेत्र और ओटीटी  प्लेटफॉर्म:

  • ओटीटी प्लेटफॉर्म: ओटीटी प्लेटफॉर्म ऑडियो और वीडियो होस्टिंग और स्ट्रीमिंग सेवाएँ हैं जिसकी शुरुआत कंटेंट होस्टिंग प्लेटफॉर्म के रूप में हुई थी।
  • ओटीटी  प्लेटफॉर्म का उद्भव: ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म ने भारत के मनोरंजन परिदृश्य में क्रांति ला दी है और दर्शकों के बीच अपनी अलग पहचान बनाई है।
  • विविधता और समावेशिता: इसे प्रगतिशील और यथार्थवादी माना जाता है, इसमें सामग्री की विविधता है और यह सभी आयु-वर्गों की आवश्यकताओं को पूरा करता है।
  • अभद्र भाषा का प्रसार: कई वेब सीरीजों के माध्यम से अभद्र भाषा के प्रसार को बढ़ावा मिलने के कारण काफी विरोध हुए हैं तथा कई सामान्य और यहाँ तक कि कानूनी आपत्तियाँ भी उठाई गई हैं।

ओटीटी प्लेटफार्म पर अभद्र भाषा के प्रयोग किए जाने के तर्क :

  • ओटीटी कंटेंट के बोध पर प्रभाव: ओटीटी कंटेंट में अभद्र भाषा का प्रयोग यह निर्धारित करता है कि दर्शक कंटेंट के पात्रों, विषयों और समग्र स्वरूप को कैसे समझते हैं।
  • व्यावसायिक व्यवहार्यता और दर्शकों का जुड़ाव: अभद्र भाषा का प्रयोग कुछ आख्यानों या पात्रों को  प्रामाणिक बना  सकता है। 
  • मौजूदा सामाजिक मानदंडों को प्रतिबिंबित करना: समाज में ऐसी भाषा के प्रयोग का दायित्व ओटीटी  प्लेटफार्मों पर नहीं है, यह पहले से मौजूद किसी चीज़ को प्रदर्शित करता है।

ओटीटी प्लेटफार्मों पर अभद्र भाषा के प्रयोग से जुड़ी प्रमुख समस्याएँ:

  • समाज पर नकारात्मक प्रभाव: इसे उच्च श्रेणी के नकारात्मक प्रभाव वाले एक अवगुण के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
  • युवा पीढ़ी की संवेदनशीलता:
    • अभद्र भाषा से जल्द संपर्क: युवा पीढ़ी, कम उम्र में ही ऐसी भाषा के संपर्क में आ जाती है और आसानी से इससे प्रभावित हो जाती है।
    • व्यावसायिक और शैक्षणिक मानकों हेतु निहितार्थ: यह रोजमर्रा के उपयोग में व्यापक रूप से प्रचलित हो सकता है, विचारों की प्रभावी अभिव्यक्ति में बाधा डाल सकता है तथा  पेशेवर और शैक्षणिक मानकों को चुनौती प्रदान कर  सकता है।
  • परिवार एवं बच्चों पर ओटीटी का प्रभाव:
    • सामाजिक अंतःक्रियाओं पर प्रभाव: यह सामाजिक अंतःक्रियाओं और भावनात्मक कल्याण के लिए हानिकारक हो सकता है, जिससे समग्र व्यक्तित्व विकास में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
    • ओटीटी सामग्री में वैधानिक चेतावनियों की सीमाएँ: केवल ‘सामग्री एक निश्चित आयु-वर्ग हेतु उपयुक्त नहीं है’ की वैधानिक चेतावनी प्रदान कर देने  से निर्माताओं की जिम्मेदारी समाप्त  नहीं हो जाती है।
    • इंटरनेट एक्सेस की व्यापक प्रकृति: इंटरनेट की उपलब्धता और प्रत्येक घर में उपकरणों के माध्यम से इसकी आसान पहुँच के कारण बच्चों को प्रत्येक  बार ऐसी सामग्री देखने से रोकना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है।
    • पारिवारिक संरचनाओं में बदलाव: एकल परिवार और कामकाजी माता-पिता की संस्कृति के प्रचलन होने से ऐसी सामग्री देखने से बच्चों को  रोकना और भी मुश्किल हो गया है।

भारतीय शैक्षणिक सुधार का द्वंद्व :

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति : भारत में हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भारतीय ज्ञान प्रणाली की शुरुआत के साथ शिक्षा प्रणाली में सुधार किया है।
  • भारतीय लोकाचार को कायम रखना: यह भारतीय लोकाचार से युक्त उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने पर आधारित है जो भारत को मूल्य-आधारित महाशक्ति में परिवर्तित करने में  योगदान देती है।
  • सांस्कृतिक पुनरुत्थान और भाषा मानकों का सह-अस्तित्व: जब हम अपनी समृद्ध विरासत को आत्मसात करने और पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं, उसी समय, हम अभद्र भाषा के उपयोग को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं लेकिन उसका बचाव कर रहे हैं।
  • अभद्र भाषा के उपयोग के संबंध में नैतिक विचार: कुछ दर्शक ऐसी अभद्र भाषा का उपयोग करने से बचते हैं, क्योंकि वे इसे नैतिक रूप से गलत और अशोभनीय मानते हैं।

निष्कर्ष:

निष्कर्षतः संवाद को बढ़ावा देकर, नैतिक सामग्री निर्माण की वकालत करके तथा  सम्मान और प्रतिष्ठा के मूल्यों को स्थापित करके, हम एक ऐसे परिदृश्य की दिशा में प्रयास कर सकते हैं जो हमारी सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक ताने-बाने का क्षरण करने के बजाय उसे समृद्ध करे।

Source : Hindustan Times 

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :

प्रश्न. “नई शिक्षा नीति 2020” के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. इसका लक्ष्य 2040 तक स्कूली शिक्षा में प्रीस्कूल से माध्यमिक स्तर तक 100% सकल नामांकन अनुपात (GER) के स्तर को प्राप्त करना है।
  2. ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020  वर्ष 1986 के बाद स्वतंत्र भारत की दूसरी  शिक्षा नीति है ।
  3. नई शिक्षा नीति में वर्तमान में सक्रिय 10+2 के शैक्षिक मॉडल के स्थान पर शैक्षिक पाठ्यक्रम को 5+3+3+4 प्रणाली के आधार पर विभाजित करने की बात कही गई है।  

उपर्युक्त कथनों में कितने कथन सही है/हैं?

(a) केवल 1 

(b) केवल 2 

(c) केवल 3 

(d) उपर्युक्त  में कोई नहीं

उत्तर: (a)

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