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Lokesh Pal
May 22, 2025 05:00
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भारत का समुद्री मत्स्य पालन क्षेत्र अपने अधिकतम उत्पादन सीमा के करीब पहुंच रहा है, इसके बावजूद छोटे स्तर के मछुआरे गंभीर असमानताओं का सामना कर रहे हैं। जैव विविधता में आई गिरावट, अपरिपक्व मछलियों का शिकार और सह-उपज (बायकैच) की समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं।इस स्थिति में, संसाधनों के सतत और न्यायसंगत प्रबंधन की त्वरित आवश्यकता की मांग बढ़ रही है।
यद्यपि भारत का मत्स्य क्षेत्र एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। विज्ञान, नीतियों और समुदाय की सहभागिता का सही संयोजन अपनाकर, हम समुद्री जैव विविधता और आजीविका दोनों की सुरक्षा कर सकते हैं, जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिए समानतापूर्ण समृद्धि और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है।
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