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पाकिस्तान का दोहरा खेल: चीन-अमेरिका रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता से निपटना

Lokesh Pal November 07, 2025 05:15 22 0

संदर्भ:

पाकिस्तान आज एक नाजुक कूटनीतिक संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है, तथा चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका – दो प्रतिद्वंद्वी वैश्विक शक्तियों – जिनके रणनीतिक हितों में अक्सर टकराव होता है – के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।

पाकिस्तान-चीन संबंध

  • सामरिक संरेखण: भारत के साथ साझा प्रतिद्वंद्विता के कारण चीन, पाकिस्तान का स्थायी और गैर-परक्राम्य साझेदार है।
  • सैन्य एवं सुरक्षा सहायता: चीन आधुनिक सैन्य उपकरण और उपग्रह खुफिया जानकारी प्रदान करता है।
  • संयुक्त राष्ट्र में कूटनीतिक ढाल: चीन आतंकवाद और कश्मीर मुद्दों पर पाकिस्तान को बचाने के लिए अपनी वीटो शक्ति का उपयोग करता है।
  • आर्थिक जीवनरेखा (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के माध्यम से): चीन ने राजमार्गों, बिजली संयंत्रों और बंदरगाहों में सत्तर अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है।
  • ऋण निर्भरता: पाकिस्तान अपने बाह्य ऋण का एक बड़ा हिस्सा चीन पर बकाया रखता है, जिससे संबंध विषम हो जाते हैं।

पाकिस्तान-संयुक्त राज्य अमेरिका संबंध

  • ऐतिहासिक उपयोगिता आधारित: संयुक्त राज्य अमेरिका पाकिस्तान के साथ तभी गठबंधन करता है जब उसे भू-राजनीतिक रूप से पाकिस्तान की आवश्यकता होती है।
  • शीत युद्ध साझेदारी: पाकिस्तान पश्चिमी गठबंधनों जैसे कि केन्द्रीय संधि संगठन (CENTO) और दक्षिण पूर्व एशिया संधि संगठन (SEATO) में शामिल हो गया।
  • आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध की प्रासंगिकता: 2001 के बाद अफगानिस्तान में अग्रिम पंक्ति के सहयोगी के रूप में पाकिस्तान को महत्व मिला।
  • ट्रम्प के शासन में विफलता: संयुक्त राज्य अमेरिका ने पाकिस्तान पर “झूठ और धोखे” का आरोप लगाया और सहायता में कटौती की।
  • आज की लेन-देन संबंधी विदेश नीति: संयुक्त राज्य अमेरिका का वर्तमान दृष्टिकोण केवल इस बात पर आधारित है कि “पाकिस्तान क्या कर सकता है”।

पाकिस्तान का दोहरा खेल

  • संयुक्त राज्य अमेरिका को पासनी बंदरगाह की पेशकश: पाकिस्तान ने गुप्त रूप से ग्वादर के पास चीन की उपस्थिति को संतुलित करने और ईरान पर संयुक्त राज्य अमेरिका की निगरानी को सक्षम करने के लिए पासनी बंदरगाह की पेशकश की।
  • बगराम एयरबेस संकेत: पाकिस्तान ने संकेत दिया है कि वह बगराम एयरबेस पर अमेरिका की वापसी में मदद कर सकता है, जबकि वह ऐसे समूह का हिस्सा है जो विदेशी सैन्य ठिकानों को अस्वीकार करता है।

पाकिस्तान की कार्रवाई के कारण

  • आर्थिक पतन: पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, क्योंकि उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार बहुत कम है और मुद्रास्फीति बहुत अधिक है।
  • बाह्य सहायता पर निर्भरता: पाकिस्तान ने घरेलू आर्थिक क्षमता को मजबूत करने के बजाय बार-बार अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष पर सहायता के लिए भरोसा किया है।
  • किराये का भूगोल: पाकिस्तान अपने क्षेत्र का मुद्रीकरण करने का प्रयास करता है, क्योंकि उसके पास मजबूत निर्यात या व्यापार क्षमता का अभाव है।
    • चीन के लिए यह स्थान मलक्का जलडमरूमध्य को पार करने का एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए यह स्थान अफगानिस्तान तक रणनीतिक पहुँच और ईरान पर निगरानी रखने में मदद करता है।

पाकिस्तान की कार्रवाइयों के संभावित परिणाम

  • आंतरिक सुरक्षा जोखिम: बलूच राष्ट्रवादी समूह विदेशी परियोजनाओं पर हमला करते हैं क्योंकि वे उन्हें स्थानीय समुदायों का शोषण और हाशिए पर डालने वाली परियोजनाओं के रूप में देखते हैं।
    • यदि चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों बलूचिस्तान में सक्रिय हो जाते हैं, तो यह क्षेत्र महाशक्तियों के बीच प्रतिद्वंद्विता का युद्धक्षेत्र बन सकता है।
  • चीन की संभावित जवाबी कार्रवाई: यदि उसे विश्वासघात का अहसास होता है तो वह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) में निवेश कम कर सकता है और संयुक्त राष्ट्र में राजनयिक समर्थन वापस ले सकता है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका का जवाबी कदम: यदि संयुक्त राज्य अमेरिका को यह पता चलता है कि पाकिस्तान दोहरा व्यवहार कर रहा है, तो वह वित्तीय और सैन्य सहायता निलंबित कर सकता है।
  • दोनों साझेदारों की हानि: दोनों पक्षों के साथ खेलने का प्रयास करने से पाकिस्तान को दोनों प्रमुख शक्तियों का विश्वास और समर्थन खोने का खतरा है।

भारत के लिए अवसर

  • चाबहार बंदरगाह की बढ़ी हुई रणनीतिक भूमिका: पाकिस्तान के दोहरे खेल के कारण चाबहार बंदरगाह एक क्षेत्रीय व्यापार और रसद केंद्र के रूप में अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।
  • पाकिस्तान का कमजोर होना: पाकिस्तान की आंतरिक और बाह्य कमजोरियां उसके क्षेत्रीय प्रभाव को कम कर सकती हैं, जिससे भारत को रणनीतिक लाभ हो सकता है।

भारत के लिए चुनौतियाँ

  • अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में पुनः प्रगाढ़ता: पाकिस्तान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच घनिष्ठ सहयोग भारत की रणनीतिक गतिविधियों को सीमित कर सकता है।
  • संभावित चीनी आक्रामकता: क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता भारत के लिए सुरक्षा संबंधी चुनौतियां उत्पन्न कर सकती है।
  • उच्च तीव्रता वाला समुद्री जोखिम: छोटे समुद्री क्षेत्र में भारत (चाबहार), संयुक्त राज्य अमेरिका (पासनी) और चीन (ग्वादर) की उपस्थिति से समुद्री संघर्ष की संभावना बढ़ जाती है।

निष्कर्ष

चीन और अमेरिका के बीच संतुलन बनाने की पाकिस्तान की कोशिश आर्थिक मजबूरियों से उत्पन्न हुई हैं, लेकिन इससे दोनों पक्षों का विश्वास खोने का खतरा भी है। भारत के लिए, यह रणनीतिक अवसर तो उत्पन्न करता है, लेकिन क्षेत्रीय अनिश्चितता के बीच सतर्क कूटनीति और समुद्री सुरक्षा रणनीति की भी मांग करता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: ‘बाह्य शक्तियों पर निर्भरता घरेलू जवाबदेही को कम करती है।’ चीन और अमेरिका के साथ पाकिस्तान की आर्थिक वार्ताओं के संदर्भ में चर्चा कीजिए।

(10 अंक, 150 शब्द)

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