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Lokesh Pal
                        
August 26, 2025 05:00
                        
  
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भारतीय संविधान ने पूर्ण संसदीय संप्रभुता को अस्वीकार कर दिया, जिससे कानून संविधान के अधीन हो गए। हाल ही में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को भी कुछ ही दिनों में न्यायिक जाँच का सामना करना पड़ा, जो संसद और न्यायालय के मध्य बढ़ते तनाव को दर्शाता है।
विधायी प्रारूपण को सुदृढ़ करना तथा विधि निर्माण के दौरान एक मजबूत संवैधानिक समीक्षा तंत्र की स्थापना करना न्यायिक अमान्यता को कम कर सकता है, संसद के अधिकार की रक्षा, तथा विधायिका और न्यायपालिका के मध्य संतुलन स्थापित कर सकता है।
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