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भारत में टीबी नियंत्रण के लिए व्यक्ति-केंद्रित समाधान की आवश्यकता

Lokesh Pal March 06, 2025 05:30 21 0

संदर्भ: 

भारत में क्षय रोग (टीबी) नियंत्रण के लिए व्यक्ति-केंद्रित समाधान की माँग, बेहतर स्वास्थ्य देखभाल रणनीतियों की तत्काल आवश्यकता को उजागर करती है।

संबंधित चुनौतियाँ

  • संकट: क्षय रोग (टीबी) भारत और विश्व स्तर पर एक प्रमुख स्वास्थ्य संकट बना हुआ है। 
  • मुद्दे: उन्मूलन प्रयास धीमे हैं, निदान, उपचार और सहायता में अंतराल हैं।
  • बहुआयामी चुनौती: क्षय रोग सिर्फ एक चिकित्सा समस्या नहीं है, यह एक सामाजिक, आर्थिक और लैंगिक संकट भी है
  • समग्र दृष्टिकोण का अभाव: ऐतिहासिक रूप से, टीबी नीतियों को रोगियों के दृष्टिकोण पर पूरी तरह विचार किए बिना तैयार किया गया है।
  • प्रभाव: यह असमान रूप से हाशिए पर व्याप्त समूहों को प्रभावित करता है, जैसे- बच्चे, शहरी गरीब, कैदी और एचआईवी/एड्स से पीड़ित लोग।
    • यह एक आर्थिक संकट भी है, जो परिवारों को गरीबी और ऋण में धकेलता है। टीबी के आर्थिक बोझ से भारत को प्रत्येक वर्ष व्यापक वित्तीय हानि होती है

क्षय रोग को समाप्त करने के उपाय

  • व्यक्ति केंद्रित दृष्टिकोण: रोगियों और समुदायों को प्राथमिकता देने के लिए वर्तमान रणनीतियों को विकसित किया जाना चाहिए। व्यक्ति-केंद्रित दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है:
    • गुणवत्तापूर्ण देखभाल तक बेहतर पहुँच
    • अधिक प्रभावी उपचार अनुपालन
    • टीबी नियंत्रण में मज़बूत सामुदायिक सहभागिता।
  • एकीकरण: स्वास्थ्य विशेषज्ञ और नीति निर्माता रोगी-केंद्रित टीबी प्रबंधन की वकालत करते हैं। नीति में जीवित अनुभवों को एकीकृत करने से परिणामों में सुधार हो सकता है और टीबी उन्मूलन प्रयासों में तेजी आ सकती है।
  • नीतियों को नया स्वरूप देना: टीबी से बेहतर हुए लोगों ने वास्तविक रोगी की जरूरतों को प्रतिबिंबित करने के लिए नीतियों को नया स्वरूप देने में मदद की है। प्रमुख सुधारों में शामिल हैं:
    • पोषण सहायता कार्यक्रम (हालाँकि अभी भी सीमित हैं)।
    • कलंक और लैंगिक असमानताओं को संबोधित करना।
    • रोगी सहायता पहल का विस्तार करना।
  • भारत के लिए प्राथमिकताएँ: भारत की प्रमुख प्राथमिकताओं में टीबी परीक्षण का विस्तार करना, विशेष रूप से ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में तथा मुफ्त, उच्च गुणवत्ता वाली टीबी दवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करना शामिल है।
    • आणविक परीक्षण को व्यापक रूप से उपलब्ध कराना, जिसे वर्तमान में प्रथम परीक्षण के रूप में एक चौथाई से भी कम लोगों ने प्राप्त किया है तथा औषधि एवं निदान की लगातार हो रही कमी को दूर करना।
  • टीबी संबंधी देखभाल: इसके लिए चिकित्सा उपचार से परे व्यापक सहायता प्रदान करने के लिए समुदाय-आधारित मॉडल को मजबूत करने की आवश्यकता है, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य सहायता और लिंग-संवेदनशील देखभाल भी शामिल है। 
    • यह दृष्टिकोण सामाजिक, आर्थिक और मानसिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं को संबोधित करता है, साथ ही कलंक को कम करता है और उपचार तक आसान पहुँच सुनिश्चित करता है।
  • स्वास्थ्य कर्मियों को सशक्त बनाना: दवा और निदान की कमी को रोकने के लिए आपूर्ति शृंखला को मज़बूत करना।
    • टीबी सेवाओं का विकेंद्रीकरण करना, जिससे देखभाल संबंधी सुविधाएँ रोगियों को कम दूरी पर प्राप्त हो सके। पहुँच और रोगी अनुपालन में सुधार के लिए स्थानीय समुदायों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सशक्त बनाएँ।
  • बहुक्षेत्रीय दृष्टिकोण: टीबी के सामाजिक-आर्थिक निर्धारकों को संबोधित करने के लिए बहुक्षेत्रीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम, मामलों को कम करने के लिए पोषण संबंधी सहायता और आवास तथा वायु गुणवत्ता में सुधार शामिल हैं। 
    • हालिया अध्ययनों से पता चलता है, कि पोषण संबंधी हस्तक्षेप से टीबी के मामलों में उल्लेखनीय कमी आ सकती है
  • डिजिटल स्वास्थ्य समाधान: AI-संचालित निदान टीबी का पता लगाने की सटीकता को बढ़ा सकते हैं। अनुपालन ट्रैकिंग और निगरानी के लिए डिजिटल उपकरण उपचार परिणामों को बेहतर बना सकते हैं। दूरस्थ निगरानी प्रणाली कम सेवा वाले क्षेत्रों में रोगियों की सहायता कर सकती है।
  • टीकाकरण में प्रगति: दीर्घकालिक उन्मूलन के लिए बेहतर टीबी टीकों में निवेश भी महत्त्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

व्यक्ति-केंद्रित देखभाल टीबी नीतियों के मूल में होनी चाहिए, जिसमें गरीबी, पोषण और जीवन स्थितियों जैसे सामाजिक निर्धारकों को संबोधित करने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। नवाचार को अपनाने से क्षय रोग प्रभावित मरीजों की संख्या को कम किया जा सकता है और एक स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) ने महत्त्वपूर्ण प्रगति की है, फिर भी भारत का तपेदिक (टीबी) उन्मूलन का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य प्रणालीगत चुनौतियों के कारण धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। टीबी नियंत्रण में प्रमुख बाधाओं की जाँच कीजिए और एक बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण सुझाइए, जो भारत में टीबी उन्मूलन में योगदान दे सकता है।

(15 अंक, 250 शब्द)

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